लोकिंद्र के लात/मुक्कों ने सभी प्रतिद्वंदियों को किया परास्त, कर्नाटक की धरती पर अपने नाम किया गोल्ड

punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 09:24 AM (IST)

चंडीगढ  (चन्द्र शेखर धरणी ): कौन कहता है कि "आसमां में सुराख नहीं होता, जनाब एक पत्थर तबीयत से उछाल कर तो देखो" जी हां, अगर आप किसी कार्य को पूर्ण समर्पण, निष्ठा और आत्मविश्वास के साथ करते हैं तो कोई भी काम असंभव नहीं चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो। कुछ ऐसा ही साबित कर दिखाया है देहरादून के हरबर्टपुर में रहने वाले एक 13 वर्षीय लोकेंद्र प्रताप मिगलानी ने। 12 साल पहले पानीपत से देहरादून में शिफ्ट हुए परिवार के इस सुपुत्र की मेहनत, लगन और खेलों के प्रति इसकी रुचि को देख इसे इसके पिता ने एमए स्पोर्ट्स एकेडमी में इसका एडमिशन करवा दिया वहां की कोच सारिका पटेल ने इस बच्चे की प्रतिभा को पहचाना तो इस पर खूब मेहनत हुई। एकेडमी के सीनियर खिलाड़ियों का भी इस पर खूब ध्यान रहा और इसकी प्रतिभा और निखरती आई।

 

 

मेरी जीत का श्रेय कोच और दादा को दूंगा : लेकिंद्र प्रताप 

 

 नतीजतन, इस छोटे से कस्बे हरबर्टपुर में रहने वाले मेहनतकश बच्चे का डंका कर्नाटक की धरती पर भी खूब बजा। 13 टीन सिंगा, माकन, प्रीटिन, प्रीजुनियर, जूनियर पेंचक सिलाट राष्ट्रीय प्रतियोगिता जो कि 25 से 29 सितंबर को कर्नाटक के कोपल में डिस्ट्रिक्ट इंडोर स्टेडियम खेलो इंडिया सेंटर में अयोजित हुई थी। जिसमें लोकिंदर प्रताप मिगलानी ने सब जुनियर वेट कैटिगरी 39 से 42 मे खेलते हुए अपने सामने आए सभी प्रतिद्वंदियों को एक बड़े अंतर से पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया है। इनकी फाइट को देख वहां मौजूद सभी दर्शकों, अन्य राज्यों से आए कोच व खिलाड़ियों ने भी खूब अचरज माना। वही यह उपलब्धि हासिल करने के बाद लोकेंद्र प्रताप मिगलानी ने इसका श्रेय अपनी कोच सारिका पटेल देते हुए अपने सीनियर खिलाड़ी कार्तिक, कार्तिकेय, यश राणा, अभिषेक, सर्जिल का भी आभार व्यक्त किया। इस खुशी के मौके पर जब लोकेंद्र प्रताप की माता रिचा मिगलानी से बात की तो उन्होंने बताया कि लोकेंद्र के दादा प्रेमचंद मिगलानी की मेहनत और आशीर्वाद का यह फल उसे मिला है। बुजुर्ग अवस्था में भी वह चाहे मौसम बारिश का होता था आंधी तूफान का होता था, उसके दादा उसे समय पर एकेडमी छोड़ने और लाने का काम करते थे, लोकिंदर के पिता काम के सिलसिले में ज्यादातर बाहर रहते हैं लेकिन दादा ने कभी इसके उसे लाने लेजाने और उसकी जरूरतो को पूरा करने में लापरवाही नहीं की, जिस कारण से यह मुकाम हासिल हो पाया है। 

 

 

 

उत्तराखंड के खिलाडी किसी से कम नहीं : सारिका

 

उसकी कोच सारिका पटेल ने कहा कि लोकेंद्र की फाइट को देखकर काफी उत्साहित हूं। लोकेंद्र प्रताप काफी मेहनतकश बच्चा है। उन्होंने कहा कि टर्नामेंट  की तैयारी में वैसे तो लगातार लोकेंद्र मेहनत कर रहा था लेकिन कुछ समय से तो इसने अपनी डाइट में एक बड़ा बदलाव किया था। बड़े त्याग के साथ यह रात को देर से सोता था और अपने खाने-पीने की हर चीज पर ध्यान रख रहा था। जिसका फल आज लोकेंद्र प्रताप को मिला है। अगर उत्तराखंड सरकार अन्य प्रदेशों खास तौर पर हरियाणा की तर्ज पर हमारे प्रदेश के खिलाड़ियों की थोड़ी और देखरेख करें और उनका उत्साह वर्धन करें तो यह दावा करती हूं कि हमारे प्रदेश के खिलाडी किसी से कम नहीं हैं।


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Content Writer

Isha

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