भाजपा-जजपा की कड़ी परीक्षा लेगा धारूहेड़ा नपा चेयरमैन चुनाव
punjabkesari.in Friday, Sep 03, 2021 - 09:44 AM (IST)
रेवाड़ी (योगेंद्र सिंह) : धारूहेड़ा नगर पालिका चेयरमैन का उपचुनाव प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार के लिए किसी प्रकार की अज्नि परीक्षा से कम नहीं है। यह चुनाव परिणाम तय करेगा कि प्रदेश में गठबंधन सरकार की कार्यशैली पर जो सवार उठ रहे हैं उसमें वह पास होगी या फैल। भाजपा-जजपा ने चेयरमैन पद के लिए राव मानसिंह पर दांव खेला है और जीत का दंभ भी भर रहे हैं। हालांकि गठबंधन के प्रत्याशी राव मान सिंह 27 दिसंबर 2020 में हुए नगर परिषद चेयरमैन चुनाव में छठें नंबर पर रहे थे और इसी के चलते उनकी जीत को लेकर संशय का माहौल बन रहा है। हालांकि जो भी होगा वह 12 सितंबर को सभी के सामने आएगा लेकिन यह तय है कि चेयरमैन चुनाव में कांटे का मुकाबला होगा। दिसंबर 2020 चुनाव जीतने वाले कंवर सिंह ने भले ही मार्कशीट पर उठे सवाल के बाद कुर्सी गंवा दी लेकिन इस चुनाव में उन्होंने अपने पुत्र-बहू को मैदान में उतार चुनाव को दिलचस्प कर दिया है। दूसरी ओर भाजपा की ओर से टिकट के प्रबल दावेदार संदीप बोहरा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरकर भाजपा-जजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
दिसंबर 2020 में हुए धारूहेड़ा नगर पालिका चेयरमैन चुनाव में कंवर सिंह ने बाजी मारी थी लेकिन दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशी ने उनकी मार्कशीट पर सवाल उठाकर चुनाव आयोग को शिकायत की थी। इसके चलते जांच हुई और शपथ लेने से पहले ही कंवर सिंह के चुनाव को रद्द कर दिया गया। उस समय ना तो चेयरमैन ने ना ही पार्षदों ने शपथ ली थी। कई माह बाद पार्षदों को जहां शपथ दिलाई गई वहीं अब चेयरमैन के उप चुनाव होने जा रहे हैं। 2020 के चुनाव में भी कंवर सिंह के मुकाबले जजपा ने राव मान सिंह पर दांव लगाया था। उस चुनाव में राव मान सिंह कहीं पर भी मुकाबले में नजर नहीं आए। यही कारण रहा कि वह जीत के करीब तो दूर दो व तीन नंबर पर भी नहीं आए। उस चुनाव में वह छठें नंबर पर रहे थे। अबकी बार भाजपा-जजपा ने संयुक्त रूप से राव मानसिंह पर दांव लगाया है। 2020 चुनाव में बुरी तरह पराजय झेलने वाले राव मान सिंह इस चुनाव में क्या गुल खिलाएंगे यह तो 12 सितंबर को पता चलेगा लेकिन यह चुनाव जीतना किसी के लिए भी इतना आसान भी नहीं है।
इसी के चलते जजपा इस बार चेयरमैन चुनाव जीतने को लेकर कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती है। वह जीत के साथ भाजपा को यह बताने का प्रयास करेगी कि अब उसकी स्थिति पहले के मुकाबले दक्षिण हरियाणा में सुधर रही है और वह मजबूती के साथ अपना वोट बैंक अहीरवाल क्षेत्र में बना रही है। खैर यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा। हालांकि यह जरूर है कि वर्ष २०२० में चुनाव जीतने वाले कंवर सिंह ने अपने बेटे जितेंद्र एवं कवरिंग कैंडीडेट के तौर पर अपनी बहू सुदेश को मैदान में उताकर चुनाव को दिलचस्प अवश्य बना दिया है। भाजपा की ओर से टिकट मांग रहे संदीप बोहरा को नजरअंदाज कर जब टिकट राव मान सिंह को मिल गया तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडऩे का एलान कर नामाांकन दाखिल कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि गठबंधन की मजबूरी के चलते भाजपा के खाते का टिकट कटा लेकिन धारूहेड़ा के हित के लिए वह काम कर रहे थे और किसी ओर को टिकट देने से वह चुनाव नहीं जीत जाएगा। चुनाव में वहीं विजय होंगे। इस नई राजनीतिक घटनाक्रम ने गठबंधन के साथ ही उनके प्रत्याशी राव मानसिंह की मुश्किलें अवश्य बढ़ा दी हैं।
जजपा के लिए करो या मरो की स्थिति
चेयरमैन का टिकट जजपा के खाते में गया लेकिन दिसंबर 2020 चुनाव में छठें नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी को ही दोबारा चुनाव मैदान में उतारने के निर्णय पर कई लोग सवालिया निशान लगा रहे हैं। बावजूद भाजपा-जजपा दोनों के नेता ही चुनाव जीतने के लिए एकजुट होकर चुनाव लडऩे की बात कह रहे हैं लेकिन अंदरखाने क्या चल रहा इसका सभी इंतजार कर रहे हैं। जजपा के लिए यह करो या मरो वाली स्थिति है। उसने भाजपा को संतुष्ट कर टिकट तो हासिल कर लिया लेकिन यदि पिछले चुनाव के समान परिणाम रहा तो आने वाले समय में पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव के समय उसे टिकट देने पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। हालांकि चेयरमैन चुनाव में जीत के लिए जजपा अपनी तरफ से शत प्रतिशत प्रयास कर रही है और इसी के चलते राव मान सिंह को जीताने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अजय सिंह, प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता पसीना बहाएंगे।
गठबंधन का रिपोर्ट कार्ड हो सकता है चुनाव परिणाम
किसान बिल को लेकर किसान आंदोलनरत हैं और प्रदेश में भाजपा-जजपा मंत्रियों के हर कार्यक्रम का जमकर विरोध कर रहे हैं। इसके चलते भाजपा-जजपा सरकार लोगों से सीधा संपर्क नहीं कर पा रही है। साथ ही कोरोना काल में भी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे थे। धारूहेड़ा नगर पालिका चेयरमैन चुनाव का परिणाम यह तय करेगा कि अब क्षेत्र के लोगों की नाराजगी का स्तर क्या है। अगर यह कहें कि यह चुनाव गठबंधन सरकार का एक प्रकार का रिपोर्ट कार्ड हो सकता है, तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसी के चलते भाजपा-जजपा चुनाव जीतने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोडऩा चाहते हैं।
कांग्रेस पर सभी की नजर
कांग्रेस ने यह तो साफ कर दिया कि वह इस चुनाव में सिंबल पर नहीं लड़ेगी। साथ ही इस बात पर अभी तक स्थिति साफ नहीं है कि कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों के पक्ष में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, विधायक आदि चुनाव प्रचार के मैदान में उतरेंगे या नहीं। अभी तक दो प्रत्याशी कांग्रेस समर्थित बताए जा रहे हैं और इस स्थिति में कांग्रेस नेता किसका समर्थन करेंगे यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। जानकार बताते हैं कि कांग्रेस संभवत : पीछे से अपने प्रत्याशी का सपोर्ट करेगी और जो भी जीतेगा उसे अपना समर्थन देगी। इसी के चलते भाजपा-जजपा की नजर कांग्रेस रणनीति पर है।