कोविड-19 के दौरान जीवन जीने का अधिकार सर्वोच्च मानव अधिकार: बलदेव महाजन

punjabkesari.in Saturday, Aug 29, 2020 - 04:45 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा सरकार के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने कहा कि हर व्यक्ति को मूल मानवाधिकारों का आनंद लेने का हक है। प्रत्येक व्यक्ति के पास अपना स्वतन्त्र जीवन जीने का जन्मसिद्ध अधिकार है। सुरक्षित जीवन जीने का सबको अधिकार है। वे शनिवार को विधि विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स ड्यूरिंग कोविड-19 पैनडेमिक में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में जीवन का अधिकार मूल मौलिक अधिकार है। इस मौलिक अधिकार से ही सभी मानव अधिकार उभरते हैं। भोजन का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और आंदोलन करना, कार्य करने की स्वतंत्रता, मजदूरी करने का अधिकार, उचित पर्यावरण का अधिकार, सुखद जीवन जीने का अधिकार आदि सहित सभी मानव अधिकार जीवन के अधिकार पर निर्भर हैं।

कोविड -19 खतरनाक वास्तविकता के रूप में आया, जिसके लिए कोई भी सरकार या मानव दुनिया भर में तैयार नहीं था। विश्व सरकारों का पहला महत्वपूर्ण कर्तव्य जीने के अधिकार की रक्षा करना था। सामाजिक संगठनों, एनजीओ, मीडिया, स्वास्थ्य पेशेवर, पुलिस और विभिन्न सरकारी संस्थानों की भूमिका की सराहना करते हुए महाजन ने कहा कि उन्होंने कोविड -19 के दौरान बुनियादी मानव अधिकारों को संबोधित करने और उनकी रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

महाजन ने भारतीय संस्कृति की सराहना की, जो सार्वभौमिक भाईचारे और आत्म-बलिदान की वकालत करती है। उन्होंने कहा कि कोविड -19 के दौरान लोग, समाज और गैर सरकारी संगठन मिलकर जरूरतमंदों की मदद करने के लिए आगे आए थे।

वहीं इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि मौजूद हरियाणा राज्य मानव अधिकार आयोग के सदस्य दीप भाटिया ने कहा कि विचारों की अभिव्यक्ति और जानकारी हासिल करने का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को विचार और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। इसके बिना हस्तक्षेप राय रखना और किसी भी माध्यम के जरिए से तथा सीमाओं की परवाह न करके किसी की सूचना और धारणा का अन्वेषण, ग्रहण तथा प्रदान करना मानवाधिकार में सम्मिलित है

उन्होंने कहा कि कोविड -19 ने दिखाया है कि राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग की मानवाधिकारों की रक्षा के लिए देखने, सलाह देने और हस्तक्षेप करने की अपनी अलग भूमिका है। मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए, आयोगों को कभी-कभी राज्य के खिलाफ निर्देश देने पड़ते हैं। अगर आयोग को कुछ गलत लगता है तो वह सार्वजनिक प्राधिकरण के खिलाफ निर्देश दे सकता है।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीता खन्ना ने उद्घाटन सत्र में बोलते हुए कहा है कि मानवाधिकार हमेशा कानून, सामाजिक कार्य, महिला अध्ययन, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र और प्रबंधन सहित विभिन्न विभागों के अनुसंधान घटक और शिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।

कुलपति ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण मानव अधिकार व्यापक स्तर पर प्रभावित हो रहे है। स्वास्थ्य और शिक्षा के अधिकार, श्रम, भेदभाव से मुक्ति, निजता, नागरिक और राजनीतिक अधिकारों को कोविड -19 के कारण चुनौती दी गई है। ऐसे मानवाधिकार हैं जो वायरस से प्रभावित होते हैं, लेकिन कुछ निश्चित मानवाधिकार हैं जो वायरस से भी परे हैं।

उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि विश्वविद्यालय ने देश को प्रमुख न्यायाधीश और वकील दिए हैं, जिन्होंने हमेशा मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कार्य किया है। विश्वविद्यालय में विभिन्न विभागों में महिला अधिकारों, महिला सशक्तीकरण, मजदूरों के अधिकारों, छात्रों के अधिकारों और स्वास्थ्य और पर्यावरण से संबंधित शिक्षण व शोध के पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं।  

कुलपति ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हरियाणा सरकार के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन तथा विशिष्ट अतिथि हरियाणा राज्य मानव अधिकार आयोग के सदस्य दीप भाटिया का स्वागत किया एवं वेबिनार के लिए अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद किया।

अंत में मुख्य वक्ताओं ने श्रोताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उतर दिए। विधि विभाग के अधिष्ठाता डॉ. दिलीप कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया व विभागध्यक्ष प्रो. सुनील यादव ने मुख्य वक्ताओं का विधिवत स्वागत किया। आईटी सेल के इंचार्ज प्रो. सुनील ढींगडा ने कार्यक्रम के आनलाइन संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


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vinod kumar

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