निजी अस्पतालों ने ठप की सरकार की महत्वकांक्षी आयुष्मान योजना

punjabkesari.in Thursday, Aug 07, 2025 - 06:30 PM (IST)

गुड़गांव, (ब्यूरो): निजी अस्पतालों ने आज से आयुष्मान कार्ड धारकों को इलाज के लिए ना कहना शुरू कर दिया है। ऐसे में कार्ड धारकों को अब परेशानी होने लगी है। एक सप्ताह पहले दी गई चेतावनी के बाद भी हरियाणा सरकार ने अस्पताल संचालकों की सुनवाई नहीं की जिसके बाद खफा होकर आज से अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड धारकों को इलाज के लिए मना करना शुरू कर दिया है।

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ महावीर जैन की मानें तो प्रदेश सरकार ने आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज करने वाले अस्पतालों की पेमेंट का भुगतान नहीं किया है। पिछले लंबे समय से पेमेंट को लेकर अस्पताल प्रबंधन परेशान हो रहा है, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। एक सप्ताह पहले चेतावनी देने के बाद आज से आयुष्मान कार्ड योजना को ठप कर दिया है। डॉ जैन की मानें तो गुड़गांव में 50 तो प्रदेश में 650 निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत पैनल में हैं जिसमें आयुष्मान कार्ड धारकों को निशुल्क इलाज दिया जा रहा था, लेकिन अब इस योजना को ठप कर दिया गया है।

 

 

 

डॉ महावीर जैन के मुताबिक मरीजों का इलाज करने के बाद जब भी अस्पताल कोई बिल सरकार के पास भेजता है तो उसमें अनावश्यक कटौती की जाती है। ऐसे में अस्पताल संचालकों को इसके कारण भी नुकसान होता है। जब उन्होंने इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से भी मुलाकात की थी तो अधिकारियों ने अनावश्यक कटौती न करने की बात कही थी, लेकिन हालात नहीं सुधरे। अब अस्पतालों का 500 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान सरकार ने करना है। इसमें से 300 करोड़ के भुगतान को जल्द रिलीज करने की बात कही गई थी, लेकिन आज तक नहीं किया गया। डॉ जैन की मानें तो सरकार ने आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए महज 750 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया हुआ है जोकि कार्ड धारकों की संख्या देखते हुए बहुत ही कम है। 

 

फिलहाल निजी अस्पतालों ने सरकार की महत्वकांक्षी योजना आयुष्मान को ठप कर दिया है। मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि जब तक सरकार उनका पिछला भुगतान नहीं कर देती और नए बिल के भुगतान में देरी न किए जाने को लेकर आश्वस्त नहीं करती तब तक यह योजना इसी तरह से ठप रखी जाएगी। अब देखना यह होगा कि सरकार और निजी अस्पतालों के बीच चली आ रही तकरार का आज जनता को कब तक खामियाजा भुगतना पड़ता है। 


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Content Editor

Pawan Kumar Sethi

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