डेंटल सर्जन भर्ती घोटाला: विजिलेंस की जगह उच्च न्यायालय की देखरेख में हो मामले की जांच- सुरजेवाला

punjabkesari.in Thursday, Aug 04, 2022 - 05:31 PM (IST)

डेस्क: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रदेश के बहुचर्चित एचसीएस/डेंटल सर्जन भर्ती घोटाले की जांच पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में कराए जाने की मांग की है। सुरजेवाला का कहना है कि मामले की जांच के नाम पर विजिलेंस केवल पाखंड कर रही है। उनका आरोप है कि पर विजिलेंस की टीम घोटाले में शामिल बड़े मगरमच्छों को बचाने का प्रयास कर रही है। सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री के कहने पर विजिलें ने इस घोटाले में शामिल सभी बड़ी मछलियां को बचा लिया है।

 

सुरजेवाला ने विजिलेंस पर आरोपियों को बचाने का लगाया आरोप

 

सुरजेवाला ने एक प्रेस वार्ता कर कहा कि मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस शुरू से ही यह मांग कर रही है कि इस घोटाले की जांच विजिलेंस की बजाए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से करवाई जाए। उन्होंने कहा कि अभी तक की जांच के आधार पर यह बिल्कुल साफ है कि विजिलेंस केवल अनिल नागर जैसे छोटे स्तर के अधिकारी को मोहरा बनाकर एचपीएससी के सदस्यों तथा सरकार से जुड़े लोगों को बचा रही है। खट्टर सरकार ने तमाम नैतिकताओं को ताक पर रखते हुए विजिलेंस जांच के नाम पर सभी घोटाले बाजों को क्लीन चिट देकर मुक्त कर दिया है। इस दौरान उन्होंने सवाल किया कि एचपीएससी के चेयरमैन आलोक वर्मा को अब तक भी जांच में शामिल क्यों नहीं किया गया?

 

घोटाले में शामिल हैं मुख्यमंत्री के करीबी लोग- सुरजेवाला

 

उन्होंने कहा कि इस भर्ती घोटाले की प्रारंभिक जांच में ही एचपीएससी के चेयरमैन आलोक वर्मा की संलिप्तता के प्रारंभिक सबूत सामने आए थे। इसके बावजूद भी आलोक वर्मा को विजिलेंस ने जांच में शामिल नहीं किया। सभी लोग जानते हैं कि एचपीएससी के चेयरमैन आलोक वर्मा सीएमओ से एचपीएससी में आए हैं तथा उनकी गिनती मुख्यमंत्री खट्टर के बेहद करीबी लोगों में होती आई है। उन्होंने पूछा कि कहीं खट्टर साहब को यह डर तो नहीं सता रहा कि यदि आलोक वर्मा को जांच के दायरे में लाया गया तो इस घोटाले की जांच की आंच उनके अपने सीएमओ तक भी पहुंच सकती है ?

 

ऐसे शुरू हुई थी डेंटल सर्जन भर्ती घोटाले में विजिलेंस की जांच

 

डेंटल सर्जन भर्ती में ओएमआर शीट खाली छोड़ने वालों का चयन करने के मामले में स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर को 90 लाख कैश के साथ उनके कार्यालय से पकड़ा था। यह पैसा अनिल नागर का सहायक झज्जर निवासी अश्विनी देने पहुंचा था। क्योंकि विजिलेंस ने उसके घर से करीब एक करोड़ आठ लाख रुपये की राशि बरामद की थी। उसने खुलासा किया था कि इसमें से 90 लाख अनिल नागर के हिस्से के हैं। विजिलेंस के कहने पर वह पंचकूला कार्यालय में पैसे देने के लिए पहुंचा और अनिल नागर ने जब उससे कैश लिया तो विजिलेंस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। मामले में सबसे पहले 17 नवंबर को भिवानी निवासी नवीन को पंचकूला में ही 20 लाख लेते पकड़ा था।

 

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Content Writer

Gourav Chouhan

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