कोरोना वायरस के कारण शिक्षा का क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा: राजेश कुमार
punjabkesari.in Wednesday, Jun 30, 2021 - 08:06 PM (IST)

डेस्क: शिक्षाविद और कुंवर ग्लोबल स्कूल के संस्थापक व एमडी राजेश कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस के दूसरे दौर का प्रभाव पूरे विश्व पर भयंकर रूप से पड़ रहा है। सामाजिक आर्थिक क्षेत्र व उद्योग जगत के साथ साथ एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र भी इस वायरस से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है- वह क्षेत्र शिक्षा का है। प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा, तीनों ही क्षेत्र में छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित है। शिक्षा पर इस वायरस के प्रभाव को लगभग हर क्षेत्र हर कोने में देखा जा सकता है।
लॉकडाउन के चलते लगभग सभी स्कूल कॉलेजों ने ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली का इस्तेमाल कर अपने अपने छात्रों को शिक्षा के प्रति सहयोग करने की पूरी तरह से कोशिश की है। परन्तु छोटे शहरों में रहने वाले छात्र, ई.डब्लू.एस के छात्र जिनके पास ऑनलाइन पढ़ाई करने का कोई माध्यम उपलब्ध नहीं है उनके लिए यह बहुत कठिन परिस्थिति है। कोरोना वायरस के दूसरे दौर ने दुनिया को आश्चर्य में डाल दिया है। ऐसी स्तिथि के कारण सीबीएसई और अन्य बोर्ड ने इस साल की 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी है। इस वजह से छात्रों में काफी निराशा देखने को मिल रही है।
दूसरी ओर वे छात्र जो उच्च शिक्षा के कोर्स में प्रवेश करने के लिए अपनी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे उन्हें भी इंतजार करना पढ़ रहा है क्योंकि जब तक लॉकडाउन समाप्त नहीं होता उनकी प्रवेश परीक्षाएं तथा नामांकन ऐसी स्तिथि में संभव नहीं है और इस वजह से कई छात्र और उनके माता पिता मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। जिन छात्रों की रुचि खेलकूद में ज़्यादा थी, जो छात्र तरह-तरह की गतिविधियों में खुलकर भाग लेते थे, आज वे छात्र अपने-अपने घरों में बंद हैं, सामाजिकदूरी का पालन कर रहे हैं। ऐसी स्तिथि में ये छात्र मानसिक तनाव में आ सकते हैं।
भारत एक ऐसा युवा देश है जिसमें छात्रों की संख्या बहुत अधिक है। ऐसे देश के लिए यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। आज आवश्यकता है की पूरा देश एक साथ खड़ा होकर इस वायरस के संक्रमण को मात दे। सरकार, संस्थान, समाज, इंडस्ट्रीलीडर्स, आम लोग और यहां तक की स्वयं छात्रों को आगे बढ़कर इन मुश्किल घडिय़ों का समाधान निकालना चाहिए। छात्रों के माता पिता की भी जिम्मेदारी है कि वे इस मुश्किल घड़ी में अपने बच्चों का मनोबल बढ़ाएं और उन्हें सकारात्मक सोच रखने के लिए प्रेरित करें।