हुड्डा सरकार में विधायक जिन बच्चों के नाम देते थे, नंबर हो या न हो, नौकरी उन्हीं की लगती थी: नरेश

punjabkesari.in Monday, Aug 23, 2021 - 02:02 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा युवा किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष नरेश यादव अतीत में रही हुड्डा सरकार में विधायक रह चुके हैं। लेकिन स्पष्टवादी विचारधारा के धनी यादव ने कई मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चा करते हुए अपनी ही अतीत में रही सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। यादव ने जहां दक्षिण हरियाणा की सबसे बड़ी पानी की समस्या को लेकर सभी सरकारों पर सवाल खड़े किए, वहीं नौकरियों में केवल सिफारशी बच्चों की भर्तियों को लेकर भी हुड्डा और चौटाला सरकार पर कटाक्ष किए। 

यादव ने कहा कि मैं भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में विधायक रहा। लेकिन कोई एक भी बच्चा मेरिट के आधार पर भर्ती नहीं किया जाता था। विधायक जिन बच्चों के नाम देते थे उनके नंबर हो या ना हो वही सिलेक्ट किए जाते थे। उन्होंने कहा कि चौटाला के समय में भी ऐसा होता था। लेकिन मनोहर सरकार के आने के बाद दक्षिण हरियाणा के बच्चों को मेरिट के आधार पर नौकरियां मिलने लगी हैं और वह मुख्यधारा में आए हैं। ईमानदारी से भर्तियां हुई हैं और इस सरकार के दोबारा सत्ता में आने का प्रमुख कारण भी यही है।

नरेश यादव ने कहा कि मैं भी किसान नेता हूं और कुछ किसान नेता किसानों के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं। लेकिन किसान नेता को केवल किसानों के मुद्दे पर कायम होना चाहिए न कि किसकी सरकार गिरानी है और किसे बनाना है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान नेता पश्चिम बंगाल में राजनीतिक षड्यंत्र के तहत पहुंचे थे। लेकिन उनके पहुंचने का कोई भी असर चुनावों पर नहीं पड़ा।

हरियाणा प्रदेश के बहुत से किसान नेताओं ने इन कृषि कानूनों का शुरुआत में समर्थन किया था। लेकिन जब पंजाब के किसान आकर बैठ गए। माहौल तैयार हुआ तो यही लोग राजनीतिक रोटियां सेकने के चक्कर में आंदोलन में पहुंच गए। लंबे समय से किसान नेता यह मांग कर रहे थे कि किसान कर्जे से मुक्त होना चाहिए। किसान की आमदनी डबल होनी चाहिए। किसान की आत्महत्या रुकनी चाहिए। सरकार के यह तीन कृषि कानून इसी का एक हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि दक्षिण हरियाणा की 45 वर्ष पुरानी सबसे बड़ी समस्या पानी की है। इस सरकार ने कुछ प्रयास किए हैं। पहली बार दक्षिण हरियाणा के जोहड़ों और नदियों में पानी डाला गया। लेकिन वाटर लेवल ऊपर लाने के लिए इन लहरों को लगातार दो-तीन साल तक चलाना जरूरी है। मेरी सभी राजनीतिक दलों और विधायकों से मांग है कि एसवाईएल नहर के निर्माण से जो हरियाणा में पानी आना है या मैन भाखड़ा कैनाल से पंचर कर के हांसी-बुटाना लिंक नहर के जरिए जो पानी आना है उसके लिए सारा सिस्टम तैयार है। नहरें बनी हुई है। हजारों करोड़ रूपए सरकार द्वारा खर्च किए जा चुके हैं और आज बॉर्डर पर हरियाणा पंजाब के किसान इकट्ठे दूध पी रहे हैं। 

हरियाणा के किसान मदद कर रहे हैं। मेरा निवेदन है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जल्द से जल्द लागू करवाया जाए और दक्षिण हरियाणा के आखिरी छोर तक सतलुज यमुना लिंक नहर का पानी पहुंचाया जाए और भारत सरकार मैन भाखड़ा से पानी पहुंचाने का काम करें। नरेश यादव ने कहा कि इस बार दक्षिण हरियाणा के किसानों की सरसों डबल भाव में बिकी। सरकार ने बाजरा न बोने वालों को 4000 की प्रोत्साहन राशि दी और किसानों ने बाजरे की जगह मूंग की खेती की है। जो कि बहुत अच्छी फसल होने जा रही है। भारत सरकार की माइकल इरिग्रेशन स्कीम के लिए 85 फ़ीसदी सब्सिडी की मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की गई। लेकिन यह योजना तभी कामयाब होगी जब वाटर लेवल ऊपर आएगा और वाटर लेवल दो-तीन साल तक लगातार नहरे चलें तभी ऊपर आ पाएगा। इसके लिए सभी नेताओं को पार्टियों को एकजुट होना चाहिए। 

पानी हमारी जीवन रेखा है। इसलिए विधानसभा में इस पर सर्वसम्मति बननी चाहिए। यादव ने कहा कि पानी के मुद्दे पर सभी राजनीतिक पार्टियां कसूरवार रही हैं। भिन्न-भिन्न समय में राजनीतिक पार्टियां सत्ता में रही। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा एक अच्छा प्रयास हुआ है। इस मुख्यमंत्री की नियत ठीक है। कृषि कानूनों के खिलाफ कुछ विधायकों ने किसानों के मुद्दे पर इस्तीफा दिया। लेकिन किसी ने दक्षिण हरियाणा की आवाज नहीं उठाई। पंजाब की पार्टियां पोस्टर लगाती हैं कि पानी की एक बूंद भी हरियाणा को नहीं देंगे और हरियाणा की राजनीतिक पार्टियां पोस्टर लगाती हैं की एक बूंद पानी भी नहीं छोड़ेंगे। 45 साल से चल रही यह बहस रुकनी चाहिए। इसे चुनावी मुद्दा बनाने की बजाय दक्षिण हरियाणा के प्यासे लोगों को पानी देने पर काम होना चाहिए।

इसके साथ नरेश यादव ने कहा कि हरियाणा विधानसभा में बैठे लोग केवल सत्ता के लालच के लिए हाउस में बोलते हैं। अगर कोई सरकार ठीक काम कर रही है तो उसे ठीक बताने में हर्ज नहीं होना चाहिए। लेकिन राजनीतिक विचारधारा ऐसी बन गई है कि विपक्ष ने हर बात का विरोध ही करना है। हम किसान आंदोलन के मुद्दे पर पैदल चलकर दिल्ली पहुंचे भारत के राष्ट्रपति, कृषि मंत्री, जल संसाधन मंत्री से मिले। उस समय हरियाणा और पंजाब दोनों का सेशन चल रहा था। मैंने दोनों प्रदेशों के विधायकों को ज्ञापन सौंपकर विनती की थी कि हमारे पानी की समस्या पर भी सहमति बनाओ। 

उन्होंने कहा कि किसान बिल अभी धरातल पर इंप्लीमेंट नहीं हुआ है। लेकिन एसवाईएल के पानी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति दोनों ने दक्षिण हरियाणा में पानी की किल्लत को समझते हुए सहमति दी है कि इन्हें पानी दिया जाए। लेकिन किसान आंदोलन में इस मुद्दे पर किसी ने कोई बात नहीं की। जबकि किसान बिल तो अभी धरातल पर है ही नहीं और लोकसभा चुनावों को केवल 2 साल बाकी हैं। अगर इनमें कुछ गलत है और जनता-किसान इसके खिलाफ हैं तो लोकसभा चुनाव दूर नहीं है।
 

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Content Writer

vinod kumar

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