दूषित पानी पीने को मजबूर 3 गांव के ग्रामीण
punjabkesari.in Monday, Jul 29, 2019 - 11:11 AM (IST)
रेवाड़ी (गंगाबिशन): जिला के गांव कढू भवानीपुर स्थित जलघर अब शराबियों के लिए मयखाना बना हुआ है। शराबी यहां बैठकर शराब ही नहीं पीते, बल्कि नशे में शराबी यहां बने डिग में नहाने उतर जाते हैं। शराबी खाली बोतलों व गिलासों को यहीं पर छोड़ जाते हैं, जिससे ये बोतलें व खाली गिलास डिग के अंदर गिर जाते हैं। जब शराबियों को यहां पीने से मना किया जाता है तो वे मारपीट तक उतारू हो जाते हैं।
जलघर से मात्र 20 कदम की दूरी पर शराब ठेका है। सालों से टूटे पड़े मुख्य गेट और खुले पड़े डिग के हॉलों के साथ-साथ यहां खड़ी खरतवार से जलघर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2002 में बावल के विधायक एम.एल. रंगा द्वारा इस जलघर का उद्घाटन किया था। इस जलघर में जिला के गांव भटेड़ा से पानी आता है। जिसके बाद इस जलघर से गांव कढू भवानीपुर, चीमनावास व मामडिय़ा अहीर आदि को सप्लाई दी जाती है। डार्क जोन के चलते यहां पानी काफी गहराई पर है और खारा पानी है। ग्रामीणों की लंबी मांगों के बाद 2002 में इस जलघर का निर्माण करवाया गया।
जिससे कढू भवानीपुर व आसपास गांव के ग्रामीणों को मीठा पानी मिल सका। जलघर के उद्घाटन के बाद कुछ समय तक प्रशासन द्वारा इसमें कर्मचारी की नियुक्ति की गई और चारदीवारी कर पौधारोपण भी किया गया। पौधों व जलघर के संरक्षण को लेकर कढू व चीमनावास के ग्रामीणों का भी सहयोग रहा लेकिन धीरे-धीरे कर्मचारियों की बदली होती गई और जलघर का हाल बेहाल होता चला गया।
सालों से टूटा पड़ा है मुख्य गेट
गांव के पंच धर्मेन्द्र, लालाराम, कै. प्रहलाद, त्रिलोक चंद, देशराज, नसीब सोनी, पृथ्वी सोनी, सुरेन्द्र नंबरदार, चौकीदार श्रीचंद ने बताया कि उनका गांव कढू भवानीपुर ग्राम पंचायत मामडिय़ा आसमपुर में आता है। हाल में जलघर का मुख्य गेट टूटा हुआ है और डिग के दोनों हॉल खुले पड़े हैं। जलघर की चारदीवारी कई जगहों से क्षतिग्रस्त हो चली है। डिग के चारों ओर भारी खरपतवार उगी हुई है।
लोग जलघर में बैठकर पीते हैं शराब
जलघर से मात्र 20 कदम की दूरी पर शराब ठेका बना हुआ है। जिससे शराबी पानी की पूर्ति करने के लिए जलघर में पहुंच जाते हैं और यहीं बैठकर शराब पीते हैं। शराबियों से जब इसका विरोध करते हैं तो व मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। जलघर में जिसकी ड्यूटी वह 2 या 3 दिन में एक बार मोटर चलाने के लिए आता है और 1 या 2 घंटे बाद चला जाता है। उसके बाद जलघर पूरी तरह सूना पड़ा रहता है। उन्होंने बताया कि शराबी खाली बोतलों, गिलासों व नमकीन के पैकेटों को यहीं फैंक जाते हैं, जो उड़कर डिग में गिर जाते हैं। जिससे पानी दूषित हो रहा है लेकिन मजबूरी में उन्हें इस पानी को पीना पड़ता है। कुछ ग्रामीणों रुपए देकर पानी के कैम्पर लेते हैं।