कैप्टन को इतना राजनीतिक महत्वाकांक्षी नहीं होना चाहिए कि अच्छे-बुरे का पता न चले : खट्टर

punjabkesari.in Monday, Jan 18, 2021 - 12:33 PM (IST)

चंडीगढ़ (बलवंत तक्षक/अविनाश पांडेय) : किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की राजनीतिक महत्वाकांक्षा इतनी ज्यादा हो गई है कि अच्छे-बुरे का पता नहीं चल रहा है। कांग्रेस को यह सोचना पड़ेगा कि इस तरह की राजनीति किसी भी तरह से भविष्य के लिए ठीक नहीं है। यह जरूर है कि किसानों को कृषि कानूनों में कुछ खामियां नजर आ रही हैं, जिन पर केंद्र सरकार भी संशोधन करने के पक्ष में है लेकिन कांग्रेस को इस तरह से किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति नहीं करनी चाहिए। किसानों और केंद्र सरकार के बीच वार्ता का दौर लगातार चल रहा है। ऐसे तमाम मुद्दों पर पंजाब केसरी के बलवंत तक्षक/अविनाश पांडेय ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से बातचीत की।

प्रश्न : 26 जनवरी को दिल्ली में  ट्रैक्टर परेड को लेकर आंदोलनकारी किसान अड़े हुए हैं। आप किसानों से क्या अपील करते हैं?
उत्तर : पहले भी किसानों से अपील कर चुका हूं और अब भी कहता हूं कि 26 जनवरी एक राष्ट्रीय पर्व है। इस पर दुनिया की निगाहें देश पर रहती हैं। ऐसे में इसमें व्यवधान उत्पन्न करना ठीक नहीं है। यह पर्व सभी मिलजुलकर मनाते हैं और संविधान में सभी को यह अधिकार भी मिला है। जहां पर सरकारी कार्यक्रम है वहां कार्यक्रम होने देना चाहिए। मैं तो किसानों को यह कहता हूं कि वह अपने धरना स्थल पर ही राष्ट्रीय पर्व को जोश के साथ मनाएं ताकि देश भर में राष्ट्रीय पर्व की महत्ता का संदेश जाए। 

प्रश्न : भाजपा के ही कुछ नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं किसान आंदोलन में कुछ ऐसे लोग शामिल हो गए हैं जो किसानों और सरकार के बीच समझौता नहीं होने दे रहे हैं। आपका क्या कहना है?
उत्तर : यह ठीक है कि आंदोलन में शामिल किसान नेताओं के अलग-अलग मत हो सकते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो किसान भी नहीं हैं पर आंदोलन में ज्यादा प्रभावी दिखने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे लोगों को लेकर मेरा मत है कि वह किसानों को ही मामले में बातचीत करने दें ताकि सरकार और किसान आपसी बातचीत से इसका समाधान खोज लें।

प्रश्न : किसान आंदोलन को लेकर इनैलो के एकमात्र विधायक अभय सिंह चौटाला इस्तीफा देने की बात कह रहे हैं। स्पीकर ने अब तक मंजूर नहीं किया है। कैसे देखते हैं?
उत्तर : मुझे पता चला है कि इनैलो नेता अभय सिंह चौटाला ने सशर्त तरीके से इस्तीफा दिया है। इसके बारे में विधानसभा स्पीकर ही बता पाएंगे कि आखिर इस्तीफे को वह स्वीकार करते हैं या नहीं। मेरा मानना है कि ऐसे समय में विपक्षी पार्टियांं पूरी तरह से राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम कर रही है, जो ठीक नहीं है।

प्रश्न : किसान आंदोलन में कांग्रेस खासकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह का क्या रोल मानते हैं?
उत्तर : किसान आंदोलन में कांग्रेस की राजनीति जगजाहिर है। कांग्रेस और उनके नेताओं, जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी शामिल हैं, की राजनीतिक महत्वाकांक्षा इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि उन्हें अच्छे-बुरे का पता नहीं चल पा रहा है। कांग्रेस यह सोच नहीं पा रही है कि क्या हित में है और क्या नहीं। मेरा मानना है कि किसानों के आंदोलन को भड़काने की बजाय उन्हें कानून की वास्तविक स्थितियों से अवगत कराना चाहिए।

प्रश्न : किसान आंदोलन का हल किस तरह से निकलेगा। क्या आप मानते हैं कि सरकार को आगे बढ़कर किसानों की मांगों का समाधान करना चाहिए?
उत्तर : देखिए, बातचीत के कई पहलू हैं। इतने दौर की बातचीत में कुछ न कुछ प्वाइंट सामने आया है। अगले दौर की बैठक 19 जनवरी को होनी है। सुप्रीम कोर्ट भी सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से एक सदस्य अलग हो गया है और अब नए सिरे से कमेटी गठित होगी। मेरा मानना है कि अगली बैठक में कुछ न कुछ जरूर निकलेगा।

पंजाब को पूर्व में हुए बंटवारे के अनुसार हरियाणा को पानी देना चाहिए

प्रश्न : करनाल के कैमला में किसानों ने आपकी रैली नहीं होने दी। पुलिस ने सैंकड़ों किसानों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज किया है। क्या सरकार किसानों पर दर्ज मुकद्दमों को वापस लेगी?

उत्तर : देखिए, जब मुझे कैमला में किसानों के उग्र होने के बारे में जानकारी मिली तो मैंने संयम रखते हुए रैली को रद्द कर दिया। रही बात किसानों के खिलाफ कार्रवाई की तो जब भी किसी कार्यक्रम में कोई व्यवधान पड़ता है तो पुलिस मामले की जांच कर व्यवधान डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई करती है। इस मामले में भी पुलिस ने ही मुकद्दमा दर्ज किया है। पुलिस जांच कर यह देखेगी कि मामले में क्या किया जाए। 

प्रश्न : एस.वाई.एल. के मुद्दे पर अब तक हरियाणा-पंजाब के बीच वार्ता क्यों नहीं सिरे चढ़ सकी। क्या आप मानते हैं कि हरियाणा को पंजाब से पानी मिल जाएगा?
उत्तर : मैं हमेशा आशावादी तरीके से वार्ता में शामिल होता हूं। छह वर्षों से मेरा प्रयास है कि मामला सुलझ जाए, ताकि हरियाणा के सूखे खेतों तक पानी पहुंच सके। पंजाब की ओर से बार-बार अड़चन पैदा की जाती है पर मेरा मानना है कि अब मामले का जल्द समाधान होगा और पंजाब को हरियाणा के हिस्से का पानी देना ही पड़ेगा।  

प्रश्न : एस.वाई.एल. पर पंजाब के मुख्यमंत्री का क्या रुख है। केंद्रीय मंत्री के साथ पिछली बैठक में दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच क्या चर्चा हुई थी?
उत्तर : केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ सितम्बर माह में दोनों मंत्रियों के बीच बैठक हुई थी। इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह वर्चुअल तरीके से जुड़े थे। इस बैठक में कुछ मंथन जरूर हुआ था लेकिन उसी दौरान मुझे कोविड हो गया जिस कारण अब तक वार्ता अधूरी रह गई। मैंने दोबारा केंद्रीय मंत्री के समक्ष बैठक का प्रस्ताव रखा है। मुझे यकीन है कि जल्द अगली बैठक में फिर से बातचीत शुरू होगी। इश्यू अब कोई खास नहीं है, पंजाब को पूर्व में हुए बंटवारे के अनुसार हरियाणा को पानी देना चाहिए। 

प्रश्न : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार सरकार को अल्पमत में होने की बात कह रहे हैं। राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की जा रही है लेकिन अब तक उन्हें समय नहीं मिला है। आखिर क्या कारण है?
उत्तर : कांग्रेस और उसके नेता झूठे ख्यालों में डूबे रहते हैं। विधानसभा सत्र बुलाने की क्या जरूरत है। फरवरी में बजट सत्र आ रहा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जो भी प्रस्ताव पेश करना होगा वह उसमें कर लेंगे। सरकार इसके लिए तैयार है और गठबंधन सरकार को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है।

प्रश्न : गत दिनों कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ आपने बिजली मंत्री रणजीत सिंह के निवास पर लंच किया। इस पर सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं हैं, क्या कहना है? 
उत्तर : ऐसा कुछ नहीं है। मुझे बिजली मंत्री रणजीत सिंह का फोन आया था कि वह अपने निवास पर लंच कराना चाहते हैं। मैं चला गया और वहां निर्दलीय विधायकों के साथ भोजन कर चर्चा की। इस मामले को राजनीतिक तौर से नहीं देखना चाहिए। यह सामाजिक सिस्टम है इसमें मुझे भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी लंच के बुलाएं तो वहां भी जा सकता हूं।

प्रश्न : सरकार नौकरियों में पारदर्शिता की बात करती है। पेपर लीक सामने आने पर ग्राम सचिव की लिखित परीक्षा रद्द कर दी गई। सरकार ऐसे मामलों को क्यों नहीं रोक पा रही है?
उत्तर : बिल्कुल जी, यह भी एक तरह की पारदर्शिता ही है कि ग्राम सचिव की परीक्षा का पेपर लीक होने की सूचना मिलते ही सरकार ने रद्द कर दी। पिछली सरकारों की तरह हम काम नहीं करते हैं। हमने गड़बड़ी को पकड़ा, जिसमें पाया गया कि कुछ लोगों ने षड्यंत्र रचकर पेपर लीक करने का काम किया है। पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच चल रही है। मेरा मकसद योग्य युवाओं को रोजगार देने का है जिसके तहत ही परीक्षा को निरस्त किया गया। अब दोबारा परीक्षा आयोजित की जाएगी। 

प्रश्न : आपकी सरकार में स्पोर्ट्स कोटे से ग्रुप डी कर्मियों की भर्ती की गई थी जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है। क्या कारण मानते है?
उत्तर : इस भर्ती में सरकार की ओर से कोई खामी नहीं थी बल्कि खेल के ग्रेडेशन सर्टीफिकेट का मामला था जिसमें कुछ लोगों के सर्टीफिकेट मान्य नहीं किए गए। कोर्ट के आदेशों पर ऐसे लोगों को बाहर किया गया है। 

प्रश्न : विपक्षी दलों की ओर से हरियाणा को बेरोजगारी में नंबर वन कहा जा रहा है। युवाओं को रोजगार देने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
उत्तर : विपक्षी दलों का यह आंकड़ा बिल्कुल गलत है। यह सही है कि सरकार हर किसी को सरकारी नौकरी नहीं दे सकती है। इसकी अपनी सीमा है, लेकिन निजी उद्योगों में रोजगार देने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। पांच वर्षों में पांच लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी मुहैया कराई गई है। प्रदेश में 80 हजार करोड़ रुपए का निवेश हुआ है, जिसमें करीब 48 हजार छोटे-बड़े उद्योग स्थापित हुए हैं। सरकार अब परिवार पहचान पत्र के जरिए परिवारों की आर्थिक स्थिति जानने का प्रयास करेगी जिसके जरिए लोगों को रोजगार व आर्थिक तौर से मदद करने का प्रयास किया जाएगा।

प्रश्न : हरियाणा के बेरोजगारों को निजी उद्योगों में 50 फीसदी नौकरी देने के लिए कानून बनाया गया है। क्या यह कानून सिरे चढ़ जाएगा?
उत्तर : यह कानून बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए ही बनाया गया है। इसमें कुछ तकनीकी खामियां थीं जिसे दूर कर लिया गया है। मेरा मानना है कि जल्द यह कानून सिरे चढ़ जाएगा। उसके बाद हरियाणा के बेरोजगार को योग्यता के अनुसार निजी उद्योगों में रोजगार मिलेगा। 

प्रश्न : प्रदेश में पंचायत चुनाव करीब है। क्या चुनाव समय पर ही होंगे और गठबंधन सरकार किस तरह से लड़ेगी?
उत्तर : पंचायत चुनाव कराना राज्य चुनाव आयोग का काम है। फिलहाल चुनाव समय पर ही होंगे और पंचायतों में इस बार 50 फीसदी महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है। पहले भी हमारी सरकार ने ही पढ़ी-लिखी पंचायतों का प्रारूप तैयार किया था। अब महिलाओं की भागीदारी आधी के साथ चुनाव कराया जाएगा। पंचायत चुनाव किस तरह से लड़ा जाएगा इसके बारे में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।

 


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Manisha rana

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