हरियाणा और पंजाब में बड़े स्तर पर फैल रहा नशा, 10 साल में 1,578 युवाओं की मौत

punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2020 - 08:55 AM (IST)

सिरसा (नवदीप सेतिया) : चिट्टा हरियाणा और पंजाब में आतंक का पर्याय बन गया है। पिछले 10 साल में ही इन दोनों राज्यों में नशे के चलते 1,578 युवाओं ने सुसाइड कर लिया। यह सरकारी आंकड़ा है। 70 फीसदी नशेडिय़ों की मौत पर न तो मातम होता है और न ही पोस्टमार्टम। ऐसे में नशे से मरने वालों की संख्या हजारों में है। नशे का यह फैलता जाल ही है कि पंजाब व राजस्थान से सटे सिरसा जिले के सिविल अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में अकेले 2019 में 26 हजार से अधिक नशेडिय़ों की ओ.पी.डी. हुई।

सिरसा व पंजाब के बहुतेरे इलाकों में अब लोग अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और अच्छे करियर की बजाय उनके गलत संगत में न पडऩे को लेकर अधिक फिक्रमंद हैं। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ओर से अभी हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 2018 में हरियाणा में नशे के चलते 139 जबकि पंजाब में 55 नौजवानों ने सुसाइड किया। सुसाइड से इतर नशे की ओवरडेज से हर रोज अनेक युवा मौत के मुंह में समा रहे हैं।

सिंथैटिक ड्रग्स गिरोह अपने आप में इन दोनों राज्यों में आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बन गया है। चिट्टे के बाद अब म्याऊं-म्याऊं व चार्ली जैसे खतरनाक नशे आ गए हैं। कोढ़ में खाज यह है कि दोनों ही राज्यों में नशेडिय़ों के इलाज व पुनर्वास के लिए कोई मल्टीस्पैशलिटी ड्रग डी एडिक्शन एंड रिहैब्लीटेशन सैंटर नहीं है। दरअसल हरियाणा व पंजाब राज्यों में नशा अब एक बड़ी समस्या बन गई है।

स्कूल-कालेजों में टीनएजर से लेकर नौजवानी नशे में बर्बाद हो रही है। पंजाब में नौजवानों के नशे के दलदल में धंसने पर बॉलीवुड मूवी बनी पर नशे के आंकड़े हरियाणा के लिहाज से भी रुलाने वाले हैं। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार ही 2009 से लेकर 2018 में नशे की वजह से हरियाणा में 856 जबकि पंजाब में 722 लोगों की मौत हो चुकी है। 


 


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Isha

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