हरियाणा दिवस: 32 साल का गबरू हुआ कैथल जिला, महाभारत काल में नाम था कपिस्थल

punjabkesari.in Monday, Nov 01, 2021 - 06:28 PM (IST)

कैथल (जोगिंदर कुंडू): कैथल जिला आज पूरे 32 साल का गबरू जवान हो गया है। यूं तो कपिस्थली की स्थापना महाभारतकाल में हुई मानी जाती है, लेकिन सैकड़ों सदियों तक उतार-चढ़ाव झेलने के बाद एक नवंबर 1989 को कुरूक्षेत्र से अलग होकर जिला बना। महज ढाई दशक में हर लिहाज से समर्थ और सक्षम बनकर मिसाल पेश कर रहा है। आज जिस भव्यता और शानोशौकत के साथ कैथल प्रदेश के अग्रणी जिलों में शुमार है, उसका पूरा श्रेय यहां के मेहनतकश और हुनरमंद लोगों को जाता है।

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धर्म हो या शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर हो या राजनीति। तकरीबन हर क्षेत्र में कैथल अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। चावल निर्यात में सालों तक नंबर एक का खिताब भी कैथल जिला के सिर सजा तो एक नवंबर 1966 को हरियाणा के पृथक राज्य बनने के बाद से लगभग हर प्लान में सरकार में हिस्सेदारी रही। जिले के रूप में अस्तित्व में आने से पूर्व यह करनाल और कुरूक्षेत्र जिले का उपमंडल भी रहा। राज्य के गठन के समय कैथल एक तहसील थी, जो करनाल के अंतर्गत थी। वर्ष 1973 के प्रारंभ में जब कुरूक्षेत्र को अलग जिले का दर्जा दिया गया तो यह क्षेत्र कुरूक्षेत्र में चला गया और 31 अक्टूबर 1989 तक वहीं रहा। जिले की 78 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है।

ऐतिहासिकता
इतिहास के अनुसार यह भारत की पहली महिला शासक रजिया सुल्तान (इल्तुतमिश की पुत्री) के साम्राज्य का एक भाग था। 13 नवंबर 1240 को रजिया यहीं मृत्यु को प्राप्त हुई। दिल्ली में विद्रोह के बाद रजिया सुल्तान को वहां से भागना पड़ा। कैथल में दिल्ली की विद्रोही सेनाओं ने उसे पकड़ लिया और एक भयंकर युद्ध में रजिया सुल्तान मारी गई थी। एक अन्य मान्यता के अनुसार यहां के स्थानीय लोगों ने उसे मार डाला था। मृत्यु के बाद उन्हें यहीं दफना दिया गया और आज भी उसकी कब्र यहाँ मौजूद है।

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रजिया सुल्तान के अलावा इस पर सिख शासकों का शासन भी रहा है। यहां के शासक देसू सिंह को सिख गुरु हर राय जी ने सम्मानित किया था जिसके बाद यहां के शासकों को "भाई" की उपाधि से संबोधित किया जाने लगा। सन् 1843 तक कैथल पर भाई उदय सिंह का शासन रहा जो कि यहां के आंतिम शासक साबित हुए। भाई उदय सिंह का किला कैथल में मौजूद है। पुराना शहर एक किले के रूप में है। किले के चारों ओर सात तालाब तथा आठ दरवाजे हैं। दरवाजों का नाम है - सीवन गेट, माता गेट, प्रताप गेट, डोगरा गेट, चंदाना गेट, रेलवे गेट, कोठी गेट, क्योड़क गेट। भाई उदय सिंह का किला खंडहर हो चुका था अब रणदीप सुरजेवाला के प्रयासों से इसको नवीन रूप दे दिया गया है। 

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जायकेदार शहर
कैथल का चावल विश्व भर में मशहूर है। यहां के चावल निर्यातकों ने खाड़ी देशों में अपना झंडा बुलंद किया हुआ है। धान उत्पादन में अग्रणी होने के चलते यह धान के कटोरे में शामिल है। कैथल में 100 से अधिक राइस मिल हैं। यहां की फिरनी की दूसरे देशों तक धूम है। सावन माह से पहले ऑर्डर शुरू हो जाते हैं। कैथली बेर पूरे देश में मशहूर हुआ करते थे।

हर क्षेत्र में छाई बेटियां
यहां की बेटियां कई क्षेत्रों में अग्रणी हैं। दीपशिखा ने आइएएस बनकर तो पद्मश्री ममता सौदा और सीमा गोस्वामी ने माउंट एवरेस्ट को फतेह कर कैथल का झंडा पूरे देश-दुनिया में बुलंद किया है। ऐसे में हाल ही में बालू की रहने वाली पूनम ने भी सेना में लेफ्टिनेंनट के पद पर काबिज हो कर जिले का नाम रोशन किया।

ये हैं पर्यटन स्थल
कैथल में धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हैं, इसीलिए कैथल को छोटी कांशी के नाम से भी जाना जाता है। शहर में भाई उदय सिह का किला, प्राचीन बावड़ी, महाभारतकालीन नवग्रह कुंड, बिदक्यार झील, गुरुद्वारा नीम साहिब, श्रीग्यारह रुद्री मंदिर, अंबकेश्वर मंदिर,माता अंजनी का मंदिर, प्राचीन हनुमान मंदिर, हजरत बाबा शाह कमाल कादरी, डेरा बाबा शीतल पुरी, पूंडरी के पास विश्व प्रसिद्ध फल्गु तीर्थ, माता मनसा देवी मंदिर, कलायत में कपिलमुनि मंदिर, खड़ालवा शिव मंदिर, गुहला में यक्ष अरंतुक स्थल दर्शनीय हैं।

एक नजर
कुल जनसंख्या: लगभग 22 लाख
जनसंख्या वृद्धि/दशक - 13.55 प्रतिशत
कुल हाउसहोल्ड : 234274
क्षेत्रफल -2317 वर्ग किलोमीटर
सबडिविजन -03, कैथल, कलायत एवं गुहला
खंड - सात: गुहला, कैथल, कलायत, पूंडरी, राजौंद, सीवन और ढांड
तहसील - चार: कैथल, गुहला, कलायत व पूंडरी
उप तहसील - तीन : राजौंद, सीवन, ढांड
कुल गांव -277
ग्राम पंचायत - 253
साक्षरता - 80.76 प्रतिशत।


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Content Writer

Shivam

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