मिड-डे मील वर्करों ने बकाया वेतन की मांग को लेकर डीसी को सौंपा ज्ञापन

punjabkesari.in Friday, Apr 07, 2023 - 07:31 PM (IST)

पानीपत (सचिन शर्मा) : सिविल अस्पताल में सैकड़ों की संख्या में पहुंची मिड-डे मील वर्करों का गुस्सा सातवें आसमान पर देखने को मिला। मिड-डे मील कार्यकर्ताओं ने अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर शुक्रवार को डीसी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान मिड-डे मील वर्करों ने हरियाणा सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा तो दे दिया लेकिन बेटियों को समय पर वेतन तक नहीं मिलता। बीजेपी सरकार ने उन्हें भूखा रहने पर मजबूर कर दिया है।

क्या कोई सरकार भूखे रहकर काम कर सकती हैः मिड-डे मील वर्कर

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि पिछले 5 महीने से मिड-डे मील वर्करों को वेतन नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा तो दे दिया लेकिन इन बेटियों के त्यौहार भी सूखे जाते हैं। क्योंकि समय पर वेतन नहीं मिलता। क्या कोई सरकार भूखे रहकर काम कर सकती है। वहीं उन्होंने कहा कि क्या सरकार डीसी, एसपी और विधायकों का वेतन रोक सकती है। क्या किसी दूसरे विभागों के अधिकारी भी 10 महीने का वेतन लेते हैं। हमें 1 साल में 10 महीने का सरकार वेतन देती है और 2 महीने हमें घर बैठा देती है। सरकार यह बताएं कि मिड-डे मील वर्कर दो महीने कहां जाएं, कहां से अपने बच्चों के लिए 2 महीने का राशन लेकर आएं। इस दौरान गुस्साए कार्यकर्ताओं ने सीएम मनोहर लाल से कुर्सी छोड़ने तक की बात कह दी।

मिड-डे मील के नाम पर बच्चों को बीमारियां परोसी जा रहीः मिड-डे मील वर्कर

वहीं गुस्साए मिड-डे मील वर्करों ने कहा कि स्कूलों में घटिया किस्म की खाद्य सामग्री पहुंच रही है। चावल में प्लास्टिक के चावल मिल रहे हैं तो बाकी खाने की सामग्री में कीड़े मिलते हैं। मिड-डे मील वर्करों ने स्कूलों में औचक निरीक्षण करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आप स्कूल में पहुंचकर खुद चेक करिए कि खाने में किस तरह के कीड़े मिलते हैं। मिड-डे मील के नाम पर बच्चों को बीमारियां परोसी जा रही हैं। अगर कल कोई बच्चा बीमार पड़ता है तो उसके लिए भी मिड-डे मील वर्कर ही जिम्मेदार होगी। मिड-डे मील वर्करों ने कहा कि हम पर तो कार्रवाई तुरंत प्रभाव से कर दी जाती है। लेकिन क्या सरकार उन अध्यापकों पर भी कार्रवाई करेगी, जिनकी वजह से स्कूलों में बच्चे कम हो रहे हैं। स्कूलों के परिणाम खराब आ रहे हैं या दूसरे विभागों में सरकार को नुकसान हो रहा है।

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Content Editor

Mohammad Kumail

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