हरियाणा लोक सेवा आयोग में सदस्यों के अब 4 पद रिक्त
punjabkesari.in Sunday, Jun 13, 2021 - 08:33 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) में चेयरमैन (अध्यक्ष) के अतिरिक्त कुल आठ सदस्यों के पद हैं। छः वर्ष पूर्व 12 जून 2015 को खट्टर सरकार द्वारा आयोग में नियुक्त 2 सदस्यों डॉ. कुलबीर छिकारा और डॉ. वंदना शर्मा का कार्यकाल पूर्ण हो गया है। सवा वर्ष पूर्व मार्च, 2020 में आयोग के 2 अन्य सदस्यों नीलम सिंह और राजेश वैद का कार्यकाल भी पूर्ण हो गया था। जिन दोनों को हालांकि मार्च, 2014 में तत्कालीन हुड्डा सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था। हालांकि मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार द्वारा उनके स्थान पर 2 नए सदस्यों की नियुक्ति नहीं की गई है।
अब इस विलम्ब के पीछे राजनीतिक कारण या प्रशासनिक, यह देखने लायक है। बहरहाल, अब आयोग में रिक्त सदस्यों की संख्या कुल 4 हो गई है। अब यह देखने लायक होगा की भाजपा अपने सहयोगी जजपा को इन चार में से कितने पद देती है। गत वर्ष 22 अक्टूबर, 2020 को आयोग के तत्कालीन चेयरमैन (अध्यक्ष) पद से रंजीत कुमार पचनंदा, जो रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी हैं, का कार्यकाल पूर्ण होने के साथ ही खट्टर सरकार द्वारा आलोक वर्मा, जो सेवानिवृत्त आईएफएस (भारतीय वन सेवा) अधिकारी हैं, उन्हें चेयरमैन के तौर पर नियुक्त किया गया। वहीं पंचनदा को इसी वर्ष 5 फरवरी को हरियाणा विद्युत नियामक आयोग (एचईआरसी) का चेयरमैन नियुक्त किया गया। जिस पर कई कानूनी और संवैधानिक सवाल भी खड़े हुए एवं वर्तमान यह मामला हाई कोर्ट में लंबित है।
बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 316 (2) के अनुसार राज्य लोक सेवा आयोग में चेयरमैन और सदस्यों का कार्यकाल नियुक्ति के छः वर्षों तक या उनकी आयु के 62 वर्ष होने तक, जो भी पहले हो, तक होता है। उन्होंने बताया की वर्ष 1976 से पहले आयु की यह सीमा 60 वर्ष होती थी। पचनंदा को 25 जुलाई, 2019 को आयोग का चेयरमैन लगाया गया, परन्तु इसके सवा वर्ष बाद ही उनकी आयु अक्टूबर, 2020 में 62 वर्ष हो गई थी, इसलिए उनका कार्यकाल पूर्ण हो गया। भारत के संविधान अनुसार राज्य लोक सेवा आयोग के चेयरमैन या सदस्य को उसके कार्यकाल के बाद प्रदेश सरकार के अधीन किसी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता।
उन्होंने बताया कि वर्तमान चेयरमैन वर्मा, जिनकी जन्म तिथि 24 अक्टूबर, 1964 हैं अर्थात जो चेयरमैन नियुक्त होते समय 56 वर्ष के थे, वह पूरे छः वर्षो तक 23 अक्टूबर 2026 तक एचपीएससी के अध्यक्ष पद पर रह सकेंगे, जब तक वह 62 वर्ष के होंगे। ज्ञात रहे कि संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) में चेयरमैन और सदस्यों का कार्यकाल नियुक्ति के छः वर्षों तक या आयु के 65 वर्ष होने तक, जो भी पहले हो, तक होता है। संघ एवं राज्य दोनों के लोक सेवा आयोग में नियमित चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 316 (1) में की जाती है।
हेमंत ने बताया कि हरियाणा में पूर्व हूड्डा सरकार ने हरियाणा लोक सेवा आयोग (सेवा की शर्तें) विनियमन, 1972 में वर्ष 2008 में सशोधन कर आयोग में सदस्यों की संख्या तत्कालीन 8 से बढ़कर 12 कर दी थी, लेकिन वर्ष 2012 में दोबारा उनमें संशोधन कर इस संख्या को घटाकर 6 कर दिया था। जुलाई, 2013 में हुड्डा सरकार द्वारा मनबीर भड़ाना को आयोग के चेयरमैन लगाया गया जो पूरे छः वर्ष जुलाई, 2019 तक इस पद पर रहे। हालांकि जून, 2015 में भाजपा की खट्टर सरकार ने उक्त विनियमों में संशोधन कर फिर से आयोग में सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 8 कर दी थी और सबसे पहले डॉ. कुलबीर छिकारा और डॉ. वंदना शर्मा को सदस्य नियुक्त किया। फिर अगस्त, 2016 में नीता खेड़ा और जय भगवान गोयल, फिर मई, 2017 में सुरेंद्र सिंह और दिसंबर, 2017 में डॉ. पवन कुमार को सदस्य नियुक्त किया।
दो वर्ष पूर्व जून 2019 में हेमंत द्वारा दायर आरटीआई याचिका के फलस्वरूप ही तत्कालीन मुख्य सचिव डीएस ढेसी (वर्तमान में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव) द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर आयोग के तत्कालीन चेयरमैन (अध्यक्ष) मनबीर भड़ाना एवं आयोग के पांच अन्य सदस्यों नीलम सिंह, राजेश वैद, नीता खेड़ा, जय भगवान गोयल एवं सुरेंदर सिंह की नियुक्ति के सम्बन्ध में जारी मूल नोटिफिकेशनों में सुधार/संशोधन किया गया था। क्योंकि गलती से या लापरवाही से उन सभी की नियुक्ति की मूल नोटिफिकेशन में भारत के संविधान के अनुच्छेद 316 के खंड (1) क स्थान पर अनुच्छेद 316 का खंड (1 ए) का उल्लेख कर दिया गया था जो कार्यवाहक चेयरमैन की नियुक्ति से सम्बंधित है। इस गड़बड़ी को सुधारने के लिए सर्वप्रथम हेमंत ने राज्य सरकार को लिखा और फिर इस मामले में आरटीआई भी दायर की।
दिसंबर, 2018 में खट्टर सरकार द्वारा बनाए गए ताजा हरियाणा लोक सेवा आयोग (सेवा की शर्तें) विनियमन, 2018, जो हालांकि 1 जनवरी 2016 से लागू किए गए, उनमें भी आयोग में सदस्यों की संख्या आठ ही निर्धारित है। हेमंत का कहना है कि अगर वर्तमान भाजपा-जजपा सरकार को आयोग में गत सवा वर्ष से रिक्त पड़े 2 सदस्यों के पद जो अब बढ़कर 4 हो गए हैं, चाहे किसी भी कारण से नहीं भरने हैं, तो ऐसी परिस्थितियों में प्रदेश सरकार को उक्त 2018 विनियमों में संशोधन कर आयोग में सदस्यों की संख्या को 8 से घटा देना चाहिए, लेकिन एक संवैधानिक आयोग में रिक्त पड़े सदस्यों के पदों को एक वर्ष के लंबे समय तक खाली रखना न्योचित नहीं हैं।
आयोग हरियाणा सरकार के ग्रुप ए और ग्रुप बी अर्थात गजेटेड (राजपत्रित) अधिकारियों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार आदि आयोजित कर राज्य सरकार को इस संबंध में चयनित उम्मीदवारों की अनुसंशा भेजता है। जिन्हें बाद में राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति प्रदान की जाती है। इसी वर्ष आयोग द्वारा एचसीएस (न्यायिक) और एचसीएस (कार्यकारी) के पद भरने के लिए विज्ञापन जारी किया है।