अनिल विज ने पूरा किया 30 साल का राजनीतिक सफर, लगातार एक ही सीट पर विधायक बनने का रिकॉर्ड

punjabkesari.in Wednesday, May 27, 2020 - 06:18 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): ठीक 30 वर्ष पूर्व 27 मई 1990 को तत्कालीन सातवीं हरियाणा विधानसभा की दो रिक्त सीटों के लिए उपचुनाव हुआ जिसमें सिरसा जिले के दरबा कलां हल्के से जनता दल के टिकट पर  पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और अम्बाला जिले के कैंट विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अनिल कुमार (विज) निर्वाचित हुए, जो प्रदेश की मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में गृह एवं स्वास्थ्य समेत कुल सात विभागों के कैबिनेट मंत्री हैं। 

लिखने योग्य है कि विज गत वर्ष अक्तूबर, 2019 हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में लगातार तीसरी बार  और कुल छठी  बार इसी अम्बाला कैंट सीट से विजयी होकर विधायक बने हैं। बीते दिनों भारतीय चुनाव आयोग से अम्बाला कैंट  विधानसभा हलके के  आधिकारिक आंकड़े प्राप्त कर उनका  गहन अध्ययन करने के बाद जानकारी मिलती है कि आज से साढ़े 53 वर्ष पूर्व  संयुक्त पंजाब से अलग होने के बाद जब 1  नवंबर, 1966 को  हरियाणा नया राज्य बना, तो आज तक हुए 13 विधानसभा चुनावो और एक उपचुनाव  में अम्बाला कैंट हलके में 7 बार भाजपा ( जनता पार्टी और भारतीय जन  संघ मिलाकर) और 5 बार कांग्रेस पार्टी ने विजय हासिल की है जबकि दो बार यहाँ से निर्दलयी उम्मीदवार जीता है। 
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1990 में अम्बाला कैंट  से बने थे विधायक
सबसे पहले वर्ष 1967 में हुए प्रदेश  के पहले विधानसभा  चुनावो में  कांग्रेस  के उम्मीदवार देव राज आनंद  ने भारतीय जन संघ के  पी.नाथ  को हराकर  हरियाणा में अम्बाला कैंट  के पहले विधायक बने. आज तक इस सीट से लगातार छ: बार विधायक बनने का रिकॉर्ड अनिल विज के ही नाम है जो सबसे पहली बार मई, 1990 में अम्बाला कैंट पर हुए उपचुनाव में विधायक बने. लिखने योग्य है कि इस हल्के से  तत्कालीन विधायिका , सुषमा स्वराज, जो उस समय हरियाणा में  जनता दल-भाजपा गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं,  के अप्रैल, 1990 में हरियाणा से राज्य सभा के लिए निर्वाचित होने के बाद उन्होंने  इस  सीट के विधायक पद से त्यागपत्र दे दिया जिसके  फलस्वरूप हुए उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर विज ने चुनाव लड़ा और विजयी हुए, हालांकि इसके मात्र एक वर्ष के  भीतर ही अप्रैल 1991 में सातवीं  हरियाणा विधानसभा समयपूर्व ही भंग हो गई एवं  वर्ष 1991 विधानसभा आम चुनावों  में कांग्रेस के बृज आनंद ने  भाजपा से दोबारा चुनाव लड़ रहे अनिल विज को हराया।

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1995 के आसपास विज ने भाजपा छोड़ी थी
इसके कुछ वर्षों बाद वर्ष 1995 के आसपास विज ने भाजपा छोड़ दी एवं वर्ष 1996 और 2000 लगातार दो हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में निर्दलयी के तौर पर लड़ते हुए विज लगातार दो बार विधायक बने, हालांकि वर्ष 2005 विधानसभा आम चुनावो में कांग्रेसी प्रत्याशी एडवोकेट  देवेंदर बंसल ने विज को मात्र 615 वोटो से पराजित कर दिया। इसके बाद वर्ष 2007 में उन्होंने विकास परिषद के नाम से अपनी अलग राजनीति पार्टी भारतीय चुनाव आयोग से पंजीकृत करवाई हालांकि 2009 हरियाणा विधानसभा आम चुनावों से ठीक पहले वह फिर भाजपा में शामिल हो गए एवं 2009, 2014 और 2019 विधानसभा चुनावों में लगातार तीन बार अर्थात हैट्रिक लगातार अम्बाला कैंट से विधायक निर्वाचित हुए। 

ज्ञात रहे कि इसी सीट से दो बार  भाजपा की दिवंगत वरिष्ठ नेत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री  सुषमा स्वराज विधायकी  बनी  पहले  वर्ष 1977 में जनता पार्टी से  और वर्ष 1987 में भाजपा के टिकट पर।  इनके अलावा भारतीय जन  संघ  ने  यह सीट सर्वप्रथम वर्ष 1968  में जीती जब उसके उसके उम्मीदवार भगवान दास सहगल ने  कांग्रेस के देव राज आनंद को पराजित किया. इसके बाद 1972 के चुनावो में कांग्रेस के हंस राज सूरी ने हालांकि  भगवान दास को हराया। तत्पश्चात वर्ष 1982 में कांग्रेस के राम दास धमीजा ने जनता पार्टी के स्वामी अग्निवेश एवं भाजपा के सोम प्रकाश को हराया।

विज को मिले चुके आज तक के सर्वाधिक वोट
अक्टूबर, 2019  के चुनावो में  अम्बाला कैंट  में  कुल मतदाता 1  लाख 96 हज़ार 870 थे  जिसमे से 1 लाख 21 हज़ार 735 वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। विज को सर्वाधिक 64 हज़ार 571 वोट अर्थात 53.04 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे जो की आज तक मिले उनको सर्वाधिक वोट हैं। उन्होंने अपनी निकटतम  प्रतिद्वंदी निर्दलयी  चित्रा  सरवारा को 20165 वोटों  से हराया. चित्रा प्रदेश के पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की पुत्री हैं। लिखने योग्य है कि विज ने इससे पहले इसी सीट से निर्मल सिंह को भी लगातार दो बार वर्ष 2009 और 2014  के विधानसभा आम चुनावो  में पराजित किया है।
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कैसा रहा चौटाला का सफर
जहाँ तक पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का विषय है,  2 दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने, तो वह विधानसभा के सदस्य नहीं थे। इस प्रकार उनको छः माह में विधायक बनना था परन्तु महम विधानसभा सीट पर उपचुनाव में हुई खूनी  हिंसा के कारण चुनाव आयोग को वहां दो बार चुनाव रद्द एवं स्थगित कर दिया जिसके बाद  चौटाला को मई 1990 में मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा और बनारसी दास  गुप्ता हरियाणा के मुख्यमंत्री बने हालांकि चौटाला को विधानसभा पहुंचाने के लिए सिरसा की दरबा कलां सीट से जनता दल की तत्कालीन विधायिका विद्या बेनीवाल ने उस सीट से त्यागपत्र दे दिया जिसके कारण 27 मई 1990 को हुए उपचुनाव में चौटाला विधायक  बने. 'जिसके बाद पहले वह जुलाई 1990 में पांच दिन और फिर मार्च 1991 में 15 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने। हालांकि हेमंत ने बताया की चौटाला सबसे पहले आज से 40 वर्ष पूर्व मई 1970 में सिरसा  की ऐलनाबाद सीट से कांग्रेस की टिकट पर उपचुनाव में विधायक बने थे जब तत्कालीन विधायक लाल चंद का चुनाव रद्द कर दिया गया था।

 

 


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Isha

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