ट्रैक्टर से बैरिकेट्स तोड़ने बड़ी बात नहीं ,लेकिन यह लोकतंत्र तोड़ने जैसी बात है: कंवरपाल गुर्जर

punjabkesari.in Wednesday, Sep 08, 2021 - 08:38 AM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : मंगलवार को करनाल में किसानों द्वारा की गई महापंचायत और फिर बैरी गेट्स तोड़कर सचिवालय के घेराव की जिद के बाद प्रदेश के शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने स्पष्ट शब्दों में इस आंदोलन को केवल और केवल राजनीतिक आंदोलन करार दिया है। उन्होंने कहा है कि हम भी विपक्ष में थे। लेकिन हमने कानून व्यवस्था को कभी खराब नहीं किया। अपनी बात कहने के लिए जनता के पास गए और यही प्रजातंत्र है। लोकतंत्र में जबरदस्ती शब्द का कोई अर्थ नहीं होता। लोकतंत्र की मालिक जनता है। इन आंदोलनकारी तथाकथित किसानों को जनता में जाकर अपनी समस्याओं को बताना चाहिए।।

जनता का विश्वास जीतना चाहिए। ट्रैक्टर से बैरिकेट्स तोड़ने बड़ी बात नहीं है। लेकिन यह लोकतंत्र तोड़ने जैसी बात है। कोई भी सरकार हो वह जनता से डरती है और जनता सरकार को हटाने की ताकत रखती है और यह कानून जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों ने बनाए हैं। किसान यूनियन, विपक्ष और सरकार को जनता में जाकर अपनी बात रखनी चाहिए और फैसला जनता पर छोड़ना चाहिए। लेकिन यह लोग जबरदस्ती अपनी बात थोपना चाहते हैं और सरकार को बोलने नहीं देना चाहते। यह तरीका प्रजातांत्रिक तरीका नहीं है। विधानसभा में भी बिल पास होने से पहले चर्चा होती है। कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि अगर यह लोग नहीं माने और इसी तरीके को अपनाते रहे तो मेरा मानना है कि जनता इनके पक्ष में नहीं जाएगी। अगर इसी प्रकार प्रजातंत्र को नष्ट करने की कोशिश होती रही तो इसका समाधान भी जनता निकाल देगी। इन्हें प्रजातंत्र में विश्वास रखना चाहिए।

कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि लंबे संघर्ष, त्याग और बलिदान के बाद हमें प्रजातंत्र मिला है और प्रजातंत्र किसान, मजदूर, व्यापारी, सरकारी कर्मचारी और हर आदमी के हित में है। एसडीएम की भाषा पर सभी ने असहमति जताई है। जितनी एसडीएम ने गलती की मुख्यमंत्री ने उतने सजा भी उसे दी है। उसकी बदली की गई है। लेकिन मैं बता दूं कि लाठीचार्ज वाली जगह से चौथी बैरिकेट्स पर उस एसडीएम की ड्यूटी थी। गुर्जर ने कहा कि लाठीचार्ज मौके की परिस्थितियों के हिसाब से किया गया। क्योंकि नेशनल हाईवे जाम कर देने से हाइवे से गुजरने वाले लोग भारी संकट में पड़ जाते। जिनका इस आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं। उन्हें भारी आफत का सामना करना पड़ता। नेशनल हाईवे जाम करना एक बड़ी परेशानी का सबब बन सकता था। इसलिए किसानों द्वारा उन पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की मांग उचित नहीं है।

27 तारीख को किसानों द्वारा बंद पर बोलते हुए गुर्जर ने कहा कि प्रतीकात्मक बंद पहले भी होते रहे हैं।लेकिन जनता से अपील करके समर्थन मांगना और जनता द्वारा आपकी अपील पर बंद करना एक प्रजातंत्र का सही तरीका है। जबरदस्ती डरा धमका कर बंद करवा कर जनता का समर्थन नहीं जीत सकते। गुर्जर ने कहा कि सरकार ने हर बार पूछा है कि क्लोज बाय क्लोज बताओ कमी कहां है ? लेकिन यह जिद पर अड़े हैं कानून रद्द करो। कानून ऐसे रद्द नहीं होते। कमी तो बतानी ही पड़ेगी। जनता द्वारा चुने गए सांसदों की कमेटी द्वारा इन कानूनों पर गहन विचार करने के बाद कानूनों को बनाया गया है। आज इनके जबरदस्ती रवैया और भीड़ तंत्र के दबाव में अगर कानून रद्द हुए तो कल दूसरी भीड़ खड़ी होकर दूसरे किसी कानून को रद्द करवाएंगे और परसों तीसरी भीड़ खड़ी होकर तीसरे किसी कानून को रद्द करवाने की मांग करेंगे। यह किसी भी तरह से लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। हम इन कानूनों के लाभ बता रहे हैं। यह कमी बताएं। चर्चा करें। तभी समाधान हो सकेगा। 

गुर्जर ने कहा कि इन कानूनों में किसानों का कोई अधिकार नहीं छीना गया है। सरकार ने किसानों को अपनी फसल बाहर बेचने की भी छूट दी है। अगर आंदोलन में बैठे लोग बाहर नहीं बेचना चाहते तो मत बेचे। लेकिन जो बेचना चाहते हैं, उनका अधिकार मत छीने। हरियाणा के अंदर रणभूमि बनाना एक राजनीतिक षड्यंत्र है। कानून देश की संसद में बने, जनता के प्रतिनिधियों ने सांसदों ने बनाए। केंद्र सरकार दिल्ली में बैठी है। पंजाब से आंदोलन की शुरुआत हुई। पंजाब में भी लाठीचार्ज हुआ, लेकिन आंदोलन का केंद्र हरियाणा क्यों बनाया जा रहा है ? यह जनता सब समझ रही है।

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Content Writer

Manisha rana

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