54 बरस में पहली बार पंजाब के किसानों की वजह से खड़ा हुआ बड़ा आंदोलन, पैदा हो सकता है संकट!

punjabkesari.in Sunday, Nov 29, 2020 - 05:05 PM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): हरियाणा में किसान आंदोलनों का एक बड़ा पुराना इतिहास है। पर हरियाणा गठन होने के बाद 54 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब पंजाब के किसानों की वजह से हरियाणा में एक बड़ा किसान आंदोलन खड़ा हुआ है और इस आंदोलन के चलते ही एक बार फिर से बड़े व छोटे भाई का रिश्ता मजबूती से उभर कर सामने आया है। हरियाणा के बॉर्डर इलाकों में 80 प्रतिशत से अधिक पंजाब के किसान डेरा डाले हुए हैं। खास बात यह है कि पंजाब के हजारों किसानों ने 4 से 6 माह के राशन के साथ दिल्ली बॉर्डर पर अलग-अलग जगहों पर डेरा डाल दिया हैं। इससे पहले पंजाब में विभिन्न इलाकों में पिछले करीब 78 दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। 26 नवम्बर को पंजाब की तीन दर्जन जत्थेबंदियों ने रणनीति बनाते हुए दिल्ली कूच करने का आह्वान किया। 

पंजाब की भौगोलिक स्थिति के नजरिए से पंजाब के हजारों किसान हरियाणा के अम्बाला के पास शंभू बॉर्डर, दातावाला बॉर्डर, सिरसा के डबवाली का बॉर्डर व सिंघू बॉर्डर पर 25 नवम्बर को जमा हुए। खास बात यह है कि इस पूरे आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए 11 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। यही वजह रही कि गांव स्तर पर राशन व जरूरी संसाधन जुटाए गए। किसान अपने काफिले के साथ गैस सिलैंडर, दाल, चावल, अनाज के अलावा आटा चक्की, वैल्डिंग मशीनें, रस्सियां, टैंट, बिस्तर, कम्बल लिए हुए हैं और यह पहला ऐसा आंदोलन है जिसमें किसानों परिवारों के बच्चों से लेकर बुजुर्ग व महिलाएं तक शामिल हुई हैं। 

पिछले माह तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल की बैठक केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से हुई थी और यह वार्ता सिरे नहीं चढ़ सकी थी। ऐसे में अब किसान नेता सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की जिद पर अड़े हैं। हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री की ओर से 3 दिसम्बर को बातचीत के लिए किसानों को न्यौता दिया गया है। शनिवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि 'किसानों के नाम पर जो राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम किया जा रहा है, वो दुर्भाग्यपूर्ण है। केंद्र सरकार द्वारा किसानों से बातचीत की अपील की गई है और बातचीत से ही इसका हल निकलेगा।’ 

खैर कुछ भी हो अभी बातचीत के लिए चार दिन का वक्त पड़ा है। ऐसे में दिल्ली बॉर्डर पर हजारों किसान डेरा डाले हुए हैं और जिस तरह से किसानों ने 4 से 6 माह का राशन लिया हुआ है तथा किसानों का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होते वे बॉर्डर पर पड़ाव जारी रखेंगे। ऐसे में किसानों का यह अनिश्चितकाल का पड़ाव आने वाले समय में संकट भी पैदा कर सकता है। चूंकि अभी किसानों के अलग-अलग जत्थों ने विभिन्न मार्गों पर पड़ाव डाला हुआ है, जिस वजह से दिल्ली के संपर्क मार्गों पर यातायात अवरुद्ध की स्थिति पैदा हो गई है। बॉर्डर पर पुलिस की भी तैनाती की गई है। ऐसे में जाहिर तौर पर आने वाले कुछ दिन चिंता भरे रहने वाले हैं और यह देखने वाली बात होगी कि किसानों का अगला स्टैंड क्या रहता है और केंद्र सरकार का रवैया क्या होता है?

हजारों किसानों पर मामले दर्ज
किसानों की ओर से किए जा रहे प्रदर्शन के दौरान पुलिस की ओर से हरियाणा में 25 नवम्बर को 100 किसानों को हिरासत में लिया गया था। इसके साथ ही 27 नवम्बर को नैशनल हाइवे क्रॉस करने के दौरान सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने और संपत्ति को नुक्सान पहुंचाने के आरोप में हरियाणा भर में हजारों किसानों पर मामले भी दर्ज किए गए हैं। किसान नेता गुरनाम चढूनी पर मामला दर्ज करने के अलावा स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव को भी पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया। 

इस बीच बॉर्डर पर डेरा डाले बैठे किसानों के बीच विभिन्न दलों के राजनेताओं के अलावा किसान नेता भी समर्थन देने के लिए पहुंचना शुरू हो गए हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला शुक्रवार को कांग्रेस की ओर से किसानों को समर्थन देने के लिए पानीपत टोल प्लाजा पहुंच गए तो शिअद नेता मनजिंद्र सिंह सिरसा शनिवार को किसानों से मिलने टिकरी बॉर्डर पर पहुंचे। किसान नेता राकेश टिकैत भी सिरसा में किसानों के बीच पहुंचे।

किसानों पर दर्ज मुकद्दमें हो रद्द: गर्ग
अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव व हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने किसान नेताओं से बातचीत करने के उपरांत कहा कि केंद्र व हरियाणा सरकार द्वारा किसानों के शांतिप्रिय आंदोलन को कुचलने के लिए भारी पुलिस बल के साथ सड़कों को तोड़कर को जाम जैसी स्थिति पैदा करना अत्यंत निंदनीय है। शनिवार को जारी एक बयान में गर्ग ने कहा कि सरकार के इशारे पर किसानों पर लाठीचार्ज करके किसान नेताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज करना सरकार की  तानाशाही का जीता-जागता सबूत है, जबकि पुलिस अधिकारियों द्वारा निहत्थे किसानों पर लाठीचार्ज करने व आंसू गैस के गोले छोडऩे वालों को गिरफ्तार करके सरकार को उन पर मुकद्दमा दर्ज करना चाहिए। उन्होंने मांग की कि किसानों पर दर्ज मुकद्दमें तुरंत प्रभाव से रद्द किए जाएं।


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Shivam

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