किसान फसल को कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर : अभय

punjabkesari.in Wednesday, Apr 08, 2020 - 08:38 AM (IST)

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार द्वारा 15 अप्रैल से सरसों व 20 अप्रैल से गेहूं की फसल की खरीद शुरू करने के बयान पर इनैलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि सरसों की फसल तो पहले ही किसानों ने निकाल कर अपने घरों में मजबूरीवश भंडारण करके रख ली है।

किसान तो गेहूं की अप्रैल के पहले हफ्ते में ही खरीद शुरू करने की उम्मीद लिए बैठे थे और मेवात जिले में सरसों की फसल की आवक तो फरवरी के आखिरी हफ्ते में मंडियों में आनी शुरू हो जाती है और रेवाड़ी-नारनौल में मार्च माह के दौरान तैयार हो जाती है। अब इस क्षेत्र के किसान सीधे कारखानों में समर्थन मूल्य से कम भाव पर सरसों बेचने पर मजबूर हैं। 

कोरोना वायरस की वजह से सरकार की मजबूरी को हम सभी समझते हैं और लॉकडाऊन का पालन करना भी अनिवार्य है परंतु किसानों की भी मजबूरी है कि उन्हें अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए भी तो पैसे की आवश्यकता है। सरकार किसानों की सरसों और गेहूं की खरीद के लिए जो प्रबंध करने जा रही है अगर वह पहले ही किए जाते तो किसानों को अपनी फसलें औने-पौने दामों पर मजबूरीवश न बेचनी पड़ती।

उन्होंने कहा कि अभी तक खरीद के बारे में मंडियों में खरीद एजैंसियों द्वारा प्रबंध न के बराबर हैं। अभी तक यह भी सुनिश्चित नहीं कि कौन सी एजैंसी का किस मंडी में कितनी गेहूं व सरसों की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि सूत्रों से पता चला है कि केंद्रीय नेतृत्व के दिशा-निर्देश के अनुसार इस बार केवल गेहूं की उतनी ही खरीद की जाएगी जितनी सरकार को ‘जनतक वितरण प्रणाली’ में आवश्यकता है।

सरकार को इस हालात में ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ की जो शर्तें हैं उनमें ढील देनी चाहिए क्योंकि हो सकता है सभी किसानों ने अपनी फसलों के ब्योरे का इस पोर्टल पर पंजीकरण न करवाया हो। सरसों व गेहूं की फसल के लिए सरकार को किसी भी तरह की पाबंदी या कैप नहीं लगाना चाहिए। 


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Edited By

Manisha rana

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