गेस्ट टीचर्स को हाईकोर्ट का झटका, सरकार की अपील खारिज

punjabkesari.in Friday, Sep 07, 2018 - 10:35 AM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): शिक्षा विभाग में कार्यरत गैस्ट टीचर्स को विभाग द्वारा रैगुलर टीचर्स से ज्यादा अहमियत देना फिर से विभाग के लिए फजीहत का सबब बन गया। दरअसल हाईकोर्ट की जस्टिस जी.एस. संधेवालिया की एकल बैंच ने 10 नवम्बर 2017 को आनंद कमार बनाम हरियाणा सरकार मामले सहित 30 अन्य याचिकाओं का सामूहिक फैसला सुनाते हुए यह निर्णय दिया था कि शिक्षा विभाग ऑनलाइन तबादले करते समय गैस्ट टीचर्स के सभी पदों को रिक्त मान कर रैगुलर टीचर्स के तबादले करे।

 वर्ष 2016 में सैंकड़ों रैगुलर जे.बी.टी. शिक्षकों ने अधिवक्ता जगबीर मलिक के माध्यम से याचिकाएं दायर करके ट्रांसफर पॉलिसी-2015 में गैस्ट टीचर्स के पदों को रिक्त न मानने के विभागीय फैसले को हाईकोर्ट में चुनोती दी थी। जिस पर हाईकोर्ट की एकल बैंच ने फैसला याचिकाकर्ता रैगुलर टीचर्स के हक में सुनाया था और 3 महीने में फैसले का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। विभाग ने हाईकोर्ट की एकल बैंच के इस 10 नवम्बर 2017 को दिए गए फैसले के खिलाफ डबल बैंच में अपील दाखिल की थी और एकल बैंच के फैसले पर रोक लगाने व रद्द करने की मांग की थी।

वीरवार को विभाग द्वारा डबल बैंच में दायर अपील की सुनवाई में प्रतिवादी आनंद कुमार की ओर से पेश अधिवक्ता ने सरकार की अपील का कड़ा विरोध किया और बहस करते हुए अपील को खारिज करने योग्य बताया। हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश एंव जस्टिस अरुण पल्ली खंडपीठ ने सरकार/विभाग की अपील को विचारयोग्य न मानते हुए खारिज कर दिया। इस मामले में विभाग की अपील खारिज होने से अब हजारों रैगुलर शिक्षकों को तबादलों में अपने मनपसंद जिलों व स्कू लों में तबादला करवाने का अवसर मिलेगा। 

हालांकि हाईकोर्ट के निरंतर कड़े रुख के चलते सरकार द्वारा अंतर-जिला स्थानांतरण हेतु बनाई गई नई ‘कैडर चेंज पॉलिसी-2018’ में गैस्ट टीचर्स के पदों को पहले से ही रिक्त मानने का प्रावधान कर दिया गया है और 5 सितम्बर को इस नई पॉलिसी को कैबिनेट मीटिंग में कैबिनेट द्वारा हरी झंडी दिखा दी गई है।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Rakhi Yadav

Recommended News

Related News

static