जमीन बेंच कर डंकी रूट से अमेरिका पहुंचे युवक को किया गया डिपोर्ट, 40 दिन की प्रताड़ना के बाद घर पहुंचे मनदीप की कहानी...

punjabkesari.in Saturday, Nov 25, 2023 - 05:34 PM (IST)

जींद(विजेंद्र बाबा): पंजाब के बाद अब हरियाणा के युवा भी बड़ी संख्या में विदेश का रुख कर रहे हैं। जींद जिले  का दुड़ाना ऐसा गांव है, जहां के युवक जवान होते ही डॉलर कमाने की चाहत में विदेश चले जाते हैं। इस गांव की 2000 वोटों की आबादी है और गांव के लगभग 350 युवक-युवती विदेशों में रह रहे हैं। विदेश जाने के लिए युवाओं के पास दो रास्ते होते हैं। पहला स्टडी वीजा पर विदेश जाना और दूसरा डंकी रूट के माध्यम से विदेशी धरती पर कदम रखना। बता दें कि कई पड़ावों के माध्यम से किसी दूसरे देश में प्रवेश करने के लिए जो पिछले दरवाजे के रास्ते का उपयोग किया जाता है वह डंकी रूट कहलाता है। 

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जिले के अलेवा खंड का यह गांव एक खुशहाल गांव है। यहां की लगभग 30 प्रतिशत आबादी सिख है। गांव में अच्छी अच्छी कोठिया बनी हुईं हैं। गांव के इक्का दुक्का नौजवानों को छोड़कर लगभग सारे विदेश में गए हुए हैं। इंग्लैंड, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल और न्यूजीलैंड सहित कई अन्य देशों में इस गांव के युवक प्रॉपर तरीके से सेटल भी हो गए हैं।  कइयों को अच्छी नौकरी भी मिल गयी तो कइयों ने अपना बिज़नेस भी सेटल कर लिया। लेकिन कई युवक ऐसे भी हैं जो एजेंटो के बहकावे में आकर विदेश जाने के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा दिए। 

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कुछ इसी प्रकार की कहानी मनदीप सिंह की भी है। मनदीप मिडिल क्लास परिवार से हैं और वह गांव में टैक्सी चलाने का काम करते हैं। उनके पिता छोटे किसान हैं और मां गृहणी हैं। इनके अलावा दो छोटी बहनें हैं। इस गांव के अन्य युवकों की तरह मनदीप का भी सपना अमेरिका जाकर सेटल होने का था। जिसके लिए एजेंट से विदेश भेजने के लिए 15 लाख में सौदा तय हुआ। पैसे की कमी के कारण फर्जी एजेंट के बहकावे में आकर मनदीप ने पिता की एक एकड़ जमीन थी वो भी बेच दी। 

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जिसके बाद लीबिया- इटली और ब्राज़ील से होते हुए मनदीप अमेरिका तो पहुंच गया, लेकिन अवैध तरीके से जाने के कारण कैंप से ही मनदीप को डिपोर्ट कर दिया गया।  यही से शुरू होता है ज़िंदगी तबाह करने वाला मनदीप का एक खौफनाक सफर जिसकी मनदीप ने कल्पना भी नहीं की थी। अमेरिका से अमेरिकी अधिकारियों ने मनदीप को दुबई भेज दिया। दुबई से मास्को और मास्को से बेलारूस। बेलारूस से लोकेशन लगा कर मनदीप और उसके साथियों को बॉर्डर क्रॉस करवाया गया। बॉर्डर क्रॉस करके मनदीप और उसके साथी लातविया के जंगलों में पहुंच गए। जहां इनका जीव कठिनाइयों से भरा रहा है। लातविया के जंगलों में गुजरे मनदीप व उनके साथियों के शायद सबसे कठिन दिन थे

मनदीप ने बताया कि कभी लातविया की आर्मी उन्हें बेलारूस में धकेल देती तो कभी बेलारूस की आर्मी दोबारा लातविया के जंगलों में यहां बॉर्डर पर सैकड़ो बच्चे वापिस आने के इंतजार में हैं, लेकिन यहां उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। लवातिया के जंगलों में  मनदीप के पैरों के नाखून को प्लास से निकाल दिया गया। उन्हें करंट के झटके दिए जाते थे। इतनी बेरहमी से पिटाई की गई गई मनदीप अभी तक ठीक से चल नहीं पाता है।

 वहीं एजेंट बोलते हैं, आगे ही जाना है चाहे मर कर जाओ 40 दिनों तक मनदीप घर के संपर्क में भी नहीं था। अंत में बेलारूस की आर्मी ने मनदीप की हेल्प की।  मनदीप और उसके 20 -22 साथी म्यूनिख पहुंचे, जहां इंडियन एम्बेसी ने मनदीप और उसके साथियों को वाइट पासपोर्ट पर उन्हें इंडिया भेज दिया। 9 महीने विदेशों में धक्के खाने के बाद मनदीप अब घर वापिस आ गया। उसके पास अब खोने को कुछ नहीं बचा है। 

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Content Editor

Saurabh Pal

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