संदेह के घेरे में रही HSSC की संवैधानिकता, नियमों को ताक पर रखकर हुई थीं नियुक्तियां!

punjabkesari.in Thursday, Apr 12, 2018 - 09:36 AM (IST)

चंडीगढ़(नरेन्द्र वत्स): हरियाणा में योग्य युवाओं की नौकरियों पर डाका डालने वाले हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की खुद की संवैधानिक वैधता ही संदेह के घेरे में है। आर.टी.आई. के तहत मांगी जानकारी के अनुसार आयोग के चेयरमैन ने ही नियुक्ति के लिए अंतिम तिथि के करीब डेढ़ माह बाद आवेदन किया था। अन्य सदस्यों ने भी आवेदन फॉर्म में ही कई त्रुटियां की हुई थीं जबकि इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अगर नियुक्ति के नियमों का ही पालन नहीं हुआ तो आयोग को वैध कैसे माना जाए।
आर.टी.आई. के तहत आयोग के सदस्यों की ओर से किए गए आवेदन संबंधित जानकारी मांगी गई थी। 

आर.टी.आई. के तहत भेजी गई जानकारी चौंकाने वाली है। आयोग के चेयरमैन और सदस्यों के लिए सीधे तौर पर चीफ सैक्रेटरी को आवेदन नहीं किया जा सकता। आवेदन मंडल आयुक्त के पास भेजे जाते हैं। इसके बाद मंडल आयुक्त पात्र आवेदक की सिफारिश प्रधान सचिव को भेजते हैं। आयोग के सदस्यों के आवेदन फॉर्म पर मंडल आयुक्तों की मोहर तक नहीं है जिससे यह साफ हो जाता है कि नियुक्तियों में नियमों की कोई पालना नहीं की गई। आर.टी.आई. से उपलब्ध जानकारी के अनुसार आयोग में नियुक्तियों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसम्बर, 2014 थी। यानी इसके बाद किए जाने वाले आवेदन मान्य नहीं थे। आयोग के अध्यक्ष भारत भूषण गोगिया के आवेदन पर 23 फरवरी, 2015 तिथि है। उन्होंने अंतिम तिथि के करीब डेढ़ माह बाद आवेदन किया था। नियमानुसार उनका आवेदन निरस्त होना चाहिए था लेकिन उन्हें आयोग का चेयरमैन बना दिया गया। इसी तरह आयोग के सदस्य नीलम अवस्थी ने अंतिम तिथि के 19 दिन बाद यानी 19 जनवरी, 2015 को आवेदन किया था जो नियमानुसार स्वीकार नहीं किया जाना था। इसके बाद भी उनके आवेदन फॉर्म को स्वीकार कर सदस्य बना दिया गया। 

दिलचस्प बात यह है कि आयोग के सदस्य अमरनाथ के आवेदन फॉर्म पर कोई तिथि ही अंकित नहीं है। कोई भी आवेदन फॉर्म बिना तिथि के मान्य नहीं होता। इसके बावजूद अमरनाथ को सदस्य बनाने में कोई संकोच नहीं किया गया था। ऐसा ही मामला एक अन्य सदस्य भोपाल सिंह का है। उसके आवेदन फॉर्म पर तो फोटो तक नहीं है। हालांकि अमरनाथ ने अंतिम तिथि से पहले ही आवेदन किया था लेकिन बिना फोटो के वैध मान लिया गया। जब आयोग के गठन में ही नियमों को ताक पर रखा गया था तो इसकी भूमिका खुद ही संदेह के घेरे में आ रही है। खास बात यह भी है कि कुछ समय पहले भारत भूषण भारती के बेटे पर पैसों के लेन-देन के आरोप वाला एक ऑडियो वायरल हुआ था। उसके बाद विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला था। सी.एम. ने कोई कार्रवाई करने की बजाय चेयरमैन का कार्यकाल और बढ़ाकर विपक्ष के आरोपों का करारा जवाब अपने ही अंदाज में दे डाला। 

आयोग की भर्तियों पर भी सवाल
जिस आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्तियां ही नियमों को ताक पर रखकर की गई हों, उसे संवैधानिक कैसे माना जा सकता है। सवाल यह भी है कि जब आयोग का गठन असंवैधानिक तरीके से किया गया तो उसकी ओर से की गई हजारों भर्तियां भी वैध नहीं मानी जा सकतीं। इस समय आयोग में बड़ा घोटाला सामने आ चुका है। जांच जारी है। विपक्ष न्यायिक जांच की मांग कर रहा है। सरकार पर जमकर निशाना साधा जा रहा है। भाजपा लगातार आयोग के सदस्यों को क्लीन चिट दे रही है। सरकार मामले की सी.बी.आई. जांच करवाने के मूड में नजर नहीं आ रही। 

एक और ऑडियो हुआ वायरल
एच.एस.एस.सी. भर्ती घोटाला उजागर होने के बाद जहां विपक्ष सरकार पर लगाातार वार कर रहा है, वहीं एक ओर चेयरमैन के बेटे का नौकरी से जुड़ा ऑडियो वायरल हो गया है। इससे सरकार की परेशानी बढ़ सकती है। ऑडियो में हिसार का रहने वाला युवक दूसरे काला नाम के व्यक्ति को बता रहा है कि उसने काला के भतीजे को बिना पैसे नौकरी दिलाई है। काला उसको बताता है कि नौकरियों के नाम पर उसके गांव के ही कई युवकों से पैसे लिए गए हैं। इसके बाद दूसरा युवक कहता है कि अकेले वह 22 युवकों को नौकरी लगा चुका है। काला फिर उससे सवाल करते हुए कहता है कि अकेले उसी ने इतने युवकों को नौकरी लगा दिया, तो और नेताओं का क्या होगा। युवक उसे बताता है कि वह इंटरव्यू के दौरान युवकों की मदद करता है, जिससे उन्हें नौकरी मिल जाती है। काला उसे बातचीत का ऑडियो वायरल करने की धमकी भी देता है। यह ऑडियो भी विपक्ष के लिए सरकार को घेरने का माध्यम न सकता है। 

सी.एम. खट्टर ने दिखाई फिर सख्ती
एच.एस.एस.सी. घोटाला उजागर होने के बाद भले ही प्रदेश सरकार को विपक्ष के आरोपों का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन हकीकत यह है कि सी.एम. मनोहरलाल खट्टर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। सी.एम. फ्लाइंग ने एक बार फिर सरकार की भ्रटाचार विरोधी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए फरीदाबाद के आबकारी एवं कराधान विभाग में करोड़ों रुपए का घोटाला पकड़ा है। सी.एम. फलाइंग की इस कार्रवाई के बाद ऐसे विभागों में हड़कंप मच गया है, जहां भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता है।


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Nisha Bhardwaj

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