पानीपत में बनी जैकेट पहनकर संसद पहुंचे PM मोदी, प्लास्टिक बोतलों से धागा बनाकर की गई थी तैयार

punjabkesari.in Sunday, Feb 12, 2023 - 05:41 PM (IST)

पानीपत(सचिन) : कपड़ा व्यवसाय के लिए मशहूर हरियाणा के पानीपत जिले के साथ अब एक और बड़ी उपलब्धि जुड गई है। यहां प्लास्टिक की बोतल के धागे से कपड़े बनाने का काम किया जा रहा है। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पानीपत के इसी धाने से बनी जैकेट पहनकर संसद पहुंचे थे। पीएम मोदी ने इस जैकेट को पहनकर संसद से जनता को पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संदेश भी दिया था। बता दें कि यह धागा पानीपत में कोल्ड ड्रिंक की प्लास्टिक की बोतलों को रीसाइक्लिंग प्लास्टिक से बनाया जाता है। इस धागे से बने उत्पादों का सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बोलबाला है। पानीपत से इस धागे से बने उत्पाद को अमेरिका, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी द्वारा प्लास्टिक की बोतल से बने हुए धागे की जैकेट पहनने के बाद इन उत्पादों की डिमांड बढ़ना तय है।

 

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जानें प्लास्टिक की बोतलों से कैसे बनाया जाता है धागा

बता दें कि पानी, कोल्ड ड्रिंक या किसी भी तरह की प्लास्टिक की बोतलों को इस्तेमाल कर पहले सफेद रंग का प्लास्टिक दाना और चिप बनाई जाती है। उसके बाद इन दानों को अलग-अलग यूनिट में भेज कर प्लास्टिक की सीट बनाई जाती है। प्लास्टिक सीट को रेग मशीन में डालकर फाइबर तैयार कर लिया जाता है। इसके बाद इस फाइबर को धागा बनाने वाली मशीन में भेजा जाता है।

 

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कई चरणों से गुजरने के बाद धागा में बदलती है प्लास्टिक

धागा बनाने वाले प्लांट इस प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ मिक्सर मशीन में डाला जाता है। मिक्सर मशीन से निकलने के बाद यह कन्वेयर बेल्ट से होते हुए फिल्टर मशीन में पहुंचता है। फिल्टर से वेस्ट निकलने के बाद यह फाइबर पाइप लाइन में से होता हुआ धागा बनाने वाली मशीन में जाता है। इसके बाद ऑटोमेटिक स्पिनिंग मिल्स इस मशीन से एक फाइबर की पट्टी तैयार होती है। यह फाइबर की पट्टी दूसरी मशीन से होते हुए फिर कन्वेयर बेल्ट पर पहुंचती है। फिर यह फाइबर की पट्टी स्पिनिंग मशीन की रोलिंग पर पहुंचती है और फिर एक बारीक सा पेट यार्न तैयार होकर बाइंडिंग मशीन पर पहुंचता है। बाइंडिंग के बाद ऑटोमेटिक मशीन के साथ मीटर के हिसाब से धागे को रोल कर लिया जाता है। इसके बाद धागे को पैकिंग कर डिलीवरी के लिए भेजा जाता है।

 

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घरेलू बाजार के साथ इंटरनेशनल मार्किट में भी बढ़ रही डिमांड

उद्योगपति राकेश मुंजाल बताते हैं कि प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ 20% से 50% तक मिलाकर धागा तैयार किया जाता है। इस धागे की क्वालिटी भी काफी बेहतर होती है। आजकल यह धागा जुराब, टी-शर्ट और शर्टिंग के कपड़े के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। पानीपत में इसका प्रयोग अधिकांश बेडशीट, बाथ मेट और पर्दे आदि बनाने में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में प्लास्टिक की वेस्ट बोतल के धागे से बनी हुई जैकेट भी पहनी गई है, जो एक बहुत अच्छा संदेश है। उद्योगपतियों ने यह भी माना है की प्लास्टिक से धागा बनने से पर्यावरण तो साफ होगा ही और साथ में मुनाफा भी होगा।

 

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कुछ ही समय में 2 हजार करोड़ रुपए तक पहुंची इंडस्ट्री

उद्योगपतियों का कहना है कि पानीपत में भी प्लास्टिक की बोतलों के प्लास्टिक के फाइबर से धागे बनाने की कई यूनिट है। एक्सपोर्ट के साथ-साथ घरेलू बाजार में भी इस धागे की काफी डिमांड बढ़ रही है। बीते कुछ समय में ही रिसाइक्लिंग धागे और उससे बने उत्पादों का बाजार 2 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकल कर इससे बने धागे को पेट यार्न कहा जाता है। पेट से मतलब प्लास्टिक की बोतलें हैं और यार्न का मतलब धागा। पानीपत में प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर बने फाइबर से पेट यार्न बनाने की करीब सात से आठ इकाइयां हैं। एक अनुमान के मुताबिक इन यूनिटों में हर रोज करीब 20 हजार किलो पेट यार्न का उत्पादन होता है।

 

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Content Writer

Gourav Chouhan

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