भाजपा को अपनी पराजय वाली स्थिति स्पष्ट दिख रही है : विवेक बंसल

punjabkesari.in Wednesday, May 04, 2022 - 04:04 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): पड़ोसी राज्य पंजाब की तरह हरियाणा में नेताओं की आपसी फूट को समाप्त करने को लेकर किए गए प्रयोग में एक प्रदेश अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की क्या सोच है ? आने वाले दिनों में इसका प्रभाव नकारात्मक रहेगा या सकारात्मक ? इस स्थिति को स्पष्ट करने के लिए पंजाब केसरी ने कांग्रेस प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल से विशेष बातचीत की। बंसल ने समय-समय पर अलग अलग राह पर चल रहे सभी वरिष्ठ नेताओं को एकजुट करने का भरपूर प्रयास किए। लेकिन यह कोशिश तो राहुल गांधी की भी नाकाम रही थी।

लगातार कोशिशों के बावजूद 8 साल तक पार्टी प्रदेश में संगठन तक नहीं खड़ा कर पाई। अशोक तंवर और कुमारी शैलजा को पूरी तरह से फेल साबित कर दिया गया। संगठन के कार्य में रोड़ा अटकाने को लेकर नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर हमेशा उंगली उठती रही। मजबूरन पार्टी हाईकमान को शैलजा को पद मुक्त कर हुड्डा गुट के उदयभान को अध्यक्ष बनाना पड़ा। यह प्रयोग कितना सफल रहेगा और आने वाले समय में कांग्रेस किस नीति पर आगे बढ़ेगी, इन सभी का जवाब बंसल ने बखूबी दिया। बातचीत के कुछ अंश प्रस्तुत हैं:-


प्रशन:- कांग्रेस पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष तो बना दिए गए, लेकिन आज तक संगठन नहीं बन पाया। क्या कहेंगे ?
उत्तर:-
नए प्रदेश अध्यक्षों के बाद नई कमेटी बनाई जाएगी। पिछली कमेटी लंबित थी, उसका अब कोई औचित्य नहीं रह गया। नए अध्यक्ष द्वारा नए सुझाव और सबकी सलाह मशवरा से जल्द संगठन का निर्माण होगा। मेरी भी यही प्राथमिकता रहेगी कि जल्द कमेटी गठित हो। लंबे समय से कार्यकर्ताओं में इसे लेकर कुंठा रही है। नए संगठन के बाद हम तीव्र गति से कार्य कर सकेंगे और सभी कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का सृजन होगा।

 

 प्रशन:- पिछले 8 साल से संगठन का निर्माण नहीं हो पाया, अब क्या संभावनाएं हैं ?
उत्तर:-
मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि जल्द संगठन तैयार होगा। सकारात्मक विचारधारा के साथ सबको समायोजित करते हुए यह कार्य किया जाएगा।

 

प्रशन:- कुलदीप बिश्नोई के टि्वट से उनके मन के दुख को मापा जा सकता है, आपका क्या विचार है ?
उत्तर:-
ट्वीट को ज्यादा तूल देने वाली बात नहीं है और उसमें अनुशासनहीनता जैसे कोई झलक भी नहीं है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को समझाने की बात कही है और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने की बात कही है। हर कार्यकर्ता- नेता इस तरीके से अपनी बात कहने का अधिकारी है। सभी नेता कांग्रेस के संघर्ष में सम्मिलित होकर- एकजुट होकर मजबूती से संघर्ष करेंगे।

 

 प्रशन:- क्या कुलदीप बिश्नोई को मना लिया जाएगा ?
उत्तर:-
कुलदीप बिश्नोई पार्टी के साथ हैं। वह पार्टी के प्रति समर्पित नेता है। हर नेता की आशा के अनुरूप पार्टी के फैसले नहीं होते। परिपक्व- अनुशासित कार्यकर्ता ऐसे समय पर संयम रखता है और पार्टी भी नेताओं की दूरदर्शिता और अनुशासन का परिचय देने वाले नेताओं का संज्ञान लेती है। मैं स्वयं विश्वास से कह सकता हूं कि वह कोई ऐसा कार्य नहीं करेंगे कि जो केंद्रीय नेतृत्व के प्रति उनके अविश्वास को झलकाता हो।

 

 प्रशन:- पार्टी द्वारा एक अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:-
कांग्रेस नई गति और नई ऊर्जा के साथ सुचारू रूप से कार्य कर सकें इस दृष्टि से यह सोच रखी गई है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि इसका बेहद सकारात्मक असर होगा और पार्टी को लाभ होगा।

 

 प्रशन:- लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही जीटी रोड बेल्ट की अनदेखी इस फैसले में देखी गई है ?
उत्तर:-
रामकिशन गुर्जर और सुरेश गुप्ता जीटी रोड बेल्ट से ही संबंध रखते हैं। हमने 2 अहिरवार क्षेत्र के कार्यकारी अध्यक्ष लिए हैं। यह फैसला समन्वय के साथ लिया गया फैसला है।

 

प्रशन:- रणदीप सुरजेवाला द्वारा कुलदीप बिश्नोई को अधिक बेहतर अध्यक्ष बताना क्या दर्शाता है ?
उत्तर:-
उन्होंने कोई तुलनात्मक बात नहीं कही। उन्होंने यह नहीं कहा कि ज्यादा सफल कौन रहता। उन्होंने बातचीत के दौरान यह बात कही है कि अगर कुलदीप बिश्नोई बनते तो वह एक अच्छे अध्यक्ष साबित होते।

 

प्रशन:- सत्ता पक्ष गठबंधन का कहना है कि चरण पादुका रखी गई है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में रिमोट कंट्रोल है ?
उत्तर:-
ऐसा कुछ भी नहीं है। यह कांग्रेस का फैसला सत्ता पक्ष को एक चुनौती के रूप में दिख रहा है। नया गठन उनके लिए एक चिंता का विषय है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के मजबूत और कद्दावर नेता हैं। लेकिन अन्य नेताओं को दरकिनार करने वाली बातें बेबुनियाद हैं। हर नेता को समुचित स्थान दिया गया है। सबकी रायशुमारी से यह फैसला हुआ है। पार्टी सबको साथ लेकर चलने वाली नीति पर काम कर रही है।

 

 प्रशन:- भाजपा का कहना है कि 8 साल से संगठन में रोड़ा अटका ने वाले उस व्यक्ति को तवज्जो दी गई है, जिसने तंवर- शैलजा को फेल साबित किया ?
उत्तर:-
उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट दिख रही है। उन्हें अपनी पराजय नजर आ रही है। इसलिए वह तरह-तरह के कयास और प्रयास कर रहे हैं ताकि कांग्रेस खेमे में विद्रोह की भावना उजागर हो। आपसी मतभेद बढ़ जाए और हम उसका फायदा ले सकें।

 

प्रशन:- 10 साल हुड्डा मुख्यमंत्री रहे, लंबे समय से प्रदेशाध्यक्ष के साथ तकरार उनकी रही ?
उत्तर:-
इसी को समन्वय किया गया है। सभी की रायशुमारी से यह फैसला हुआ है। मुझे नहीं लगता कि अब कोई गंभीर समस्या उत्पन्न होगी। संगठन के गतिशील होने पर छोटी मोटी दिक्कतों को हम समय-समय पर निपटाएंगे।

 

प्रशन:- हुड्डा के लंबे राजनीतिक अनुभव का लाभ क्या अब कांग्रेस को मिलेगा ?
उत्तर:-
जी बिल्कुल, मिलेगा। अब सभी लोग मिलकर कार्य करेंगे। उन्हें भी साथ लेकर आगे चले गए जिन्हें अपनी अनदेखी इस फैसले में नजर आ रही है। किसी को नजर अंदाज महसूस नहीं होगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई, कैप्टन अजय यादव सभी मिलजुल कर कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कार्य करेंगे।

 

 प्रशन:- हुड्डा पर सीबीआई और ईडी मामलों के बीच क्या लगता है कि कांग्रेस में जान फुकी जाएगी ?
उत्तर:-
जीटी रोड पर रोड शो के दौरान जगह-जगह हो रहे भव्य स्वागत को देखकर यह तो पुष्टि हो ही रही है कि किस तरह से कार्यकर्ताओं में उत्साह और उद्गम है। कांग्रेस आने वाले दिनों में बहुत मजबूती से संघर्ष करती नजर आएगी।

 

 प्रशन:- कुमारी शैलजा की अनदेखी क्या उचित थी ?
उत्तर:-
यह उनकी परिपक्वता है। नेतृत्व से उनकी क्या बातचीत हुई मुझे नहीं मालूम। प्रदेश और केंद्र की राजनीति में वह एक बड़ा नाम है। उनकी ऊर्जा और राजनीतिक समझ लाभ हरियाणा कांग्रेस को समय-समय पर मिला है।

 

 प्रशन:- कुमारी शैलजा कार्यकाल के दौरान भी विवेक बंसल की लाख कोशिशें फेल साबित हुई। इसके बारे में क्या कहेंगे ?
उत्तर:-
मैं नहीं कहूंगा कि चली नहीं। जो समय बीत गया उसके बारे में सोचना व्यर्थ है। हमें अब आगे की और देखना है। आप जैसा कह रहे हैं मैं उस पर यही कहूंगा कि इसकी पुनरावृत्ति दोबारा न हो। लड़ाई बेहद गंभीर है और निर्णायक मोड़ पर है। जरा सी शिथलता से लड़ाई में कमजोरी बढ़ सकती है। मैं सभी वरिष्ठ नेताओं से यही कहना चाहूंगा कि छोटी मोटी बात को नजरअंदाज करते हुए सामूहिक यज्ञ में अपनी आहुति डालते हुए समापन करें।

 

प्रशन:- मुख्यतः लड़ाई गठबंधन से है या आम आदमी पार्टी से ?
उत्तर:-
आम आदमी पार्टी को ज्यादा महत्व आप लोग दे रहे हैं। हमारा मुख्य मुकाबला विपक्ष भाजपा -जजपा से गठबंधन है। जिसका हम पूरी मजबूती से सामना करेंगे।

 

 प्रशन:- संगठन और नेता प्रतिपक्ष के लिए आपका मूलमंत्र क्या है ?
उत्तर:-
संगठन में सबको समुचित स्थान मिले। सभी निष्ठावान कार्यकर्ताओं जिनकी अनदेखी हुई उन्हें स्थान दिया जाए। संघर्षशील कार्यकर्ताओं को स्थान मिले और पार्टी में अनुशासन के साथ कार्य किया जाए। इस मूलमंत्र को अगर सही ढंग से निर्वहन किया गया तो हमें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

 

 प्रशन:- पार्टी के संवैधानिक समय 3 साल की बजाए  ढाई साल में शैलजा का इस्तीफा हुआ। क्या इसका नुकसान पार्टी को नहीं झेलना पड़ेगा ?
उत्तर:-
जब शैलजा का ही सहयोग पार्टी को पूर्णतया मिलेगा तो कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। कार्यकर्ता अपने नेता के आचरण को देखते हैं। शैलजा कांग्रेस की एक वरिष्ठ नेता है और केंद्र -प्रदेश परिपेक्ष मे वह गिनती में शुमार है। उनका पूरा सहयोग अपेक्षित है- वंचित है और मिलेगा भी, ऐसा हमें विश्वास है।

 

  


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Content Writer

Isha

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