तीसरी लहर अगर आई तो इतनी तीव्रता और भयानक रूप में नहीं आएगी, बहुत कम केस आएंगे: डॉ. लीजा

punjabkesari.in Wednesday, Oct 20, 2021 - 10:04 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): तीसरी लहर की संभावनाओं के चलते केंद्र के साथ-साथ प्रदेश सरकारें भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर थी और कहीं ना कहीं चिंता के संकेत भी समय-समय पर विभाग जारी कर रहे थे। लेकिन सीरो सर्वे की रिपोर्ट हरियाणा प्रदेश के लिए काफी संतोषजनक आई है। क्योंकि इस अध्ययन में प्रदेश के 75 फ़ीसदी लोगों के शरीर में एंटीबॉडी पाई गई है, जिससे वह कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो चुके हैं। इस अध्ययन सर्वे की जिम्मेदारी हरियाणा की एकमात्र लैब पंचकूला को सौंपी गई थी। प्रदेश के हर जिले से आए बड़ी मात्रा में सैंपल की रिपोर्ट बहुत कम समय में सौंपना एक बड़ी जिम्मेदारी थी। लेकिन लैब की इंचार्ज डॉ लीजा ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। जिसके लिए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भी डॉ लीजा की तारीफ करते हुए उनके काम की बेहद सराहना की है। पंजाब केसरी ने डॉ लीजा से इस महत्वपूर्ण विषय पर बातचीत की। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न:- सीरो सर्वे के अध्ययन में आपने क्या पाया है ?
उत्तर:- इस सर्वे में हमारे पास सभी अलग-अलग जिलों से सैंपल आए। जिसमें आदमियों-औरतों और बच्चों के सैंपल लिए गए जिसमें यह पाया गया कि लगभग 75-76 फीसदी लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज बन चुकी हैं। हालांकि 18 साल से ऊपर मेल और फीमेल को वैक्सीन लगाई गई है। बच्चों की वैक्सीनेशन नहीं हुई। उसके बावजूद बच्चे इम्यून हुए हैं। इसका मतलब उन्हें डिजीज हुई है, इसलिए अधिकतर बच्चे इम्यून हो चुके हैं।

प्रश्न:- इस सीरो सर्वे और पिछले सीरो सर्वे में अंतर क्या था ?
उत्तर:- इस सीरो सर्वे और पिछले सीरों सर्वे में अंतर यह था कि पहले हमने आईडीजी जो कॉमन एंटीबॉडीज होती है, वह चेक किया था। इस सर्वे में स्पाइक प्रोटीन जो एक रिसेप्टर बाईंड प्रोटीन होती है जो वायरस रिसेप्टर को बाइंड करता है, उसे हमारी वैक्सीन ब्लॉक लगाती है। इस सर्वे में हमने उसके अगेंस्ट एंटीबॉडी टेस्ट किए हैं।

प्रश्न:- इस काम में कितने सदस्यों ने आपका सहयोग किया है ?
उत्तर:- इस काम में 6 टीमें बनाई गई थी। जिसमें 2-2 लैब टेक्नीशियन थे। मॉर्निंग-इवनिंग और नाइट में हमारे पास तीन एंट्री ऑपरेटर थे। बाकी सभी चिकित्सकों का भी पूरा सहयोग मिला। हम सभी 24 घंटे एक दूसरे के टच में रहे। मैं अस्पताल में ही रही। हमारे सामने इस काम में बहुत सी मुश्किलें भी आई, लेकिन हमने किसी से कुछ नहीं मांगा। अथॉरिटी और एलटी की हेल्प से हमने यह काम बहुत सही समय पर पूरा किया है। हालांकि मैं पहले डर भी रही थी कि इतनी बड़ी मात्रा में सैंपल साइज कहीं हम समय पर पूरे न कर पाए।

प्रश्न:-पूरे प्रदेश में से पंचकूला की लैब को यह जिम्मेदारी सौंपी जाना, इसे कितनी बड़ी उपलब्धि मानती हैं ?
उत्तर:- मैं सारी अथॉरिटी, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री, कमिश्नर, डीजी सभी की आभारी हूं कि उन्होंने मुझ पर इतना भरोसा किया कि मैं यह काम कर सकती हूं। मैंने भी वायदा किया था कि इस काम को करूंगी। मैंने इस चुनौती को अपनी तरफ से बहुत अच्छे से पूरा किया है। पूरा डाटा हमने आईडीएसपी डायरेक्टर डॉ उषा गुप्ता को सौंप दिया है।

प्रश्न:- यह काम आपके लिए कितना बड़ा चैलेंज था ?
उत्तर:- सैंपल रिसीव करना, टेंपरेचर मेंटेन एक बड़ा चैलेंज था। इस काम के लिए बहुत सी चीजें चाहिए थी। लेकिन मैंने एचएमएसीएल और अथॉरिटी की हेल्प से सभी का इंतजाम करके काम को किया है। इसमें हमारा कई बार बहुत समय खराब हुआ। क्योंकि कई बार सैंपल फेल हो जाने के कारण दोबारा लगाने पड़े। कई बार 200 सैंपल लगाने के बाद भी दोबारा लगाने में बहुत दिक्कत हुई। लेकिन इस काम में एलटी ने बहुत बड़ा सहयोग दिया। उन्होंने 24- 24 घंटे तक अपनी ड्यूटीयां की।

प्रश्न:- फरीदाबाद में सैंपलिंग दोबारा करने के क्या कारण हैं ?
उत्तर:- कई बार सैंपल वॉल्यूम कम होता है। क्लॉट होने की वजह से मशीन नहीं उठाती। फरीदाबाद में भी 10 फ़ीसदी सैंपल ऐसे रहे जिन्हें मशीन ने नहीं उठाया। हालांकि फरीदाबाद के हमारे पास ज्यादा सैंपल आये हमने सारे प्रोसेस कर दिए थे। लेकिन 10 फ़ीसदी रह गए। क्योंकि फरीदाबाद में पॉजिटिविटी ज्यादा रही थी। इसलिए री कन्फर्म करने के लिए दोबारा होंगे।

प्रश्न:- पीजीआई रोहतक को भी कुछ सैंपल आपने इकट्ठे करके भेजने हैं। उसका क्या कारण है ?
उत्तर:- पीजीआई रोहतक के लिए हमने सैंपल रखे हुए हैं। वह अपनी स्टडी के लिए इन सैंपल्स को लेंगे। हालांकि हमने उन्हें सब कुछ दे दिया है। उन्हें कांटेटिव डाटा तक दे दिया गया है। अगर फिर भी उन्हें जरूरत पड़ेगी तो हमसे ले लेंगे।

प्रश्न:- आपकी पूरी रिपोर्ट- पूरे अध्ययन का निचोड़ पूछे तो क्या रहा ?
उत्तर:- यह अध्ययन बहुत अच्छा रहा। हम 75 से 80 फ़ीसदी तक एंटीबॉडीज की उम्मीद कर रहे थे जो कि हमारी सोच- हमारी उम्मीद सही रही। तीसरी लहर अगर आई भी तो इतनी तीव्रता और इतनी भयानक रूप में नहीं आएगी। बहुत कम पॉजिटिव केस आएंगे। इसलिए तीसरी लहर का डर हमें निकाल देना चाहिए। हमारे भारत देश की वैक्सीनेशन बेहद कामयाब रही है। जिसने तीसरे लहर को रोक दिया है। भारत की वैक्सीनेशन का रिजल्ट बेहद संतोषजनक रहा है।

प्रश्न:- कुल कितने सैंपल लिए गए, पिछले सीरो सर्वे के बारे में भी कुछ बताएं ?
उत्तर:-  यह सर्वे कुल 36500 सैंपल से किया गया, जोकि 22 जिलों से आए। सीरो सर्वे से यह साफ हो गया कि जो वैक्सीनेशन हमने की है उनमें से कितने लोग इम्यून हो गए हैं? हम तीसरी लहर से लड़ने के लिए कितने तैयार हो गए हैं ? तीसरी लहर को हम किस हद तक काबू कर पाएंगे ? इससे यह साफ हो गया है कि तीसरी वेव ज्यादा सीरियस नहीं रह पाएगी। पहली बार के सीरो सर्वे में 8 फ़ीसदी और दूसरी बार में 14.3 लोगों में एंटीबॉडी पाई गई। एंटीबॉडी दो प्रकार से बनती है। एक जिन्हें कोविड हुआ हो, दूसरा जिन्होंने वैक्सीनेशन ली हो उनमें बनती है। तीसरा सीरो सर्वे दोनों को मद्देनजर रखकर किया जा रहा है। इससे फर्स्ट डोज लेने के बाद नेचुरल एंटीबॉडी किसकी बनी है और दूसरी डोज लेने के बाद किसकी बनी है यह क्लियर हो गया है। कोविशील्ड और को-वैक्सीन लगवाने के बाद कितनी- कितनी एंटीबॉडी बनी, इसका भी पता चल गया। हिंदुस्तान का पहला इतने बड़े सैंपल साइज वाला यह सीरो सर्वे है। जिसमें 6 साल से अधिक उम्र के बच्चों को भी कवर किया गया।


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Content Writer

vinod kumar

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