2019 में 3 बार चुनावी परीक्षाओं में खरा उतरा जींद प्रशासन, नहीं लगने दिया हिंसा का दाग

punjabkesari.in Monday, Dec 30, 2019 - 12:11 PM (IST)

जींद (जसमेर) : साल 2019 में जींद प्रशासन 3 बार चुनावी परीक्षाओं में पूरी तरह से खरा उतरा। इस एक साल के दौरान जींद में 3 बार चुनाव हुए और यह चुनाव बहुत हाई वोल्टेज के रहे मगर जींद प्रशासन ने जींद के माथे पर चुनावी हिंसा का दाग इनमें नहीं लगने दिया। ऐसा नहीं है कि इन चुनावों के दौरान माहौल बिगड़ा नहीं हो। माहौल बिगड़ा जरूर मगर जींद प्रशासन ने सख्ती और समझदारी से माहौल को तुरंत शांत करने में कामयाबी हासिल की। जिले का चुनावी इतिहास चुनावी हिंसाओं से भरा हुआ रहा है।

1996 में नरवाना में विधानसभा चुनाव के दौरान जमकर हिंसा हुई थी तो 1989 और 1991 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी जींद जिले में चुनावी हिंसा की वारदात हुई थी। 2009 में जींद विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में भी खूब हिंसा हुई थी जिसमें नौबत पथराव और आगजनी तक की आ गई थी। जींद जिले के इस तरह के चुनावी हिंसा वाले इतिहास को देखते हुए साल 2019 में हुए 3 चुनावों को बिना हिंसा के करवाना जींद प्रशासन के लिए बहुत बड़ी चुनौती और अग्रिपरीक्षा से कम नहीं था। इसमें भी 28 जनवरी को हुए जींद उप-चुनाव में तो सियासी पारा अपने ब्वायलिंग प्वाइंट तक पहुंच गया था।

प्रदेश की भाजपा सरकार और खुद सी.एम. मनोहर लाल से लेकर जजपा और दुष्यंत चौटाला तथा कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुर्जेवाला और पूरी कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक प्रतिष्ठा जींद उप-चुनाव में दांव पर लगी हुई थी। पूरे प्रदेश से हजारों की संख्या में बाहर के लोगों ने जींद में डेरा डाला हुआ था और उन हालात में उप-चुनाव को शांतिपूर्ण तथा निष्पक्ष तरीके से संपन्न करवाना जींद प्रशासन के लिए कतई आसान नहीं था। तब जींद के तत्कालीन डी.सी. अमित खत्री और एस.एस.पी. अश्विन शैणवी ने खुद आगे आकर मोर्चा संभाला था।

मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण तरीके से हो गया था लेकिन 31 जनवरी को जब उप-चुनाव की मतगणना हुई, तब सैंकड़ों की संख्या में जमा हुए लोगों ने अर्जुन स्टेडियम के बाहर बहुत बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया था। भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया तो एस.एस.पी. अश्विन शैणवी सिंघम की भूमिका में आए और महज 5 मिनट में ही उन्होंने हालात को पूरी तरह काबू कर लिया। उस दिन एस.एस.पी. अश्विन शैणवी पुलिस फोर्स का नेतृत्व खुद आगे आकर नहीं करते तो जींद शहर चुनावी ङ्क्षहसा की आग में जल गया होता।  


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Isha

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