धरतीपुत्र का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान: राजन राव

punjabkesari.in Thursday, Nov 26, 2020 - 05:41 PM (IST)

गुरुग्राम (गौरव): हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष, कुमारी शैलजा के राजनैतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने कहा कि भाजपा सरकार लोगों से अपनी मांगों के लिए आवाज उठाने का हक छीन रही है। तीन कृषि काले कानूनों की खिलाफत और उन्हें रद्द कराने के लिए सरकार से मांग करने के लिए भी देश के किसानों को रोका जा रहा है। उनका दमन किया जा रहा है। एक तरफ तो प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी किसानों के सम्मान की बात करते हैं, दूसरी तरफ कड़ाके की ठंड में किसानों पर ठंडे पानी की बौछारें की जा रही है, उन पर लाठियां भांजी जा रही है। आखिर सरकार किसानों को शांतिपूर्ण आंदोलन क्यों नहीं करने देना चाहती? 

उन्होंने कहा कि सरकार पिछले दिनों लागू किए तीन काले कृषि कानूनों को किसानों के हित में बता कर देश की जनता और किसानों को बरगला रही है। सरकार कह रही है कि इनका एमएसपी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा तो इसमें एमएसपी की गारंटी का मुद्दा क्यों नहीं जोड़ रही? कृषि कानूनों की आड़ में किसानों के दमन की मंशा साफ झलक रही है, इसलिए सरकार डरी हुई है और किसानों पर अत्याचार कर रही है। राव ने कहा कि किसानों के साथ पूरा देश खड़ा है। 

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यह देश धरतीपुत्र का अपमान किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा। साकार चाहे जो हथकंडे अपना लें, लेकिन किसान और देश की जनता अब पीछे नहीं हटेगी। अगर सरकार को देश के अन्नदाता की चिंता है तो तत्काल तीनों कानूनों को रद्द क्यों नहीं करती? क्यों इतना बवाल कर रही है? केंद्र सरकार के इशारे पर प्रदेश की मनोहर लाल सरकार शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले किसानों पर अन्याय कर रही है, इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। 

उन्होंने कहा कि किसान संगठन केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार किसी भी सूरत में कृषि कानून रद्द नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) एक्ट 2020,  कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार एक्ट और आवश्यक वस्तु (संशोधन) एक्ट  का किसान विरोध कर रहे हैं और इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। राव ने कहा कि नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को होगा।

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 कॉरपोरेट्स कृषि क्षेत्र से लाभ प्राप्त करने की कोशिश करेंगे।  बाजार कीमतें आमतौर पर न्यूनतम समर्थन (एमएसपी) कीमतों से ऊपर या समान नहीं होतीं। सरकार की ओर से हर साल 23 फसलों के लिए एमएसपी घोषित होता है। बड़े प्लेयर्स और बड़े किसान जमाखोरी का सहारा लेंगे जिससे छोटे किसानों को नुकसान होगा, जैसे कि प्याज की कीमतों में। एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) के स्वामित्व वाले अनाज बाजार (मंडियों) को उन बिलों में शामिल नहीं किया गया है जो इन पारंपरिक बाजारों को वैकल्पिक विकल्प के रूप में कमजोर करता है।

बिजली वितरण का भी निजीकरण करना चाह रही है सरकार
राव ने कहा कि  केंद्र सरकार के बिजली कानून 2003 की जगह लाए गए बिजली (संशोधित) बिल 2020 का विरोध भी लाजमी है। इस बिल के जरिए सरकार बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण करना चाह रही है। केंद्र सरकार बिजली वितरण प्रणाली को निजी हाथों में सौंपने का पूरा खाका तैयार कर चुकी है। अगर यह बिल पास हो गया तो बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा। उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी भी खत्म हो जाएगी। यही नहीं बिजली के दाम बढ़ेंगे। गरीब उपभोक्ताओं और किसानों की पहुंच से सस्ती बिजली बाहर हो जाएगी।


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vinod kumar

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