गृह मंत्रालय और CID विवाद के लिए मशहूर रहा है हरियाणा, ये रही है विवाद की जड़

punjabkesari.in Friday, Jan 03, 2020 - 11:45 AM (IST)

करनाल (शर्मा): हरियाणा में गृह मंत्रालय और सी.आई.डी. के बीच शुरू हुए विवाद के बाद हरियाणा पुलिस का सी.आई.डी. विंग फिर से सुॢखयों में है। यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह का विवाद शुरू हुआ है। हरियाणा में चाहे पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की सरकार हो या फिर बंसीलाल की, हर सरकार में सी.आई.डी. किसी न किसी मुद्दे को लेकर चर्चाओं में रही है।

पूर्व मुख्यमंत्रियों तथा मनोहर लाल के बीच फर्क केवल इतना है कि अब से पहले मुख्यमंत्रियों ने राजनीतिक परिस्थितियों के चलते गृहमंत्री तो बनाए लेकिन उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देकर रखा जिसके चलते गृह राज्य मंत्री पुलिस विभाग के तबादलों और दैनिक कार्यों में ही उलझे रहे।


इस बार भाजपा हाईकमान डिप्टी सी.एम. का पद मांग रहे अनिल विज ने गृहमंत्री बनाकर मनोहर लाल के समकक्ष खड़ा कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल ने अपने कार्यकाल के दौरान सुभाष बत्तरा, बंसीलाल ने मनीराम गोदारा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गोपाल कांडा को गृह विभाग तो दिया लेकिन उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देकर सत्ता को संतुलित किया।

बंसीलाल पर लगे थे मंत्रियों की जासूसी के आरोप
अपने उसूलों के लिए मशहूर रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बंसीलाल के कार्यकाल के दौरान हरियाणा की सी.आई.डी. पहली बार सुॢखयों में आई थी। बंसीलाल पर अपने ही मंत्रियों की जासूसी करवाने के आरोप लगे थे। एक समय ऐसा भी आया था जब बंसीलाल के निर्देशों पर सी.आई.डी. के जवान अंबाला में तैनात हो गए थे और दिल्ली जाने वाले मंत्रियों-विधायकों का ब्यौरा सी.एम. को देते थे।

मनोहर लाल के पहले कार्यकाल में भी विज ने लगाए थे आरोप
हरियाणा की मनोहर लाल सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य मंत्री रहे हुए अनिल विज ने आशंका जताई थी कि सरकार उनकी जासूसी करवा रही है। विज ने बाकायदा एक कर्मचारी को अपने कार्यालय में पकड़ा भी था। इसके घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल को मीडिया में आकर खुद स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी थी।

क्या है विवाद की जड़
आमतौर पर सी.आई.डी. की जिम्मेदारी प्रदेश में होने वाली बड़ी गतिविधियों के बारे में सरकार को समय से पहले जानकारी देना होती है। हरियाणा की सी.आई.डी. पर शुरू से सवाल उठते रहे हैं। जाट आरक्षण आंदोलन और डेरा सच्चा सौदा प्रकरण के दौरान भी सही इनपुट के अभाव में सी.आई.डी. सवालों के घेरे में आ गई थी। सी.आई.डी. आमतौर पर मुख्यमंत्री के अधीन होती है लेकिन चूंकि हरियाणा में कैबिनेट मंत्री के पास गृह विभाग है इसलिए सी.आई.डी. की रिपोॄटग का विवाद है। सूत्रों के अनुसार सी.आई.डी. द्वारा राजनीतिक घटनाक्रम की जानकारी तो मुख्यमंत्री को दी जा रही है, जबकि कानून-व्यवस्था, धरने प्रदर्शन तथा दैनिक आपराधिक घटनाओं से संबंधित रिपोर्ट गृहमंत्री को दी जा रही है। यह विवाद का बड़ा कारण है।


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Isha

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