कोरोना काल की दोनों लहर में भी सीएम विंडो ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका: भूपेश्वर दयाल

punjabkesari.in Tuesday, Sep 14, 2021 - 07:31 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा के लोगों की व्यक्तिगत, सामाजिक व सार्वजनिक हित की शिकायतें सुनने व उनका समाधान करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा वर्ष 2016 से आरंभ की गई सीएम विंडो समाधान का एक सरल, आसान व असरदार तरीका सिद्घ हो रहा है क्योंकि ऐसी शिकायतें हल हुई हैं जिनके बारे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर लोग थक चुके थे और उनके समाधान के बारे सोचना ही बंद कर दिया था।

मुख्यमंत्री के ओएसडी भूपेश्वर दयाल जो चण्डीगढ़ मुख्यालय से सीएम विंडो पर शिकायतों की निरंतर समीक्षा व मॉनिटरिंग करते आ रहे हैं, के अनुसार, मुख्यमंत्री की यह व्यवस्था लोगों के लिए ‘सरल पहुंच बनी है क्योंकि शिकायतों का फीडबैक नियमित रुप से मुख्यमंत्री स्वयं लेते हैं।

उन्होंने बताया कि सीएम विंडो पर अधिकतर शिकायतें पुलिस, पंचायत, खाद्य एवं आपूर्ति, अवैध खनन, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, शहरी स्थानीय निकाय, शिक्षा जैसे विभागों के विरुद्घ मिलती हैं। हमारा प्रयास है कि कम से कम समय में शिकायतों का समाधान कर शिकायतकर्ताओं को संतुष्ट किया जाए। कई मामलों में तो गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर उनसे रिकवरी भी की गई है।

भूपेश्वर दयाल ने बताया कि जवाहर नगर, सोनीपत की करिश्मा ने 11 फरवरी, 2020 को शिकायत की थी कि उसने हर्ष कॉलेज ऑफ एजुकेशन पुरखास से सितंबर 2018 में बी0एड0 की डिग्री पास की थी। परंतु डिग्री देने में कॉलेज यह कह कर आना-कानी कर रहा था विश्वविद्यालय से डिग्री नहीं आई है। विश्वविद्यालय जाती तो कहते कि डिग्री कॉलेज में भेज दी गई है। जब सीएम विंडो पर 2020/015937 शिकायत अपलोड हुई तो कार्यवाही की गई और 21 सितंबर, 2020 उसकी बीएड की डिग्री प्राप्त करवा दी गई है, जिस पर उसने संतुष्टि व्यक्त करते हुए शिकायत वापिस ले ली है।

इसी प्रकार, एक अन्य मामले में यमुनानगर जिले के गांव हवेली के लक्ष्मणदास ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि वे हरियाणा बिजली वितरण निगम के सढौरा कार्यालय से एएफएम के पद से 31 जनवरी, 2010 को सेवानिवृत्त हुए थे और जुलाई 2020 में आवेदन किया था कि 7वें वेतन आयोग के अनुसार उसकी पेंशन जनवरी 2016 से संशोधित की जाए। परंतु अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया कि सीएम विंडो पर 2 अगस्त, 2021 को शिकायत नम्बर 2021/061980 अपलोड की गई। सीएम विंडो के माध्यम से प्रार्थी का ईपीओ नम्बर 6956 वरिष्ठ लेखा अधिकारी पेंशन, पंचकूला को भेजा गया। जिसपर तत्काल कार्यवाही हुई और प्रार्थी की संशोधित पेंशन की बकाया राशि 72,712 रुपये चैक नम्बर 460492 के माध्यम से 12 अगस्त, 2021 को भेज दी गई। पेंशनकत्र्ता ने सीएम विंडो का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने बताया कि शंकर विहार कॉलोनी कंसापुर, यमुनानगर की श्रीमती अनिता देवी ने शिकायत दी थी कि मार्च 2021 में उसके पति का देहांत हो गया था। परन्तु सुधीर पटवारी उसके व बच्चों के नाम जमीन का इंतकाल दर्ज नहीं कर रहा था। सीएम विंडो के संज्ञान के बाद उप-तहसीलदार जगाधरी ने सूचित किया है कि शिकायतकर्ता की जमीन का इंतकाल 24 अगस्त 2021 को दर्ज कर प्रार्थी को इंतकाल की कॉपी दे दी गई थी और उसने लिखित में उसने संतुष्टि दे दी है। उन्होंने बताया कि सीएम विंडो द्वारा सालों-साल पुरानी लम्बित शिकायतों का निपटान कर हरियाणा की जनता के समक्ष अनेकों उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। जिनकी समाचार पत्रों के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी चर्चा हुई है।

मनोहर लाल द्वारा जन शिकायतों के निपटान के लिए शुरू की गई सीएम विंडो के माध्यम से अनेक ऐसी व्यक्तिगत, सामाजिक व सार्वजनिक हित की शिकायतों का समाधान किया गया जा रहा है जिनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही थी और आमजन ने तो इन शिकायतों के निपटान की उम्मीद ही छोड़ दी थी।

चण्डीगढ़ मुख्यालय से सीएम विंडो की मॉनिटरिंग कर रहे मुख्यमंत्री के ओएसडी भूपेश्वर दयाल के अनुसार, मुख्यमंत्री की यह व्यवस्था लोगों के लिए ‘सरकार आपके द्वार’ बन कर उभरी है क्योंकि 25-25 वर्षों पुरानी शिकायतों का निपटान कर हरियाणा के लोगों के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। दयाल के अनुसार कई बार अधिकतर शिकायतें या तो मांग होती है या तो सुझाव होते है या कई मामलों में राजनीतिक द्वेषता भी देखने को मिलती है। उन्होंने बताया कि सी एम विण्डो पर भ्रष्टïचार से सम्बन्धित व व्यक्तिगत समस्याओं से सम्बन्धित शिकायतों पर फोकस तत्परता से कार्यवाही करने का रहता है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के अनुसार आमजन की शिकायतों को सुनने के लिए अब ‘‘जनता दरबार’’ भी लगाना आरम्भ किया गया है, ताकि लोग व्यक्तिगत रुप से सीधे मुख्यमंत्री को अपनी शिकायतें दे सकें।

उन्होंने बताया कि पूर्व संरपचों के विरुद्घ गड़बड़ी करने की शिकायतें मिलती रहती  है और उनके विरुद्घ ‘‘हरियाणा पंचायती राज अधिनियम-1994’’ के तहत कार्यवाही की जाती है। कुछ व्यक्ति कोर्ट में भी चले जाते हैं। इस कारण प्रक्रिया पूरी होने में समय लग जाता है। पिछले एक साल से कोविड-19 के चलते कार्यालयों  में कर्मचारियों की 50 प्रतिशत उपस्थिति ने भी प्रक्रिया को प्रभावित किया है।

कोरोना काल में भी सहायक रही
भूपेश्वर ने बताया कि कोरोना के कारण लंबे समय से सीएम विंडो की रिव्यु में काफी ढील बरती जा रही थी। कोरोना पीक समय पर था, जिस कारण से डिपार्टमेंटल एक्शन थोड़ा ठंडा रखा गया था। अब जल्द ही इसमें एक नई स्पीड देखने को मिलेगी। सॉफ्टवेयर में इस प्रकार के बदलाव किए गए हैं कि जिससे जो अधिकारी काम नहीं करते या काम को बेईमानी से करते हैं, जब वह कहीं दूसरे स्थान पर बदल दिए जाते हैं और वैसी ही शिकायतें उनकी नई जगह पर भी आनी शुरू हो जाती हैं तो इन दोनों के एनालिसिस का सिस्टम सॉफ्टवेयर में इजाद किया गया है। जिससे इस प्रकार के लोग बिल्कुल साफ सामने आ जाएंगे। साथ ही कुछ ऐसे काम है जो होने लायक नहीं हैं लेकिन हम उनके लिए दबाव बना रहे हैं, वह भी इस सॉफ्टवेयर के जरिए चिह्नित हो जाएंगे।

दयाल ने बताया कि हमने अपने सॉफ्टवेयर इस प्रकार से डिवाइस किया है कि जब कोई व्यक्ति एक जैनवन कंप्लेंट डालता है, जैसे महिला अपनी प्रताडऩा, दहेज, छेडख़ानी इत्यादि की शिकायत डालती है तो हमारा सॉफ्टवेयर इतना अपडेट है जिससे तुरंत उसकी शिकायत जनरेट होकर हमारे पास एक एसएमएस जनरेट हो जाता है और संबंधित अधिकारी के पास उसकी कंप्लेंट पहुंच जाती है। यह एक ऑटोमेटिक सिस्टम है। हमें सिर्फ यह देखना है कि अधिकारी ने उस पर कितने समय में कितना संज्ञान लिया। जिस कारण से सोशल मीडिया की शिकायतों का निराकरण ऑलमोस्ट ऑल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल से हो रहा है।

भूपेश्वर दयाल ने इस मौके पर कोरोना के आपातकाल के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि पहली व दूसरी लहर पर हम एक बहुत चौंकाने वाले आंकड़े मिले। पहली लहर का वेरिएंट काफी धीमा था। सीएम विंडो पर केवल 8500 शिकायतें मिली थी, जोकि अस्पताल में दवाई न मिलना, अस्पताल न मिलना इत्यादि शामिल था लेकिन दूसरी लहर का वेरिएंट इतना डरावना था कि लोगों को बहुत लंबा मौका ही नहीं मिला। जिस कारण से हमारी शिकायतों का आंकड़ा काफी कम रहा। साथ में हमारे द्वारा पहली लहर के दौरान लिया गया सबक भी इसमें काम आया। हमने बहुत कुछ सीखा और काम किया। बीच में एक हफ्ते तक ऑक्सीजन व टीके इत्यादि न मिलने को लेकर सोशल मीडिया ग्रीवेंसिस से हमारे ऊपर दबाव था। लेकिन एक हफ्ते में ही मुख्यमंत्री के नेतृत्व में इस मामले का भी समाधान कर लिया गया था।


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Content Writer

Shivam

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