यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे! निकाय चुनावों में भजपा-जजपा की नजदीकियां बढ़ीं

punjabkesari.in Saturday, Jun 25, 2022 - 09:18 AM (IST)

अम्बाला: महंगाई, अग्निपथ व बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दों के बीच अभी हाल में सूबे के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा-जजपा गठबंधन का प्रदर्शन जहां बेहतर रहा, वहीं दोनों दलों के नेताओं के बीच जो नजदीकियां बढ़ी हैं, उससे आने वाले पंचायत चुनावों व 2024 के विधानसभा चुनावों में हमसफर बने रहने की उम्मीद बढ़ गई है।  इन चुनावों में गठबंधन ने 46 में से 25 जगहों पर जीत हासिल की। निर्दलीय 19 नगर परिषद व पालिकाओं में काबिज हुए, जबकि इनैलो व आम आदमी पार्टी एक-एक सीट पर सिमटकर रह गई। कांग्रेस ने सिम्बल पर चुनाव नहीं लड़ा। भले ही कुछ निर्दलीय उसके समर्थन से जीते हों, लेकिन चुनावी केनवास पर कांग्रेस नदारद रही। चुनावी नतीजे जो भी होते, लेकिन यदि कांग्रेस सिम्बल के साथ मैदान में उतरती तो कम से कम पिछले अढाई साल से खाली बैठे उसके कार्यकत्र्ता हरकत में तो आ जाते।

अगले कुछ महीनों में जिला परिषद व पंचायतों के चुनाव आने हैं। माना जा रहा है कि इन चुनावों में गठबंधन साथ-साथ चलेगा। भाजपा अब केवल शहरी पार्टी नहीं रही। पिछले साढ़े 7 सालों में भाजपा का संगठन छोटे से छोटे गांव तक पहुंच गया है और अब ग्रामीण जनाधार वाले नेताओं की भी उसके पास कमी नहीं है।  इन चुनावों में उसे केवल कांग्रेस ही नहीं, इनैलो से भी चुनौती मिलेगी। सियासी क्षेत्रों का मानना है कि भाजपा-जजपा गठबंधन को स्थानीय निकाय चुनावों की तरह इन चुनावों में भी साथ चलने का फायदा मिल सकता है।
एन.डी.ए. में शामिल हो सकती है जजपा

राजनीतिक पंडितों का अनुमान है कि जजपा आने वाले समय में औपचारिक तौर पर एन.डी.ए. का एक घटक बन सकती है। हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन के एक हजार दिन पूरे होने पर आयोजित की जाने वाली रैलियों में दोनों दल एक साथ मंच पर नजर आ सकते हैं। संभव है कि यह रैली भाजपा या जजपा के नाम की बजाए एन.डी.ए. के बैनर के नीचे हो।

दरअसल दोनों दल चाहते हैं कि यह जो दोस्ती बनी है वह लम्बी चले। भाजपा व जजपा दोनों के पास दोस्ती को जारी रखने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है, इसलिए दोनों का हाथ मिलाए रखना सियासी मजबूरी मानी जा रही है।  कहा जा रहा है कि इस दोस्ती से ज्यादा फायदा जजपा को है। कुल 10 विधायकों वाली पार्टी को देश के उस सबसे बड़े सियासी दल का समर्थन मिल गया है जिसकी केंद्र में ही नहीं, बल्कि करीब एक दर्जन राज्यों में अपनी सरकारें व आधा दर्जन राज्यों में मिलीजुली सरकारें हैं। 
सबसे बड़ी बात यह है कि जजपा के कुछ बड़े नेताओं की अब प्रधानमंत्री व केन्द्रीय गृहमंत्री जैसे दिग्गजों तक सीधी पहुंच हो गयी है।


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Content Writer

Isha

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