NGT ने महेंद्रगढ़ जिले के 72 क्रशरों को बंद करने के किए निर्देश जारी
punjabkesari.in Sunday, Jul 28, 2019 - 04:12 PM (IST)
रेवाड़ी: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नियमों के विरुद्ध महेंद्रगढ़ जिले में चल रहे 72 क्रशरों को बंद करने का फरमान सुनाया है। यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता एवं पर्यावरणप्रेमी इंजीनियर तेजपाल यादव द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करने पर दिया गया है।
एनजीटी ने फैसला गत 24 जुलाई को सुनाया था, जिसकी कॉपी उन्हें एक दिन बाद मिली है। बता दें कि खतोली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता तेजपाल ने एनजीटी में एक याचिका दायर की थी। जिसमें जिले में स्टोर क्रशरों को गलत तरीके से लगाने की बात कही गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने 24 जुलाई से पहले डीसी को स्टोन क्रशरों की रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिए थे।
तेजपाल यादव ने दायर की थी याचिका
गौरतलब है कि तेजपाल यादव ने सितंबर 2018 में वकील राजकुमार के माध्यम से स्टोन क्रशरों के विरोध में एक याचिका एनजीटी में दायर की थी। जिसमें स्टोन क्रशरों के आबादी क्षेत्र, वन क्षेत्र व शिक्षण संस्थान आदि से दूरी संबंधित दूरी मापदंड व डार्क जोन सहित अन्य मुद्दे उठाए गए थे। इस पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने जांच के आदेश दिए गए थे। 12 दिसंबर 2018 को जस्टिस आदर्श गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा तीन स्टोन क्रशरों की एनओसी रद्द की थी। वहीं याचिकाकर्ता की मांग के अनुसार जिले के स्टोन क्रशरों की जांच के आदेश दिए थे। इस पर हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक तीन अधिकारियों पर गाज भी गिर चुकी है। जिसमें दो तहसीलदार चार्जशीट हुए व डीटीपी का एक जेई सस्पेंड भी हो चुका है। वकील ने बताया कि एनजीटी में जिला प्रशासन द्वारा बार-बार समय मांगा गया। इसी के तहत नगर परिषद के नक्शे में काट छांट करके प्रारंभिक अधिसूचना जारी हुई।
दो रिपोर्टों को एनजीटी कर चुका खारिज
9 अप्रैल 2019 को सरकार द्वारा एक बार फिर समय मांग लिया गया। वकील राज कुमार ने बताया कि प्रशासन ने एनजीटी को 72 स्टोन क्रशरों के हरियाणा सरकार के नोटिफिकेशन (11 मई 2016) अनुसार मापदंड नहीं पूरे करने की रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें 18 स्टोन क्रशरों के बोरवेलों को सील करने की भी रिपोर्ट थी। रिपोर्ट में जिला प्रशासन ने कहा कि केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण के साथ संयुक्त समिति इन स्टोन क्रशरों द्वारा भूजल के अवैध निकासी के लिए पर्यावरण क्षति का भी आंकलन करेगी। वकील के अनुसार पहले प्रशासन द्वारा सौंपी गई दो रिपोर्टों को एनजीटी खारिज कर चुका है। तीसरी रिपोर्ट भी सिर्फ दूरी मापदंड को छोड़कर सभी पहलुओं पर विफल रही।