लालटेन की रोशनी में पढ़ाई, ढाबे पर मेहनत कर रही नेपाल की रचना का सपना.. भारत में बनना चाहती है IAS-IPS
punjabkesari.in Sunday, Jun 25, 2023 - 06:51 PM (IST)

डेस्कः अमेरिका में पंजाब केसरी के पत्रकार नरेंद्र जोशी ने नेपाल की यात्रा की। पंजाब केसरी के साथ अपने यात्रा का उन्होंने अनुभव साझा किया। इस यात्रा वृतांत में उन्होंने नेपाल में होने वाली कठिनाइयों के जिक्र के साथ कक्षा 11वीं की छात्रा रचना नारकी का जिक्र किया, जो ढाबे पर काम करती है और भारतीय सिविल सर्विसेज में कैरियर बनाना चाहती है...
अमेरिका से हर वर्ष भारत तथा अन्य देशों में जाने का मौका मिलता है, लेकिन इस बार भारत प्रवास के दौरान साथ लगते देश नेपाल में भी जाने का अवसर मिला। दिल्ली से नेपाल तक 24 घंटे की यात्रा कार से पूरी की। यह 24 घंटे का सफर पूरा करने के बाद सोनाली बॉर्डर पहुंचा। यहां बॉर्डर पर पहुंचने पर पूरी जांच प्रक्रिया से गुजरने के बाद कार की ओरिजनल आरसी और ड्राइवर का ओरिजनल ड्राइविंग लाइसेंस देखा गया। साथ ही एंट्री फीस ली गई। इसके बाद सोनाली से पोखरा करीब दो सौ किलोमीटर की दूरी तय की। इस दो सौ किलोमीटर में करीब 125 किलोमीटर का रास्ता काफी उबड़ खाबड़ रहा।
ऐसे में जब रात को मध्य रात्रि पहुंचे तो पता चला कि यहां रात 11 बजे सभी रेस्टोरेंट बंद हो जाते हैं। मैं अपनी धर्मपत्नी सुनीता जोशी, ड्राइवर देवेंद्र सिंह और मित्र मयूर के साथ लम्बा सफर करने के बाद पहुंचा था। यहां पहुंचने पर पुलिस द्वारा वाहन चालक की जांच की गई कि कहीं उसने शराब इत्यादि का सेवन तो नहीं किया हुआ है। पोखरा में करीब दो दिन तक रुके और वादियों का नजारा लिया। पोखरा के पहाड़ों पर ऐतिहासिक शिव मंदिर देखा। पोखरा के ऐतिहासिक जोड़ग्गा शिव मंदिर का इतिहास जाना। यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां प्रत्येक सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। मंदिर में स्थित पोखरा का भी विशेष महत्व है। यहां आने वाले श्रद्धालु इस पोखरे में स्नान करने के बाद भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि, कजरी तीज, मलमास व सावन माह में भगवान शिव के पूजन-अर्चन के लिए यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है।
इस के उपरांत पोखरा से काठमांडू तक का सफर किया। इस दौरान भी काफी सड़क की हालत खराब देखी। काठमांडू पहुंचकर भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन किए। यहां फोटोग्राफी की अनुमति नहीं थी।
काठमांडू से वापसी पर एक गांव रामनगर चिटिवान पड़ता है, जहां थोड़ी देर के लिए रुकने का अवसर मिला। यहां रास्ते में चूल्हे वाले ढाबे पर एक लड़की मिली जो ढाबे पर काम कर रही थी। इस लड़की ने अपना नाम रचना नारकी बताया। यह लड़की ढाबे पर काम करने के साथ लालटेन में पढ़ाई करती है। उस समय भारत में प्राचीन काल की याद आई। इस लड़की से जब यहां काम करने के बारे में बताया कि वह 11वीं कक्षा की छात्रा है जो मेडिकल साइंस में शिक्षा ग्रहण कर रही है। उस लड़की से काम करने के बारे पूछा तो बताया कि सुबह से शाम के बीच पढ़ाई के अलावा ढाबे पर अपने माता पिता का सहयोग करती है। रचना ने बताया कि ढाबे पर काम करने के साथ स्कूल में पढ़ाई को समय देती हूँ। रचना ने बताया कि ढाबे पर इतनी मेहनत करने के बाद भी उसने स्कूल की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उस लड़की का सपना है कि वह अपनी मेहनत से सर्वोच्च प्रशासनिक पद पर पहुंचे। उसे मौका मिले तो वह परीक्षा पास कर भारत सरकार में आई.ए.एस. अथवा आई.पी.एस अधिकारी बने। यह नेपाल में अपने आप में याद रखने योग्य अनुभव रहा।
भारतीय करेंसी को नेपाली करेंसी में बदलने का भी अनुभव अच्छा नहीं रहा है। काफी परेशानी के बाद बैंक से ही समाधान हुआ। भारतीय करेंसी को पोखरा में पैट्रोल पम्प पर स्वीकार नहीं किया गया, जबकि काठमांडू में पैट्रोल पम्प पर भारतीय करेंसी को लेकर कोई परेशानी नहीं हुई। नेपाल में अमेरिकी डॉलर चलाने में अवश्य काफी परेशानी हुई। सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति भी कोई ठीक नहीं है। होटल तथा ढाबों पर भी शौचालय साफ सुथरे नहीं हैं।