आईआईटी दिल्ली ने पाई चिंटल पैराडिसों में ढांचागत कमियां, टविन्स टावर की तरह होगी जमींदोज
punjabkesari.in Saturday, Nov 05, 2022 - 10:14 PM (IST)

गुड़गांव, (ब्यूरो): उपायुक्त निशांत कुुमार यादव ने चिंटल पैराडिसो के टावर-डी में हुए हादसे की आईआईटी दिल्ली की टीम की रिपोर्ट सांझा करते हुए बताया कि टीम ने इस टावर के निर्माण में ढांचागत कमियां पाई है, जिसकी मरम्मत तकनीकी और आर्थिक आधार पर संभव नही है, इसलिए इस टावर को पूर्ण रूप से बंद करके गिराया जाए। इसके अलावा, जिला में अलग-अलग 16 सोसायटियों से स्ट्रक्चरल सेफ्टी संबंधी शिकायतों की रिपोर्ट भी 15 नवंबर तक आ जाएगी, जिसके बाद ही उनके बारे में निर्णय लिया जाएगा।
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डी टावर में मिली ढांचागत कमियां : उपायुक्त
उपायुक्त ने बताया कि 10 फरवरी को चिंटल पैराडिसों के टावर डी में हुए हादसे में दो व्यक्तियों की जान चली गई थी, उसके बाद आईआईटी दिल्ली की टीम को इस टावर की स्ट्रक्चरल सेफटी की जांच सौंपी गई थी। इसके अलावा, अतिरिक्त उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। आईआईटी दिल्ली की जांच रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें पाया गया है कि चिंटल पैराडिसों के डी-टावर में स्ट्रक्चरल कमियां थी। बिल्डिंग के निर्माण में नि न स्तर के कॉन्क्रीट का इस्तेमाल किया गया जिसकी तकनीकी और आर्थिक आधार पर मरम्मत की जानी संभव नही है। कमेटी ने पाया कि बिल्डिंग में स्टील वर्क तथा रिइंफोर्समेंट वर्क में जंग को छिपाने के लिए पेंट किया गया था। इसके अलावा पेंट की क्रियाविधि भी ठीक नही थी। इसके साथ ही बिल्डिंग के छठीं मंजिल पर एक फलैट में रेट्रोफिटिंग का कार्य भी बिना निगरानी और निर्धारित मानदंडो के अनुसार नही किया जा रहा था। इसके लिए चिंटल पैराडिसों कपंनी तथा मनीष स्विच गियर प्राइवेट लिमिटेड की जिम्मेदारी तय की गई है। आईआईटी दिल्ली की टीम ने यह भी सिफारिश की है कि डी- टावर को बंद करके इसे गिराने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इस बीच उपायुक्त ने बताया कि अतिरिक्त उपायुक्त मीणा की अध्यक्षता में गठित प्रशासनिक कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट भी सोमवार तक आने की आशा है। उसके बाद जिला प्रशासन इस मामले में अगली कार्यवाही करेगा।
डेवलपर को डी टावर के अलॉटियों के साथ फलैट के क्लेम करने होंगे सेटल : उपायुक्त
आईआईटी दिल्ली की जांच रिपोर्ट के आधार पर डेव्लपर को डी-टावर के अलॉटियों के साथ क्लेम सेटल करने के लिए आदेश दिए जाएंगे। इसमें अलॉटियों के सामने तीन विकल्प होंगे। बिल्डर अथवा डैव्लपर अपने स्तर पर डी टावर के अलॉटियों के साथ तालमेल स्थापित करते हुए अपने स्तर पर निर्धारित समयावधि में क्लेम सेटल करेगा और इसकी जानकारी लिखित में जिला प्रशासन के पास देगा। एक अन्य विकल्प के तहत अलॉटियों की सुविधा के लिए दो स्वतंत्र आंकलनकर्ता अर्थात् इंडिपेंडेंट इवेलयुएटर लगाए जाएंगे जो फ्लैटों की मौजूदा कीमत आदि का आंकलन करेंगे और अपनी रिपोर्ट देंगे। इसके बाद डेव्लपर के लिए इवेलुएटर द्वारा तय की गई कीमत को स्वीकार करना अनिवार्य होगा और वह राशि अलॉटी को दी जाएगी। यदि इसके बावजूद भी अलॉटी संतुष्ट नही होता है तो वह न्यायालय में जाकर राहत ले सकता है।
चिंटेल्स प्रबंधन के वाइस प्रेसीडेंट जेएन यादव ने आईआईटी दिल्ली की टीम की रिपोर्ट पर चिंटेल्स प्रबंधन ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि जब से यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। हम प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावित निवासियों के साथ हर संभव सहयोग कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।