धारूहेड़ा चेयरमैन कंवर सिंह रहेंगे या नहीं, कल हाईकोर्ट का आएगा फैसला

punjabkesari.in Sunday, Sep 12, 2021 - 09:07 PM (IST)

रेवाड़ी (योगेंद्र सिंह): धारूहेड़ा नगर पालिका चेयरमैन की कुर्सी पर कंवर सिंह बैठेंगे या नहीं इसको लेकर कल यानि 13 सितंबर को हाईकोर्ट का फैसला आएगा। हाईकोर्ट के आदेश पर ही 12 सितंबर को चेयरमैन उपचुनाव को रद्द किया गया था। वहीं दूसरी ओर रविवार को उपचुनाव में चेयरमैन का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में कूदे प्रत्याशियों ने आज एकजुटता का नारा बुलंद करते हुए मीटिंग की। सभी ने एक स्वर में उपचुनाव रद्द करने के निर्णय का विरोध किया। सभी ने एकमत होकर कहा कि एक तरफा फैसला आया है, दूसरे पक्ष को सुना ही नहीं गया। इसके चलते अब वह हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे। इस पर हाईकोर्ट क्या कदम उठाएगा यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा, लेकिन सोमवार को हाईकोर्ट मार्कशीट विवाद के कारण चेयरमैन की कुर्सी गंवाने वाले कंवर सिंह मामले में विस्तार से फैसला सुनाएगा।

धारूहेड़ा चेयरमैन की कुर्सी पर कौन काबिज होगा इसको लेकर करीब नौ माह से संस्पेंस चल रहा है। दिसंबर 2020 में हुए चेयरमैन चुनाव में कंवर सिंह ने बाजी भी मार ली थी, लेकिन दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशी संदीप बोहरा ने कंवर सिंह की मार्कशीट पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए उसे फर्जी करार दिया था। मामले की जांच हुई और उसमें भी मार्कशीट को फर्जी करार दिया गया। इसके चलते चुनाव आयेाग ने कंवर सिंह को शपथ लेने से पहले ही इस चुनाव को फिर से कराने का निर्णय सुना दिया। 

उसके बाद चुनाव आयोग ने 12 सितंबर को चुनाव कराने का शेड्यूल जारी कर दिया और चुनाव की सरगर्मी भी शुरू हो गई। जबकि कंवर सिंह ने चुनाव आयोग के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और अचानक मतदान के दो दिन पूर्व हाईकोर्ट ने कंवर सिंह की मार्कशीट को ठीक करार दिया और कहा कि इस मामले को लेकर विस्तार से फैसला 13 सितंबर को सुनाया जाएगा। इसके बाद चुनाव आयोग ने 12 सितंबर को होने वाले चेयरमैन के उपचुनाव को रद्द कर दिया था। अब सोमवार को हाईकोर्ट के निर्णय पर सभी की नजर लगी हुईं हैं। 

कंवर सिंह चेयरमैन की कुर्सी पर काबिज होंगे या नहीं इसका फैसला कल आ जाएगा। दूसरी ओर उपचुनाव में भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय के रूप में चुनाव लडऩे वाले संदीप बोहरा, भाजपा-जजपा प्रत्याशी राव मानसिंह, बीएसपी प्रत्याशी प्रदीप, बाबूलाल लांबा, खेमचंद सैनी, रामनिवास और दिनेश आज धारूहेड़ा में एकत्रित हुए और इस मामले को लेकर मंत्रणा की। इसमें इन सभी ने तय किया कि वह इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाएंगे। इस प्रकार धारूहेड़ा चेयरमैन की कुर्सी की लड़ाई दिलचस्प हो गई है।

मार्कशीट की जांच पर भी उठे सवाल
वर्ष 2020 में चेयरमैन का चुनाव लडक़र दूसरे नंबर पर रहे संदीप बोहरा ने ही कंवर सिंह की मार्कशीट को चुनौती देकर उसकी शिकायत की थी। इस मामले की जांच जिला प्रशाासन द्वारा कराई गई और अंत में शिकायत को सही करार देते हुए मार्कशीट को फर्जी करार दिया। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर ही चुनाव आयोग ने कंवर सिंह की जीत को नहीं माना और उन्हें पद से हटाकर दोबारा उपचुनाव कराने को कहा। संदीप बोहरा का कहना है कि हाईकोर्ट के मार्कशीट को लेकर आए फैसले से हैरान हैं। जांच में सब कुछ क्लीयर हो गया था ओर दूसरे पक्ष को सुने बिना हाईकोर्ट का निर्णय आया है। इसके चलते वह रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे।

प्रत्याशियों का पैसा हुआ बर्बाद
चेयरमैन का चुनाव जहां भाजपा-जजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल था वहीं भाजपा का टिकट कटने पर बागी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे संदीप बोहरा के लिए यह चुनाव किसी परीक्षा से कम नहीं था। भाजपा ने बागी रूप से संदीप बोहरा सहित चार प्रत्याशियों के निर्दलीय चुनाव लड़ने पर चारों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। वहीं कंवर सिंह के बेटे जितेंद्र भी चुनाव में उतरे थे। कंवर सिंह खुद चेयरमैन नहीं बन पाए तो उन्होंने पूरी ताकत अपने बेटे को जीताने पर लगा दी थी। 

दूसरी ओर वर्ष 2020 के चुनाव में छठें नंबर पर रहे भाजपा-जजपा प्रत्याशी राव मानसिंह के साथ ही यह गठबंधन सरकार के लिए जीत हासिल करने के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण था। इसी के चलते हर प्रत्याशी ने जमकर पैसा बहाया और जमकर पसीना बहाया। अब चुनाव रद्द होने से सभी प्रत्याशी खासे निराश हैं। वहीं जजपा के लिए अहीरवाल में पैर जमाने के लिए यह जीत जरूरी थी लेकिन उनके मंसूबों पर भी पानी फिर गया।

भाजपा के लिए दोनों तरफ फायदा
कंवर सिंह 2020 में चुनाव निर्दलीय लड़े थे लेकिन चुनाव जीतने उपरांत वह भाजपा में शामिल हो गए थे। अब वह भाजपाई हैं और यदि उनके पक्ष में हाईकोर्ट से निर्णय आया तो नगर पालिका में एक प्रकार से भाजपा का ही चेयरमैन होगा। वहीं यदि चुनाव होते और भाजपा-जजपा प्रत्याशी राव मानसिंह जीतते तो भी भाजपा का फायदा था। यदि बागी संदीप बोहरा बाजी मारते तो वह भी भाजपा के खाते में ही जाते। यह अलग बात है कि बागी चुनाव लडऩे पर उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था। चेयरमैन की कुर्सी किसे हासिल होगी इसको लेकर सस्पेंस का दौर जारी है।


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Content Writer

vinod kumar

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