अब पूरे हरियाणा में नए सिरे से लागू होगा हरकोका, विधानसभा सत्र में पास हुआ बिल, पढें पूरी खबर

punjabkesari.in Friday, Nov 06, 2020 - 09:38 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा में अपराध पर शिकंजा कसने के लिए महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर बीते साल 4 अगस्त को विधानसभा में पारित विधेयक हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण (हरकोका) को बृहस्‍पतिवार को विधानसभा सत्र के दौरान प्रदेश सरकार ने वापस लेने की घोषणा की। उसके बाद आज शुक्रवार को इसकी जगह हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2020 पारित किया गया है।

  संगठित अपराध सिंडिकेट या गैंग की आपराधिक गतिविधि के निवारण और नियंत्रण हेतु तथा उनसे निपटान और उनसे संबंधित या उनके आनुषंगिक मामलों के लिए विशेष उपबंध करने के लिए हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2020 पारित किया गया है। पिछले दशक में राज्य में अपराध के पैटर्न में बदलाव देखने को मिला है। पहले व्यक्ति विशेष अथवा समूह द्वारा जघन्य अपराध जैसे हत्या, डकैती, अपहरण और जबरन वसूली की जाती थी, लेकिन पिछले एक दशक में हरियाणा में गैंगस्टर और संगठित अपराध का प्रचलन हुआ है। नई उम्र के अपराधियों के गिरोहों ने एक संगठित आपराधिक उद्यम के रूप में जीवन जीना शुरू कर दिया है।

ऐसे उदाहरण सामने आए हैं कि हरियाणा के कुछ जिलों में सक्रिय, संगठित आपराधिक गिरोहों ने अपराधियों का एक संगठित नेटवर्क स्थापित कर लिया है। जिनमें शूटर, मुखबिर, गुप्त सूचना देने वाले और हथियार आपूर्तिकर्ता शामिल हैं। अच्छी तरह से परिभाषित सदस्यता और पदानुक्रम के साथ उचित रूप से ये गिरोह मुख्य रूप से सुपारी हत्याओं, व्यावसायियों को धमकी देकर जबरन वसूली, मादक पदार्थों की तस्करी, सुरक्षा रैकेट्स आदि पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जिनमें भारी लाभ मिलने की संभावना होती है। 

ये गिरोह संपत्ति पर कब्जा करने के लिए अपराध करते हैं, अपने सहयोगियों की देखभाल करते हैं जो जेल में हैं, महंगे आपराधिक मुकदमें लडऩे वाले वकीलों की सेवाएं लेते हैं और उन गवाहों को मारते हैं जो उनके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत करते हैं।

इस तरह के अपराधी आपराधिक कानून और प्रकिया के सुधार एवं पुर्नवास संबंधी पहलुओं का भी फायदा उठाते हैं और आगे अपराध करने के लिए हिरासत से रिहा हो जाते हैं। कुछ समय में ही ये गिरोह जनता में अपनी एक डरावनी छवि बना लेते हैं। इस तरह की छवि व्यापारियों और उद्योगपतियों से सुरक्षा के बदले धन की उगाही में इन गिरोहों की मदद करती है। इस प्रकार यह उनके खजानों को भरती है।

यह नीति निर्माताओं और आंतरिक सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए चिन्ता का विषय है और उनका मानना है कि इस तरह की आपराधिक गतिविधियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कड़े कानून की आवश्यकता है। कुछ राज्यों में पहले से ही विशेष कानून बनाए गए है। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र राज्य ने 1999 में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम लागू किया था, जिसे बाद में दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ने भी अपनाया। उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक राज्यों ने भी अपने संबंधित अधिनियम बनाए हैं।

हरियाणा राज्य में संगठित अपराध की उभरती स्थिति के मद्देनजर, यह अनिवार्य हो गया है कि राज्य में भी इसी प्रकार का कानून लागू किया जाए जो गैंगस्टर्स, उनके मुखियाओं और संगठित आपराधिक गिरोहों के सदस्यों के खिलाफ प्रभावी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करता हो। इस तरह के मजबूत कानून अपराधियों के खिलाफ ठोस और निवारक लेकिन कानून सम्मत कार्रवाई करने के लिए पुलिस को सशक्त बनाएंगे। ऐसे अपराधों की आय से अर्जित संपत्ति को जब्त करने और इस अधिनियम के तहत अपराधों के मुकदमों से निपटने के लिए विशेष अदालतों और विशेष अभियोजकों की व्यवस्था करने के लिए विशेष प्रावधानों को भी लागू करने की आवश्यकता है।


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Shivam

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