अब सैनी के पिटारे से निकलेंगे खटाखट ऐलान! चुनावी मौसम में होगा सियासी तोहफों का खेला
punjabkesari.in Thursday, Jul 18, 2024 - 03:19 PM (IST)
अम्बाला : नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं में नयी उर्जा व जोश का माहोल है। लोकसभा चुनावों की हार को भुला कर पार्टी के ज्यादातर कार्यकर्ता फिर से खड़ा होने लगे हैं जबकि कुछ अभी भी अलग थलग बैठे हैं। भाजपा क्षेत्रों का मानना है कि केडरबेस पार्टी होने के नाते कुछ कार्यकर्ता रूठ तो सकते हैं लेकिन अपना रास्ता नहीं बदल सकते। वैसे भी कार्यकर्ताओं की एकजुटता चुनावों में संजीवनी साबित होती है। मुख्यमंत्री ने अभी हाल में अग्निवीरों को जो तोहफा दिया हैं उससे सेना ही नहीं युवाओं का मनोबल भी बढ़ेगा। उन्होंने सरपंचो का मानदेय दुगना करने, कच्चे सरकारी कर्मियों के वेतन बढ़ोत्तरी करने, गरीबों को मुफ्त प्लाट देने, गरीबों को मुफ्त बस यात्रा का हैप्पी कार्ड देने व बिना खर्ची पर्ची के हजारों पक्की नौकरियाँ देने की जो शुरुआत की है उससे आम आदमी भाजपा से जुड़ा है।
अभी तो चुनाव से पहले उन्होंने अपना चुनावी पिटारा खोलना है, जिसमें से महाराष्ट्र की तर्ज पर लाडला भाई योजना व मध्यप्रदेश की लाडली बहना योजना जैसे कुछ बड़े ऐलान भी निकल सकते हैं। चुनावों से पहले कांग्रेस व अन्य दल कर्ज में डूबे सूबे के बजट को ताक पर रख कर कई लम्बी चौड़ी घोषणाएं करनी हैं। महारष्ट्र सरकार ने इस साल वहां होने वाले विस चुनावों के मद्देनजर लाडला भाई योजना शुरू की है जिसके तहत बारहवीं पास हर युवा को 6 हजार रूपये, डिप्लोमाधारी को 8 हजार व व स्नातक को 10 हजार रूपये दिए जाएंगे। यहाँ भी अगले तीन महीने बाद विस चुनाव है इसलिए नायब सैनी भी कुछ बड़े ऐलान कर उन्हें जमीन पर उतार सकते हैं। हरियाणा में बेरोजगारों की बड़ी फ़ौज है। लाडला भाई जैसी योजना से उन पर मरहम लगाया जा सकता है। सूबे की आधी आबादी की जेब भी भारी करना भी जरूरी है। वैसे भी सियासत में यह रिवाज हो गया है कि कुछ दोगे तभी कुछ मिलेगा।
दरअसल अपनी सादगी व मिलनसारिता की वजह से पार्टी में नायब सैनी की पहचान एक कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के तौर पर बनने लगी है। माना जा रहा है कि यदि सैनी ने जनहित में बड़े फैसले लेने का सिलसिला जारी रखा तो आने वाले समय में सूबे में कमल का ग्राफ बढ़ सकता है। आम कार्यकर्ता को अब उनके दरवाजे पर दस्तक देने में कोई परेशानी नहीं आती। वह कार्यकर्ताओं में यह भरोसा बनाने में कामयाब हो रहे हैं कि कार्यकर्ता उनके लिए सर्वोपरी हैं।
करीब साढ़े नौ साल तक मुख्यमंत्री रहे अब केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल व पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने पार्टी के संगठन को बूथ स्तर तक इस कदर मजबूत कर दिया था कि विपक्ष भी उसका लोहा मानने लगा। पन्ना प्रमुखों की जो फ़ौज उन्होंने तैयार की थी वह अब मायूसी के दौर में है। 2014 व 2019 में भाजपा की सरकार बनवाने में पन्ना प्रमुखों की बड़ी भूमिका थी लेकिन 2024 के आते आते उनकी रफ़्तार ढीली पड़ गयी।
किसी की नकेल कसी तो किसी को दिया फ्रीहेन्ड
2019 के लोकसभा चुनावों में सूबे के सभी दस सीटों पर कमल खिला और राज्य सरकार की पांच सालों की एंटीइनकम्बेंसी होने के बाबजूद सूबे में भाजपा की सरकार बनी। 2024 के लोकसभा चुनाव में किसानों की नाराजगी, कांग्रेस का आरक्षण खत्म करने का प्रचार व पन्ना प्रमुखों निष्क्रियता भाजपा के खिलाफ एक बड़ा फेक्टर था जिसके चलते उसे अपनी पांच सीटें गंवानी पडीं। इन नतीजों से भाजपा को कुछ मायूसी जरूर हुई लेकिन उसे इस बहाने कार्यकर्ताओं की ताकत का भी अंदाजा हो गया। नायब सैनी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे बड़ा काम जन प्रतिनिधियों के सम्मान की बहाली के लिए अफसरशाही पर नकेल कसी और उन्होंने उन कुछ एक आला अफसरों पर पूरा भरोसा भी किया और उन्हें फ्रीहेंड दिया जो पिछले कई सालों से सरकार को हर बड़ी मुश्किल से निकाल कर उसके लिए संकटमोचक साबित होते रहे हैं।
प्रदेश में बढ़ा है भाजपा का ग्राफ
पिछले साढ़े 9 सालों में पहले तात्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल और अब मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सैनी ने मोदी जी के सबका साथ सबका विकास मन्त्र को जमीन पर उतार कर दिखाया। सरकार ने हर वर्ग को राहत देने की कोशिश की है। हर जिले में विकास के ढेर सारे काम हुए हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के आरक्षण को लेकर किये गए दुष्प्रचार से पार्टी को थोड़ा बहुत नुक्सान हुआ है लेकिन काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा दो तिहाई बहुमत हासिल करके तीसरी बार सत्ता में लौटेगी और नायब सैनी के सर पर फिर एक बार मुख्यमंत्री का ताज सजेगा |