किशोर को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत नहीं किया जा सकता जमानत से वंचित : हाई कोर्ट
punjabkesari.in Sunday, Aug 13, 2023 - 06:25 PM (IST)

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि जघन्य अपराध के आरोप के मामले में जब किसी किशोर पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाता है, तब भी उसे किशोर न्याय अधिनियम की धारा 12 के तहत जमानत का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। जस्टिस एन एस शेखावत ने एक किशोर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा इसमें कोई संदेह नहीं है कि अपीलकर्ता पर एक वयस्क की तरह मुकदमा चलाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन फिर भी वह अभी कानूनी लड़ाई में किशोर बना हुआ है और उसे कभी भी अधिनियम की धारा 12 के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को जमानत पर रिहा न करने का एकमात्र कारण यह हो सकता है कि रिहाई से उस व्यक्ति को किसी ज्ञात-अपराधी के साथ जुड़ने या उस व्यक्ति को नैतिक, शारीरिक, या मनोवैज्ञानिक खतरा है। यह मानने के लिए उचित आधार होना चाहिये।
हाई कोर्ट ने यह टिप्पणियां फरीदाबाद बाल न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसने 2022 में अधिनियम की धारा 12 के तहत कानून के उल्लंघन में एक किशोर की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। याचिकाकर्ता पर 2020 में हत्या और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत मामला दर्ज किया गया था। संगीन अपराध के चलते याची पर वयस्क के तौर पर मुकदमा चलाया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि याची मामले का मुख्य आरोपित है और उसके पास से हत्या में प्रयोग होने वाले चाकू व खून में सने कपड़े बरामद किए गए हैं। इस लिए उनको जमानत देना उचित नहीं है। इस पर याची पक्ष की तरफ से दलील दी गई किसी भी गवाह ने याची की पहचान नहीं की है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने जमानत देने का आदेश देते हुए कहा कि याची नियमित तौर पर ट्रायल कोर्ट में पेश होगा और जांच अधिकारी को सहयोग करेगा।
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