जिले की आबोहवा दिन-प्रतिदिन हो रही जहरीली, लोगों को सांस लेने में हो रही दिक्कत

punjabkesari.in Friday, Nov 06, 2020 - 09:40 AM (IST)

पलवल (बलराम गुप्ता) : धुन्ध है, धुआं है और धुएं में दफन होती सांसें मिन्नतें कर रही हैं कि धुआं छटे, लेकिन ये धुआं अब हमारे परिवेश का हिस्सा बन गया है। फिल्म ‘गमन’  में एक गीत है, ‘सीने में जलन आखों में तूफान सा क्यों है। इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है। यह गाना आज पलवल जिले के लोगों को अपनी कहानी सी लगती है। आज जिले के लोगों के दिन की शुरुआत यह पता करने से होती है कि आज शहर की आबोहवा कैसी है? आसमान में धुन्ध और धुआं कितना है? आलम यह हो चला है कि लोग घर से बाहर निकलने से पहले जानना चाहते हैं कि हवा में कितना जहर है, फिर देखते हैं कि जहर से बचने के इन्तजाम क्या हैं और बाहर निकलना ही पड़ा तो कितना जहर झेल पाएंगे।

जिले में रहने वाले लोगों के दिल, दिमाग, फेफड़े  और पूरे शरीर पर धीरे-धीरे हवा में घुले जहर का बहुत बुरा असर हो रहा है। सरकार और प्रशासन  भी अभी तय नहीं कर पा रहे है कि क्या करें, जिससे लोगों की सेहत संभाली जा सके। हालांकि अब बात सिर्फ दिल्ली की ही नहीं रह गई है, बल्कि उसके साथ लगता पूरा पलवल जिला भी धुन्ध और धुएं के जोखिमों से जूझ रहा है।दिल्ली-एनसीआर के साथ जुड़े पलवल जिले का जिक्र इसलिए होता है क्योंकि यहां कि आबोहवा के हालात भी दिन-ब-दिन बदतर हो रहे हैं।  

सवाल यह उठता है कि बाहर जाने से खुद को कब तक रोका जा सकता है? यही नहीं, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में केवल ग्रीन पटाखे ही इस्तेमाल किए जाएं। कोर्ट ने पटाखे जलाने की समय सीमा भी तय कर दी थी, लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं है। दिवाली से पहले जिस तरह से जिले में मौसम ने करवट ली है, उसकी उम्मीद शायद ही किसी को होगी। स्मॉग का कहर दिल्ली एनसीआर के साथ पलवल जिले के लोगों पर भी ढाने वाला है। यहां की आबोहवा दिन पर दिन और प्रदूषित होती जा रही है।  जिससे खासतौर पर बच्चों को बचाने की जरूरत है। 


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Manisha rana

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