हरियाणा ने मांगी PU में अपनी हिस्सेदारी, इंटर स्टेट काउंसिल को लिखा पत्र...मंत्रालय लेगा फैसला
punjabkesari.in Thursday, Nov 06, 2025 - 09:46 AM (IST)
नई दिल्ली: पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) में हरियाणा को हिस्सेदारी मिलेगी या नहीं इस पर फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय करेगा। हरियाणा सरकार ने 28 साल बाद पीयू में फिर से अपनी हिस्सेदारी मांगी है। 1997 में हरियाणा सरकार ने विश्वविद्यालय में अपनी हिस्सेदारी को छोड़ दिया था।
सालों के बाद अब हरियाणा सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीनस्थ इंटर स्टेट काउंसिल को पत्र लिखा है। यह देश का एकमात्र विश्वविद्यालय है जो संसद में पारित अंतर-राज्यीय निगमित निकाय के तहत गठित है। इसके सभी फैसलों का अधिकार केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास है। इसीलिए हरियाणा की मांग का निपटारा भी गृह मंत्रालय करेगा।
एक अधिकारी ने बताया कि यदि पीयू में हरियाणा की हिस्सेदारी आती है तो सीनेट और सिंडिकेट में हरियाणा के मुख्यमंत्री, हरियाणा के शिक्षा सचिव समेत अन्य अधिकारियों को भी जगह मिलेगी। फिलहाल केंद्र सरकार के पास पीयू का 83 फीसदी हिस्सा है। शुरुआत में यह 20 फीसदी होता था लेकिन हरियाणा सरकार द्वारा अपनी हिस्सा छोड़ने के बाद यह 83 फीसदी केंद्र और पंजाब सरकार का 17 फीसदी है। विश्वविद्यालय के सभी आर्थिक मसलों का समाधान केंद्र से ही होता आया
बंटवारे में लाहौर से आया तीन राज्यों की हिस्सेदारी
1882 में लाहौर में स्थापित विश्वविद्यालय 1947 में विभाजन के साथ भारत आया। विभाजन के बाद पूर्वी पंजाब विधानमंडल द्वारा पारित 1947 के अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय का पुनः स्थापना और समावेशन हुआ। राज्य विश्वविद्यालय के तौर पर इसके कॉलेज तत्कालीन संयुक्त पंजाब क्षेत्र (पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश) में फैले हुए थे। वर्ष 1966 में, पंजाब को पंजाब और हरियाणा के रूप में पुनर्गठित किया गया। संसद से पारित पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत पंजाब विश्वविद्यालय एक अंतर-राज्यीय निगमित निकाय (इंटर स्टेट बॉडी कारपोरेट) बन गया।