फतेहाबाद में डेढ़ वर्ष बाद हुई कष्ट निवारण समिति की बैठक, नहीं पहुंचे अधिकारी तो उखड़े स्वास्थ्य मंत्री
punjabkesari.in Monday, Jul 01, 2024 - 04:11 PM (IST)
फतेहाबाद(रमेश भट्ट) : जनपद में करीब डेढ़ साल बाद जन परिवाद एवं कष्ट निवारण समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता और पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली मौजूद रहे, लेकिन इस दौरान बैठक से संबंधित अधिकारी ही नहीं पहुंचे। जिसके चलते बैठक शुरु होते कमल गुप्ता उखड़ गए। स्वास्थ्य मंत्री के निशाने पर वे अधिकारी रहे जो मीटिंग से अनुपस्थित थे और जिन्होंने अपने अधीनस्थ अधिकारी अथवा कर्मचारी को बैठक में भेजा था। स्वास्थ्य मंत्री ने डीसी को निर्देश दिया कि बैठक से अनुपस्थित रहे अधिकारियों की हाजिरी रजिस्टर में अनुपस्थिति लगाई जाएगी। इसके साथ ही उनसे स्पष्टीकरण लेकर उसकी प्रति एसीआर के साथ लगाई जाए।
बैठक में जहां प्रदेश में टोहाना के विधायक एवं पूर्व में पंचायत मंत्री रहे देवेंद्र बबली भी मौजूद रहे। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत की। निजी चिकित्सकों द्वारा आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज बंद करने के ऐलान संबंधी पूछे गए सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कहीं भी आयुष्मान लाभार्थियों का इलाज बंद नहीं किया गया, थोड़ा देरी हो रही है। भारत सरकार द्वारा जारी किए गए पोर्टल में कुछ कमियां आ रही हैं, उसे दुरुस्त किया जा रहा है। वहीं उन्होंने कहा कि आईएमए से जुड़े डॉक्टर्स की बैठक विभाग के एसीएस के साथ भी करवाई जा चुकी है, जहां अधिकांश चीजों को हल किया गया है। हिसार में बढ़ते अपराध के खिलाफ लामबंद हुए व्यापारियों को लेकर स्वास्थ्यमंत्री ने कहा कि जो हुआ दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे किसी भी आपराधिक तत्व को छोड़ेगी नहीं।
वहीं बैठक में पहुंचे प्रदेश के पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली का भी दर्द छलक गया। विकास कार्यों के लिए आ रही ग्रांट के वितरण में भेदभाव का आरोप लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को आड़े हाथ लिया। स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में डीसी से जवाब तलब करते हुए देवेंद्र बबली ने कहा कि उन्होंने स्वयं कई बार डीसी से इस संबंध में बात की, मगर हालत नहीं बदले। देवेंद्र बबली ने कहा कि उनके पंचायत मंत्री रहते जब उन्होंने तीनों हलकों में भेदभाव नहीं किया, तब अब उनके हलके के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। उन्होंने डीसी को कहा कि कहीं ऐसा न हो कि उन्हें डीसी दफ्तर के बाहर धरना लगाना पड़े।
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