मनोहर लाल केवल बातें करने वाला नहीं बल्कि पेन पेंसिल लेकर रिजल्ट देने वाला मुख्यमंत्री है: विनोद मेहता

punjabkesari.in Thursday, Apr 29, 2021 - 04:33 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : हरियाणा दूसरे प्रदेशों की तरह ही कोरोना की दूसरी लहर के भारी मार झेल रहा है। दिल्ली की सीमा तीन तरफ से हरियाणा के जिलों से लगती है। जिस कारण से भी खतरा बढ़ जाता है। कोरोना की पहली वेब में भी दिल्ली के साथ लगते जिले दूसरे जिलों से ज्यादा संक्रमित हुए। इस बार का आंकड़ा भी यही प्रस्तुत करता है। लेकिन हरियाणा सरकार की कार्यशैली दूसरे प्रदेशों के मुकाबले पहले भी बेहतर रही। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को केंद्र द्वारा सम्मानित भी किया गया।

इस बार भी प्रदेश सरकार ने अपने सभी अधिकारी इस लड़ाई को जीतने के लिए मैदान में उतार दिए हैं। प्रदेश के वरिष्ठ, अनुभवी अधिकारी टेंपरेरी अस्पतालों के निर्माण, प्रदेश में ऑक्सीजन और बेडस की व्यवस्थाओं पर दिन-रात एक किए हुए हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश के कई विभाग अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इस बारे में जानकारी लेने के लिए पंजाब केसरी ने हाल ही में नियुक्त प्रिंसिपल मीडिया एडवाइजर विनोद मेहता से विशेष बातचीत की। जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न : कोरोना का भयंकर रूप देखकर लोगों में दहशत है। बैड-ऑक्सीजन की भारी शॉर्टेज है। सरकार द्वारा किस प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं ?
उत्तर : 
ऐसे समय में लोगों के हौसले बुलंद रहना बहुत जरूरी है। अगर आंकड़े देखें तो ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बहुत अच्छी है। यह संक्रमण व्यक्ति को तब नुकसान पहुंचाता है जब वह लंगस में घुसकर उस पर पूरी तरह से अपना कंट्रोल कर ले। उसी स्थिति में मरीज को अस्पताल में जाने की जरूरत होती है। कल डब्ल्यू.एच.ओ ने भी कहा कि हिंदुस्तान के लोग भय के कारण अस्पतालों की ओर भाग रहे हैं। जबकि अस्पतालों में जाने की बजाय होम आइसोलेशन की ओर हमें ध्यान देना चाहिए। बहुत सारे मरीज घरेलू उपचार जैसे पेरासिटामोल, विटामिन की दवा और छोटे-मोटे ट्रीटमेंट से ठीक हो रहे हैं। हमारे मुख्यमंत्री चारों तरफ की लड़ाई लड़ रहे हैं। ऑक्सीजन की कमी इस वजह से आई है क्योंकि अग 2 किलो वजन उठाने की शक्ति वाले पर 10 किलो का वजन रख दिया गया है। लेकिन मैं आपको बता दूं कि परसों रात 12 बजे तक मुख्यमंत्री महोदय की अमित शाह जी से 70 मेट्रिक टन का कोटा बढ़ने पर बातचीत फाइनल हुई है। हमें यह कोटा उड़ीसा से लेना है। दो गाड़ियां एयरलिफ्ट होनी है। दो-तीन दिन में ही ऑक्सीजन लेवल प्रदेश का ठीक हो जाएगा। जागरूक लोग, अच्छे डॉक्टर ऑनलाइन होकर आमजन को बता रहे हैं कि डरने और घबराने जैसी बात नहीं है। मुख्यमंत्री की भी होम आइसोलेशन पर जोर देने की कोशिश है। चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री ने कोई भी ऐसा अवसर नहीं छोड़ा जिसे कोरोना से लड़ने के लिए कोई ना कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी हो। कोई अस्पताल बनवा रहा है, तो कोई ऑक्सीजन, तो कोई दवाइयों का प्रबंध करने में लगा है।

प्रश्न : टेंपरेली अस्पतालों में ऑक्सीजन आखिर कैसे पहुंच पाएगी ?
उत्तर : 
यह सब कुछ बहुत साइंटिफिक तरीके से स्कीम बनाई गई है। हिसार में जिंदल स्टील फैक्ट्री के पास अस्पताल बनाया जा रहा है। जिंदल स्टील फैक्ट्री के पास अपना ऑक्सीजन प्लांट है। लेकिन दूर तक इसे ट्रांसपोर्ट करना आसान नहीं है। इसलिए उसके पास ही टेंपरेली अस्पताल बनाया जा रहा है। ताकि ऑक्सीजन को लिक्विड ऑक्सीजन में कन्वर्ट करके पाइप लाइन से सीधा टेंप रेली अस्पताल में भेज दिया जाए। इससे एक तो ट्रांसपोर्ट का रिस्क बचेगा दूसरा ऑक्सीजन भी समय पर अवेलेबल रहेगी। यह सभी चीजें पूरी प्लानिंग के साथ की जा रही है और अच्छा रिजल्ट इसका आएगा। पानीपत में भी 1 किलोमीटर की दूरी पर फैक्ट्री से यह बनाया जा रहा है। कोई भी काम हवाबाजी में नहीं हो रहा। अस्पताल को सारा इंफ्रास्ट्रक्चर, डॉक्टर, नर्सिंग और सभी प्रकार के इक्विपमेंट चाहिये। इन सभी इंतजामों को ख्याल में रखकर यह बनाए जा रहे हैं। टेंपरेरी अस्पतालों में जो आर्मी के डॉक्टर फ्री बैठे हुए हैं, जो अवेलेबल हैं, जिन्होंने ऑफर किया है और जो नर्सिस हमारी अंडर ट्रेनिंग है, दो-तीन दिन का क्रैश कोर्स करवा कर उन्हें उतारेंगे। पेशेंट की सभी जरूरतों को पूरा करने की हमारी कोशिशें रहेंगी।

प्रश्न : पानीपत की ऑक्सीजन आस-पास के क्षेत्रों को देने की बजाय बाहर भेजी जा रही है। इसके क्या कारण है ?
​​​​​​​उत्तर : 
पानीपत के प्लांट पर केंद्र का कंट्रोल है। जैसे हमें उड़ीसा से ऑक्सीजन अलॉट हुई है। हमें वहीं से लेनी पड़ेगी। अगर उड़ीसा के लोग कहने लगे कि पानीपत को क्यों दे रहे हैं। यह तो सिस्टम बना हुआ है। अगले 72 घंटे में पूरे हरियाणा में ऑक्सीजन की कमी खत्म हो जाएगी। इंटरनल एस्टीमेट के अनुसार हरियाणा में 220 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत रह सकती है। लेकिन हमारे पास 3 दिन के बाद यह 232 मेट्रिक टन हो जाएगी। मान लीजिए बीमारी बढ़ती है तो सपोर्ट में कई और चीजें भी निकल कर आई है। ऑक्सीजन सिलेंडर ही नहीं सिलेंडर कोस्टेटर भी स्वास्थ्य विभाग अपने तरीके से खरीद रहा है। कुछ एनजीओ ने भी ऑफर किया है। जो कि काफी फायदेमंद है। इसमें गैस सिलेंडर रिफिल करवाने की जरूरत नहीं होती है। यह अपने आप बाहर से हवा को अट्रैक्ट करके उसमें से बैड गैसेस इत्यादि को फिल्टर करके ऑक्सीजन पेशेंट को देता है।

प्रश्न : कुछ दवाओं की कालाबाजारी का खेल शुरू हो गया है। इसके लिए सरकार के पास क्या पॉलिसी है ?
उत्तर : 
इस प्रकार के हालात दहशत की वजह से पैदा हुए हैं। बहुत से मरीज ऐसे हैं जिन्हें उन इंजेक्शनो की जरूरत भी नहीं है। लेकिन वह इंजेक्शन मांग रहा है।मेडिकल प्रोफेशन में भी थोड़ी बहुत दिक्कत है। किसी और कारण से अगर मरीज ने बचना नहीं होता तो भी डॉ0 अपने आप को सही साबित करने के लिए यह इंजेक्शन मंगवा रहा है। वह दिखाना चाह रहा है कि मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं आप इंजेक्शन लाकर दे दो।इन इंजेक्शनो के बहुत बुरे साइड इफेक्ट है और यह बहुत कम इस्तेमाल किए जाते हैं। मुंबई की मुंसिपल कॉरपोरेशन के बड़े अस्पतालों ने भी कहा है। पटना के नालंदा अस्पताल ने तो एक सर्कुलर ही निकाल दिया कि रेमडेसीविर इंजेक्शन लिखना ही नहीं है। यह कोरोना में फायदा नहीं देता है। कल मुख्यमंत्री ने फिर भी कई ऐसी कंपनियों से बात की है। जो इस इंजेक्शन की मात्रा को सप्लाई को बढ़ा सकती हैं। लगता है कि शाम तक उनका कंसेंट भी आ जाएगा। सरकारी अस्पतालों में तो इंजेक्शन आज भी मौजूद हैं। शाम तक तो मेरे हिसाब से फालतू हो जाएंगे।प्राइवेट अस्पतालों की जो डिमांड आएगी उसको कैसे सिस्टमैटिक करना है। प्राइवेट अस्पताल को मीट आउट करने के लिए भी बात चल रही है कि जितना इंजेक्शन मिले आधा डायरेक्टली कंपनियों से प्राइवेट अस्पतालों को दिलवा दिए जाएं। शायद यह सफल हो जाएगा।

प्रश्न : गुड़गांव-फरीदाबाद-सोनीपत में ज्यादा मरीजों के कारण हरियाणा पर लोड बढ़ रहा है। क्या यह दिल्ली की मेहरबानी है ?
​​​​​​​उत्तर : 
बिल्कुल, जब दिल्ली में सर्विसेज नहीं मिल पा रही। तो लोगों को जहां रास्ता मिलेगा वहां जाएंगे।हरियाणा सबसे नजदीक है और हरियाणा का गुड़गांव मेडिकल हब बन चुका है। गुडगांव में बड़े अस्पताल आ गए हैं। अच्छी सर्विसेज दे रहे हैं। इसलिए लोग गुड़गांव-फरीदाबाद में इलाज लेना चाहते हैं।

प्रश्न : मृत्यु दर बढ़ने से अंतिम संस्कार के लिए 20-20 घंटे तक का इंतजार हो रहा है। सरकार के लिए यह कितनी बड़ी चुनौती है ?
​​​​​​​उत्तर : 
मान लीजिए पेशेंट सिरसा का है और दाखिल गुड़गांव में था और उसकी मौत हो गई। आप आंकड़े उठाकर देखें 12 हजार का डाटा प्रदेश का है। इसमें से अकेले गुड़गांव का आंकड़ा 4 हजार है तो सारा लोड गुड़गांव पर पड़ गया। मीडिया ने डेड बॉडी की लाइन कि जो पिक्चर रिलीज की वह कहां की। वह पूरे देश की नहीं है। या तो वह दिल्ली की या गुड़गांव की है।दोनों भीड़भाड़ वाले शहर है। दिल्ली की दो करोड़ की आबादी है तो मृत्यु संख्या भी दिल्ली की ज्यादा होगी। छोटे शहर में इतनी नहीं हो सकती। मीडिया ने जो नजरिया रिलीज किया इससे भय फैलता है।

प्रश्न : क्या दूसरे प्रदेशों से आ रहे मरीजों पर रोक भी लग सकती है ?
​​​​​​​उत्तर : 
हरियाणा की नीति यह कभी नहीं हो सकती। यह बात बहुत अमानवीय है कि हम दूसरे प्रदेश के व्यक्ति का इलाज न करें। हरियाणा का फोकस रहेगा कि लोगों को ज्यादा जागरूक करें। ताकि लोग सहयोग करें कि अगर उन्हें जरूरत नहीं है अस्पताल में जाने की तो वह न जाए। आदमी को पहले तो अस्पताल जाने के फायदे नजर आते हैं। लेकिन अस्पताल जाने का नुकसान भी है। जहां इतनी बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज एडमिट हैं। ऐसे मरीज जिन्हें अस्पताल जाने की जरूरत नहीं थी। लेकिन वह चला गया। उसे कोई दूसरा इन्फेक्शन होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। क्योंकि अस्पतालों में आजकल काफी भीड़ है।

प्रश्न : कांग्रेस और इनेलो कोरोना की व्यवस्थाओं को लेकर सरकार पर प्रश्नचिन्ह लगा रही हैं। आपकी क्या टिप्पणी है ?​​​​​​​
उत्तर : 
विपक्ष में रहना है वह बेशक सरकार को गाली दे। लेकिन मैं चाहता हूं कि वह आकर सरकार की फंक्शनिंग को देखें। यह मुख्यमंत्री मनोहर लाल बयान बाजी वाला मुख्यमंत्री नहीं है। यह पेन पेंसिल लेकर रिजल्ट देने वाला मुख्यमंत्री है। जिसको कोई शक सुबा हो वह चाहे दीपेंद्र हुड्डा हो या अभय सिंह चौटाला। मैं उनको इनवाइट करता हूं। वह आए और 24 घंटे सीएम साहब के साथ बैठकर चुपचाप उनकी वर्किंग देखें और फिर फैसला लें। उसके बाद वह जाकर जो उन्हें लगे वह बयान दें।

प्रश्न : मीडिया कर्मियों के लिए किस प्रकार की कोविड पॉलिसी बनाने जा रहे हैं। आप से मीडिया को काफी उम्मीदें हैं ?
​​​​​​​उत्तर : 
मैं अभी आया ही हूं। मैं इस मामले में विचार विमर्श करूंगा। कल भी एक विचार आया था कि चंडीगढ़ के मीडिया साथी हेवी लोड में काम कर रहे हैं। उनको जल्दी वैक्सीनेशन करवाया जाए। कल तक डाटा आ जाएगा कि कितने मीडिया कर्मियों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। उनको हम अंडर वन रूफ ही वैक्सीनेशन करवाएंगे।

प्रश्न : 2 साल पहले डिजिटल पॉलिसी की मुख्यमंत्री जी ने अनाउंसमेंट की थी। वह पेंडिंग है। कब तक उसका क्रियान्वयन करवाएंगे ?
उत्तर :
समीक्षा करेंगे कि कहां कमियां और कहां खूबियां हैं। देखभाल कर जल्द से जल्द करेंगे। हाल ही में पंजाब की भी मीडिया पॉलिसी आई है। कोरोना का प्रेशर कम होने पर वह भी स्टडी करेंगे। उनकी जो भी चीज अच्छी लगेगी। उसे अपनी पॉलिसी में ऐड करेंगे।


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Content Writer

Manisha rana

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