Haryana: फेल से पास हुए छात्र, 3 से 63 और 8 से 58 हुए अंक... सवालों में जीजेयू की परीक्षा प्रणाली
punjabkesari.in Sunday, Dec 14, 2025 - 11:04 AM (IST)
हिसार ; गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जीजेयू) की परीक्षा प्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। बीए (जनरल) पाठ्यक्रम के विभिन्न सेमेस्टरों की परीक्षाओं के पुनर्मूल्यांकन (री-इवैल्यूएशन) के हाल ही में जारी परिणामों में कई विद्यार्थियों के अंकों में असामान्य और चौकाने वाली बढ़ोतरी सामने आई है। इससे विश्वविद्यालय की प्रारंभिक मूल्यांकन प्रक्रिया की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े ही गए हैं।
री-इवैल्यूएशन परिणामों के अनुसार चीए जनरल फाइनल सेमेस्टर की छात्रा लक्षिता के पहले केवल 3 अंक थे जो पुनर्मूल्यांकन के बाद बढ़कर 63 हो गए। इसी तरह छात्रा सुनैना के 8 अंक से बढ़ाकर 58 अंक कर दिए गए। वहीं छात्र मोहित के 10 अंक बढ़कर सीधे 37 हो गए। इन मामलों में विद्यार्थी फेल की स्थिति से सीधे पास अथवा प्रोविजनल पास की श्रेणी में आ गए। यदि समय रहते पुनर्मूल्यांकन नहीं होता तोइन विद्यार्थियों का पूरा शैक्षणिक वर्ष खराब होने की आशंका बनी हुई थी।
विद्यार्थियों और अभिभावकों का कहना है कि इतने बड़े अंतर यह साबित करते हैं कि प्रारंभिक मूल्यांकन में गंभीर लापरवाही बरती गई। उनका आरोप है कि यदि छात्र पुनर्मूल्यांकन का विकल्प न चुनें तो उन्हें बिना गलती के भी शैक्षणिक नुकसान उठाना पड़ता है।
विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार बीए जनरल छठे सेमेस्टर (मई 2025) के कई विद्यार्थियों के अंकों में पुनर्मूल्यांकन के बाद संशोधन किया गया है। इतिहास (304), राजनीति विज्ञान (304), अंग्रेजी (302) और मनोविज्ञान (302) विषयों में अंकों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। संशोधित अंकों के आधार पर कई विद्यार्थियों को पास और प्रोविजनल पास घोषित किया गया है जबकि कुछ मामलों में परिणाम पूर्ववत रखा गया है। इसके अतिरिक्त बीए जनरल प्रथम सेमेस्टर (बैच 2024) के पुनर्मूल्यांकन परिणाम भी जारी किए गए हैं। इनमें कुछ विषयों में विद्यार्थियों को ग्रेस माबर्स दिए गए हैं जबकि कुछ के अंकों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि पुनर्मूल्यांकन के बाद जारी किए गए अंक ही अंतिम माने जाएंगे और संबंधित कॉलेज इनहीं के आधार पर आगे की शैक्षणिक प्रक्रिया पूरी करेंगे।
गौरतलब है कि जीजेयू परीक्षा परिणामों को लेकर पहले भी विवादों में रहा है। पूर्व में कुछ कॉलेजों में परिणाम इतने खराब आए थे कि पूरी कक्षा में मात्र 5 से 10 प्रतिशत विद्यार्थी ही पास हो पाए थे। इसको लेकर विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ धरना-प्रदर्शन भी किए थे। ताजा मामला सामने आने के बाद एक बार फिर जीजेयू की मूल्यांकन व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।