अंगीठी ब्लास्ट में शहीद हुए जवान का अंतिम संस्कार, जुड़वा बेटियों ने कही जज्बा भर देने वाली बात

punjabkesari.in Friday, Jan 07, 2022 - 08:56 PM (IST)

रेवाड़ी (मोहिंदर भारती): लेह में हुए अंगीठी ब्लास्ट में शहीद हुए रेवाड़ी के निवासी जवान सूबेदार मेजर शमशेर सिंह चौहान का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव लाया गया। शहीद शमशेर सिंह के अंतिम संस्कार में उमड़े जन सैलाब मैं सैन्य अधिकारी, जिला प्रशासन व सामाजिक संगठनों के गणमान्य लोग समेत पूरा गांव शामिल हुआ और जांबाज को नम आंखों से विदाई दी। शहीद शमशेर सिंह अंगीठी ब्लास्ट के दौरान लगी आग में फंसे अपने साथियों को बचाते हुए शहीद हुए थे।

पिता की तरह बहादुर बनेंगी बेटियां
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वहीं शहीद सूबेदार मेजर शमशेर सिंह की दो बेटियां और एक बेटा है, जिन्हें अपने पिता मृत्यु पर दुख नहीं बल्कि उनकी शहादत पर गर्व है। इस दौरान बेटियों ने कहा कि वह भी अपने पिता की तरह ही बहादुर बनकर देश की सेवा करेंगी। शहीद की बहन ने भी कहा कि उनका बेटा भी अपने मामा की तरह सेना में जाकर देश की सरहदों की रक्षा करेगा। 

साथियों को बचाते हुए शहीद हुए शमशेर
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रेवाड़ी गांव रतनथल के निवासी सूबेदार मेजर शमशेर सिंह चौहान यूनिट-22 में लेह-लद्दाख के तागसे में तैनात थे। 2 जनवरी की रात माइनस डिग्री तापमान के दौरान वे अपने बंकर में साथियों के साथ मौजूद थे। इसी दौरान निकटवर्ती बंकर में आग लगने की सूचना पाकर सैनिकों को बचाने के लिए शमशेर व उनके साथी वहां पहुंचे। उन्होंने एक-एक कर सभी जवानों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन इस दौरान बंकर में एक सिगड़ी (अंगीठी) में हुए ब्लास्ट की चपेट में शमशेर आ गए। उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां 3 जनवरी को उनकी मृत्यु हो गई। 

इसी साल हुए थे पदोन्नत
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शमशेर नायब सूबेदार से सूबेदार मेजर इसी साल 1 जनवरी को पदोन्नत हुए थे। वे अपने पीछे माता कमलेश देवी, पिता कै. भवानी सिंह, पत्नी रजनी देवी, 18 वर्षीय पुत्र प्रयाग व दो जुड़वा बेटियां 13 वर्षीय फाल्गुनी व धानिया को छोड़ गए हैं। दुखद बात यह है कि अपने इकलौते बेटे को खो चुके पिता कै. भवानी सिंह पैरालाइज से ग्रस्त हैं।

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गांव के सरपंच जयभगवान ने बताया कि कि जैसे ही शमशेर के शहीद होने की खबर गांव पहुंची, पूरा गांव गम में डूब गया। सबसे अधिक बुरा हाल वृद्ध माता-पिता का है। उनकी बुढ़ापे की लाठी टूट गई है। उन्होंने कहा कि मौसम खराब होने के कारण पार्थिव शरीर विलंब से पहुंचा। 

शहीद के अंतिम संस्कार में जन सैलाब उमड़ पड़ा और अपने जांबाज को नम आंखों से विदाई दी। गांव में बने श्मशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ शमशेर का अंतिम संस्कार किया गया। इस अवसर पर सैन्य अधिकारी जिला प्रशासन व सामाजिक संगठनों के गणमान्य लोग उपस्थित थे।
 

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Content Writer

Shivam

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