भाजपा के बहुत से सांसद और विधायक दबी आवाज में भाजपा के खिलाफ बोल रहे हैं: बुद्धिराजा

punjabkesari.in Sunday, Dec 27, 2020 - 05:04 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा ने हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा रोडवेज के किराए में 33 प्रतिशत इजाफा करने के फैसले पर कड़ा विरोध करते हुए चेतावनी दी है। साथ ही कहा है कि अगर सरकार इस फैसले को जल्द से जल्द वापस नहीं लेती तो एनएसयूआई सड़कों पर उतरकर लड़ाई लडऩे के लिए तैयार हैं और अगर जरूरत पड़ी तो परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का भी घेराव करेंगे।

उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा सरकार के रवैए पर कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि पंजाब से चलने वाले और दिल्ली पहुंचने वाले किसानों पर पंजाब और दिल्ली सरकार को कोई आपत्ति नहीं थी तो फिर हरियाणा सरकार को क्यों थी। क्यों किसानों पर द्वारा अंबाला, कुरुक्षेत्र में वाटर कैनन और लाठी-डंडों का प्रयोग किया गया। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। साथ ही साथ उन्होंने हरियाणा के उप मुख्यमंत्री को भी आड़े हाथों लिया और उन पर कई कटाक्ष किए। 

दिव्यांशु के साथ हुई बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न:-
हरियाणा रोडवेज द्वारा बसों के किराए बढ़ाए जाने की सूचना है। असर छात्रों पर भी पड़ेगा, क्या कहेंगे?
उत्तर:- हरियाणा सरकार का यह फैसला बड़ा निंदनीय, बड़ा आलोचनात्मक है। जहां कोरोना के समय में छात्रों को, विद्यार्थियों को, युवाओं को राहत दी जानी चाहिए थी। ऐसे समय में यह सरकार इनकी जेब पर डाका डालना चाह रही है। बहुत से मेधावी, गरीब विद्यार्थी अपने गांव से उठकर स्कूल-कॉलेज में जाते हैं। उन पर अब 33 प्रतिशत का बोझ डालने की कोशिश की जा रही है। इसमें 50 से 60 किलोमीटर के रेडियस में लगभग जो पास 408 में बनता था अब 600 में बनेगा। 26 से 30 किलोमीटर के रेडियस में 204 वाला 300 में बनेगा। 31 से 40 रेडियस वाला पास 272 से 400 में बनेगा। इसका मतलब प्रति किलोमीटर खट्टर सरकार नए 3 रुपए बढ़ा दिए हैं। एनएसयूआई इसकी कड़ी शब्दों में निंदा करती है और अपील करती है कि ऐसे समय में जब विद्यार्थियों के अभिभावकों के पास कमाई के साधन नहीं है। लोगों के काम ठप हो चुके हैं। बेफिजूल का बोझ इनकी जेब पर ना डाला जाए। इस तुगलकी फरमान को खट्टर साहब को तुरंत वापस लेना चाहिए।

प्रश्न:- आमतौर पर इसके द्वारा किस प्रकार का बोझ आपको लगता है जो विद्यार्थियों को परेशान करेगा?
उत्तर:- गरीब विद्यार्थी अपनी फीस बड़ी मुश्किल से भर पाता है। इससे अभिभावकों की जेब पर बहुत भारी असर पड़ेगा। कई लाख विद्यार्थी इससे प्रभावित होंगे। एक और तो हरियाणा ट्रांसपोर्ट के हालात ही बहुत बुरे हैं। कई जगह पर गांव से यूनिवर्सिटी तक का रूट तक नहीं है और दूसरी तरफ इसके द्वारा लूटने की तैयारी की जा रही है।

प्रश्न:- आने वाले समय में स्कूल-कॉलेज खोलने की तैयारी में है। सरकार एनएसयूआई का स्टैंड क्या है?
 उत्तर:- हाल ही में ब्रिटेन में कोरोना का एक एडवांस वर्जन सामने आया है। अभी के हालातों को देखते हुए मेरा मानना है कि अभी सरकार को यह फैसला नहीं लेना चाहिए। ऑनलाइन एजुकेशन को अभी जारी रखना चाहिए। सबसे पहले विद्यार्थियों की युवाओं की सेहत है बाकी सब बाद की बातें हैं।

प्रश्न:- किसानों ने दिल्ली को चारों ओर से घेरा है। एनएसयूआई की क्या सोच है?
उत्तर:- इसमें सबसे बड़ी नालायकी मनोहर लाल खट्टर की है। जब यह आंदोलन शुरू हुआ तो पंजाब से उठकर किसान दिल्ली जा रहे थे। पंजाब और दिल्ली की सरकार को कोई दिक्कत नहीं थी तो हरियाणा सरकार ने जगह-जगह कहीं अंबाला और कहीं कुरुक्षेत्र में वाटर कैनन का, लाठी डंडों का इस्तेमाल करके, गड्ढे खुदवा कर उन्हें रोकने की कोशिश की। लेकिन नहीं रोक पाए आज किसान दिल्ली बॉर्डर पर जाकर बैठे हैं। इतनी ठिठुरते ठंड में बहुत से बुजुर्ग इसमें शहीद हो गए। मैं मोदी सरकार से अपील करना चाहूंगा कि यह आंदोलन राजनीतिक नहीं बल्कि जन आंदोलन है। इसके साथ पूरे देश की भावना इन किसानों के साथ जुड़ी है। इन तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए।

प्रश्न:- सत्ता पक्ष इसे कांग्रेस प्रायोजित आंदोलन कह रहा है?
उत्तर:- वहां जाकर देखें आपको एक भी कांग्रेसी बैठा नजर नहीं आएगा। पंजाब में अकालियों के साथ भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन था। बहुत पुराना मेलजोल था। आज एनडीए के बहुत से पार्टनर इसके खिलाफ हैं। आज भाजपा के बहुत से विधायक और सांसद दबी आवाज में आवाज उठाने लगे हैं। सरकार को प्रापेगेंडा की राजनीति छोड़कर जमीनी लेवल पर किसानों की बात सुननी चाहिए।


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Shivam

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