Palwal News: मृत घोषित किया नवजात, अंतिम संस्कार से पहले निकली सांसें... निजी अस्पताल पर लापरवाही का आरोप
punjabkesari.in Wednesday, Jul 30, 2025 - 08:46 PM (IST)

पलवल (गुरुदत्त गर्ग): पलवल जिले के एक निजी अस्पताल में चिकित्सकीय लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। फिरोजपुर गांव निवासी एक दंपती के नवजात बेटे को अस्पताल ने मृत घोषित कर परिजनों को सौंप दिया। परंतु जब परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, तो पता चला कि बच्चा अभी जीवित है। उसकी सांसें चल रही थीं, धड़कन महसूस हो रही थी और हाथ-पैर में हलचल थी। पिता नवजात को एक अन्य अस्पताल ले गया, जहां बच्चे को भर्ती कर इलाज शुरू किया गया।
घटना का विवरण
परिवार के अनुसार, 28 जुलाई को मनीषा (गर्भवती, 6.5 माह) की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उसे पलवल के गुरु नानक अस्पताल में भर्ती कराया गया। मंगलवार दोपहर 2:30 बजे मनीषा ने एक प्रीमैच्योर शिशु को जन्म दिया। अस्पताल ने बताया कि बच्चा मृत है और "फॉर्मेलिटी" के नाम पर तीन घंटे तक प्रतीक्षा कराई गई। शाम को जब बच्चा कपड़े में लपेटकर परिजनों को सौंपा गया, तो पिता अमर ने देखा कि उसकी सांसें चल रही हैं और शरीर में हलचल है। आनन-फानन में उसे एक अन्य निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज जारी है और हालत स्थिर बताई जा रही है।
गंभीर आरोप और शिकायत
अमर ने गुरु नानक अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके बच्चे की जान खतरे में डाल दी गई। इलाज में देरी से बच्चे के हाथ में फ्रैक्चर हो गया और वह नीला पड़ चुका है। परिजनों ने इस मामले की शिकायत कैम्प थाना पलवल और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) कार्यालय में की है।
वहीं, डीएसपी (क्राइम) मनोज कुमार वर्मा ने बताया कि मामले की शिकायत प्राप्त हुई है और जांच शुरू कर दी गई है। नवजात का वजन 600 ग्राम था और उम्र लगभग 25 सप्ताह की थी। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ डॉक्टरों से बात करने के बाद आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अस्पताल प्रशासन की सफाई
गुरु नानक अस्पताल के संचालक डॉ. अनूप सिंह और गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. तनु वर्मा ने बताया कि मनीषा की हालत अस्पताल लाते समय ही गंभीर थी। बच्चा प्रीमैच्योर था और जीवित रहने की संभावना बेहद कम थी। उन्होंने दावा किया कि बच्चे को मृत नहीं बताया गया, बल्कि उसकी स्थिति "गंभीर" बताई गई थी।
विशेषज्ञों और कानून का क्या कहना है?
चिकित्सकीय विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी नवजात को तब तक मृत घोषित नहीं किया जा सकता जब तक वह सांस, हृदयगति और न्यूरो रिस्पॉन्स की सभी स्थितियों में असफल न हो। कम से कम 10 मिनट तक निगरानी अनिवार्य है। भारतीय दंड संहिता की धारा 304A के तहत, चिकित्सकीय लापरवाही से जान को खतरा या मृत्यु होना दंडनीय अपराध है।
जन आक्रोश और सवाल
इस घटना ने आमजन को झकझोर दिया है। लोगों का सवाल है कि आखिर एक जीवित नवजात को मृत कैसे घोषित किया जा सकता है? परिजनों ने दोषी अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह मामला न केवल चिकित्सकीय लापरवाही का है, बल्कि आम लोगों के अस्पतालों और डॉक्टरों पर विश्वास को भी गहरी चोट पहुंचाने वाला है। अब सभी की निगाहें प्रशासन की जांच और कार्रवाई पर टिकी हैं।
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