साइकिल चलाओ, बिजली बनाओ... हरियाणा के छात्रों की अनोखी खोज, जानें इसकी खासियत

punjabkesari.in Sunday, Sep 21, 2025 - 03:55 PM (IST)

डेस्कः हरियाणा के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (GJUST) के तीन होनहार छात्रों ने एक अनोखी एक्सरसाइज साइकिल का निर्माण किया है, जो न सिर्फ सेहत सुधारती है, बल्कि बिजली भी पैदा करती है। यह साइकिल साफ-सुथरी ऊर्जा उत्पन्न करती है और पर्यावरण के अनुकूल है।

फिटनेस के साथ बिजली उत्पादन

इस अभिनव परियोजना को विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. विजय पाल सिंह के मार्गदर्शन में तैयार किया गया। इस टीम में कर्णिक सिंह, विशाल मनहास (इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग) और मोहित (बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन) शामिल थे। तकनीकी सहायता पलविंदर सिंह ने प्रदान की, जिन्होंने साइकिल के फ्रेम में एक पुरानी कार का अल्टरनेटर फिट करने में मदद की।

पुरानी कार का अल्टरनेटर बना बिजली का स्रोत

साइकिल में एक पुरानी कार से निकाला गया अल्टरनेटर लगाया गया है। जब कोई व्यक्ति साइकिल चलाता है, तो यह अल्टरनेटर बिजली उत्पन्न करता है, जो एक बैटरी में संग्रहित होती है। इस बैटरी से न केवल एक छोटा पंखा चलाया जा सकता है, बल्कि LED बल्ब, मोबाइल चार्जर जैसे उपकरण भी संचालित हो सकते हैं। साइकिल के सामने लगे पंखे से साइकिल चलाने वाले को ठंडी हवा भी मिलती है।

बिजली बचाने और आपदा में उपयोगी

डॉ. सिंह के अनुसार, यह साइकिल एक घंटे में 50 से 100 वॉट तक बिजली उत्पन्न कर सकती है। इतनी बिजली से एक UPS, प्रोजेक्टर या मेडिकल उपकरण चलाया जा सकता है। विशेष रूप से यह तकनीक आपदा प्रभावित क्षेत्रों, ग्रामीण इलाकों और स्कूलों में बेहद उपयोगी हो सकती है, जहां सीमित संसाधनों में बिजली की आवश्यकता होती है।

जिम और स्कूलों में हो सकता है उपयोग

यदि ऐसी कई साइकिलें एक साथ किसी जिम में लगाई जाएँ, तो इन्हें जोड़कर इन्वर्टर चार्ज किए जा सकते हैं या बिजली का बिल कम किया जा सकता है। स्कूलों में छात्र इनका प्रयोग करके कंप्यूटर या प्रोजेक्टर चला सकते हैं — यानी यह साइकिल शिक्षा और ऊर्जा दोनों के क्षेत्र में योगदान दे सकती है।

विश्वविद्यालय को गर्व

कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई ने छात्रों और उनके मार्गदर्शक को बधाई देते हुए कहा कि यह नवाचार न केवल फिटनेस को बढ़ावा देता है, बल्कि बिजली की कमी दूर करने और पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा सकता है। रजिस्ट्रार डॉ. विजय कुमार ने इसे विश्वविद्यालय के लिए गर्व का क्षण बताया।
 


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Content Editor

Deepak Kumar

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