सलाम: पहले श्रीलंका में ऑपरेशन पवन में लड़े, अब कोरोना से जंग में लोगों की मदद कर रहे कैप्टन नरेंद्र

punjabkesari.in Monday, Apr 13, 2020 - 10:27 AM (IST)

हिसार: 1987 में श्रीलंका में जाकर ऑपरेशन पवन में शामिल रहे रिटायर्ड कैप्टन नरेंद्र शर्मा इन दिनों कोरोना से जंग में भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। हिसार के वार्ड नंबर 12 स्थित न्यू मॉडल टाउन एक्सटेंशन निवासी कैप्टन नरेंद्र शर्मा फिलहाल एक्सटेंशन की आरडब्ल्यूए के महासचिव हैं। अपने साथियों के साथ मिलकर क्षेत्र में रहने वाले उत्तर प्रदेश, बिहार व मध्य प्रदेश से आए मजदूरों व उनके परिवारों के लिए भोजन पहुंचाने में मदद कर रहे हैं। 

निरंकारी भवन स्थित रसोई से बनने वाले भोजन को वह अपने साथियों के साथ लाकर मजदूर परिवारों में वितरित करवाते हैं। वहीं, नगर निगम के सफाई कर्मचारियों को भी सम्मानित कर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं, ताकि वह इस संकट के दौर में उत्साहित होकर काम करें।

इंडियन पीस किपिंग फोर्स का हिस्सा बनाकर गए श्रीलंका
कैप्टन नरेंद्र शर्मा बताते हैं कि वह 25 मार्च 1980 को सेना में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। सबसे पहली पोस्टिंग असम में हुई थी। इसके बाद प्रमोशन पाकर नायक बने। जब पटियाला में पोस्टिंग थी तो अगस्त 1987 में एक दिन शाम को आदेश आया कि सभी सैनिक ग्राउंड में इकट्ठे हो जाओ।

ग्राउंड में आने के बाद उन्हें बताया गया कि श्रीलंका रवाना होना है, रात में जाना पड़ सकता है, नहीं तो अगले दिन जाना होगा। इसके बाद उच्चाधिकारी परिवहन की व्यवस्था करने में लग गए। तीन दिन बाद पटियाला से मिलिट्री ट्रेन के जरिये चेन्नई भेजा गया। इंडियन पीस किपिंग फोर्स का हिस्सा बनाकर चेन्नई से समुद्री जहाज में श्रीलंका के ट्रिंको मल्लई में पहुंचे।

ढाई साल तक रहे श्रीलंका में   
रिटायर्ड कैप्टन नरेंद्र शर्मा के अनुसार इंडियन पीस किपिंग फोर्स का काम श्रीलंका में शांति स्थापना करना था लेकिन बाद में लिट्टे ने लड़ाई शुरू कर दी। वह ढाई साल तक श्रीलंका में रहे। जो दिन निकल जाता, उसी के लिए ईश्वर का आभार जताते। 1989 में किपिंग फोर्स को तत्कालीन भारत सरकार ने वापस भारत बुला लिया था। श्रीलंका से लौटने के बाद उन्हें जयपुर भेजा गया। वह नायक से हवलदार, नायब सूबेदार, सूबेदार, मेजर सूबेदार, लेफ्टिनेंट पद पर प्रमोट हुए। ऑनरेरी कैप्टन रहते हुए वह सेवानिवृत्त हुए। 

इस बारे नरेंद्र शर्मा, रिटायर्ड कैप्टन ने कहा कि जंग का मैदान हो या सिविल सोसायटी, कोई भी सैनिक अपने सेवाभाव से पीछे नहीं हटता है। जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने से भी मन को सुकून मिल रहा है। सफाईकर्मियों का भी हौसला बढ़ाते हैं, ताकि उनका मनोबल बना रहे।


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Edited By

vinod kumar

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