हरियाणा की बेटी व भारतीय हॉकी की 'रानी' को पद्मश्री सम्मान, टीम के साथ घर में भी कैप्टन

punjabkesari.in Saturday, Jan 25, 2020 - 10:30 PM (IST)

डेस्क: भारतीय महिला हॉकी टीम की फास्ट फॉरवर्ड प्लेयर रानी रामपाल को पद्म सम्मान से नवाजा जाएगा। भारतीय हॉकी टीम की रानी कहलाने वाली रानी रामपाल हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के शाहबाद मारकंडा में जन्मी हैं। उनका जन्म 4 दिसम्बर 1994 को हुआ और विश्व कप 2010 में भाग लेने वाली भारतीय हॉकी टीम की सबसे कम उम्र (15) खिलाड़ी बनीं। अब वे भारतीय हॉकी टीम की कप्तान हैं।

टीम के साथ परिवार की जिम्मेवारी संभाली
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रानी की कहानी अपनी हिम्मत के बल पर तमाम कष्टों दुश्वारियों से संघर्ष करके विजयी होने की कहानी है। रानी के पिता आजीविका के लिए तांगा चलाते हैं। परिवार में भाई-बहनों में रानी सबसे छोटी हैं। रानी के दो बड़े भाईं हैं। एक भाई किसी दुकान पर सहायक का काम करते हैं। उनसे बड़े भाई बढ़ई है। अपने प्रदर्शन के बाद रानी ने रेलवे में क्लर्क की नौकरी हासिल की और टीम के साथ-साथ परिवार की भी जिम्मेदारी संभाली।

रानी की उपलब्धियां

  • जूनियर हॉकी विश्व कप 2013 में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट खेला। 
  • 2010 में 15 की उम्र में वो महिला विश्व कप में सबसे युवा खिलाड़ी बनी।
  • रॉजारियो (अर्जेंटीना) में महिला हॉकी वल्र्ड कप में सात गोल कर सर्वश्रेष्ठ यंग फॉरवर्ड का अवॉर्ड।
  • जूनियर वल्र्ड कप में तीसरे स्थान के लिए इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए मैच में दो गोल दाग कर 38 साल बाद भारत की झोली में मैडल डाला।
  • ‘यंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ का भी खिताब उन्हें मिला है।


कुछ यूं रहा सफलता का सफर
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रानी के पास बचपन में न तो खेलने के लिए जूते थे और न ही हॉकी किट थी। बस पास था केवल खेल का जुनून और कुछ करने की जिद। द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच बलदेव सिंह की ट्रेनिंग और अपनी इसी जिद के बदौलत ही रानी ने सफलता के शिखर को छुआ। जर्मनी में खेले गए वल्र्ड कप में भारतीय टीम ने कांस्य पदक जीता था और रानी प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रही थी।

ओलिंपिक क्वालिफायर टूर्नामेंट में भी रानी रामपाल के गोल की बदौलत ही भारतीय टीम ने 36 साल बाद ओलिंपिक के लिए टिकट पाया। अपने प्रदर्शन की बदौलत ही रानी ने रेलवे में क्लर्क की नौकरी हासिल की थी और टीम के साथ-साथ परिवार की जिम्मेदारी भी संभाली थी। रानी की हॉकी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उसका हॉकी सेंस बहुत गजब का है और यह बात उसके कोच भी मानते हैं।

रानी रामपाल बॉल को लेकर बहुत तेज फर्राटा लगाती है और तेज रफ्तार और धार के साथ जब हमला बोलती है तो प्रतिद्वंद्वी टीम की रक्षा पंक्ति को संभलने का मौका ही नहीं मिलता। डी के भीतर रानी के निशाने अचूक होते हैं और इसी प्रतिभा की बदौलत आज रानी का नाम विश्व की चोटी की फारवर्ड में शुमार है। रानी के पिता रामपाल को पूरा विश्वास है कि ओलिंपिक में रानी उम्दा प्रदर्शन कर देश को पदक दिलाएगी।

कोई काम नहीं होता छोटा
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रानी के पिता रामपाल कहते हैं कि वह ईमानदारी से रोजी-रोटी कमा रहे हैं और कोई भी काम छोटा नहीं होता। न तो उन्हें घोड़ा गाड़ी चलाने में कोई हिचकिचाहट होती है और न ही उनकी बेटी रानी को। वे कहते हैं कि मेहनत की कमाई के बलबूते न तो उन्हें किसी सहायता की जरूरत है और न ही किसी का अहसान लेने की। उन्होंने बताया कि रानी ने सिर्फ 13 साल की उम्र में ही भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल हो गई थी।


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Shivam

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