वार्ता का स्वांग रच किसानों का हौसला तोडऩे की साजिश कर रही है सरकार: राजन राव

punjabkesari.in Thursday, Jan 07, 2021 - 08:21 PM (IST)

 गुरुग्राम (गौरव): हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्षा, कुमारी सैलजा के राजनैतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने कहा कि आठवें दौर की वार्ता में भी किसानों और सरकार के बीच सहमति नहीं बन पाई और नौवें दौर की वार्ता का भी यही परिणाम रहने वाला है। सरकार की नीयत और नीति में बड़ा खोट है, इसीलिए बार-बार वार्ता का स्वांग रच सरकार किसानों का हौसला तोडऩे की साजिश रची जा रही है। सरकार इस मुगालते में ना रहे वह बगैर कानून रद्द करे किसानों को हौसले से डिगा पाएगी। किसान अपने हक के लिए अंतिम सांस तक लड़ेगा। हक के लिए उसे कोई भी कीमत चुकानी पड़े तो किसान तैयार है। 

राव ने कहा कि सर छोटूराम ने कहा था कि किसान जब आंदोलन करता है तो वह कानून नहीं तोड़ता बल्कि सरकार की कमर तोड़ देता है। आज का आंदोलन भी सरकार की कमर तोडऩे का काम कर रहा है। किसानों ने एक बार भी कानून नहीं तोड़ा, लेकिन सरकार जानबूझ कर किसानों पर जुल्म कर रही है। कभी ठंडे पानी की बौछार तो कभी लाठीचार्ज तो कभी आंसू गैस छोड़कर किसानों के संयम का इम्तिहान लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धारूहेड़ा के पास मसानी बैराज पर बैठे किसानों पर रात के समय आंसू गैस की आड़ में छर्रे दागे गए हैं। किसानों पर सरकार जुल्म की सारी हदें पार कर चुकी है। बावजूद इसके किसान उग्र नहीं हुए। कितनी ही यातनाएं सहकर भी किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपना हक हासिल करना चाहता है। लेकिन सरकार इसे ही किसान की कमजोरी समझ बैठा है।

राव ने कहा कि सरकार को अब बातचीत का पटाक्षेप करते हुए तीनों कानूनों को रद्द कर देना चाहिए। सही मायने में सरकार की जिद के कारण आठवें दौर की वार्ता में भी किसान और सरकार के बीच सहमति नहीं बन पाई। अगर सरकार कानून रद्द नहीं करने और एमएसपी पर कानून नहीं बनाने की जिद छोड़ दे तो किसान अपने घरों को लौटने को तैयार है। उन्होंने कहा कि पहले दौर की वार्ता से ही यह तय हो गया था कि किसानों और सरकार के बीच गतिरोध का असली कारण सरकार की हठ धर्मिता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुगालते से भी  बाहर निकलना होगा कि किसान उसकी चिकनी चुपड़ी बातों में आकर आंदोलन खत्म कर देंगे। कानूनों को रद्द होने तक किसान अपना आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं है। 

राव ने कहा कि जब दो मुद्दों पर सहमति बन सकती है तो सरकार को कानून रद्द करने और किसानों को एमएसपी की गारंटी देने में क्या दिक्कत है। इससे साफ है कि सरकार की नीयत में कहीं ना कहीं बड़ा खोट है। किसानों की सहमति से सरकार नए कानून बनाने पर फैसला ले और इस गतिरोध को तत्काल खत्म करे। लेकिन सरकार अपनी  जिद और अहम के कारण ऐसा नहीं कर रही है। सरकार को इस देश के अन्नदाता से कोई सरोकार नहीं है। अब लोग भाजपा की नियत और नीति समझ चुके हैं। झूठ धूल का बवंडर ज्यादा देर तक नहीं टिकता। अब भाजपा के झूठे दावों और वादों का बवंडर टूटने लगा है। आने वाले समय में प्रदेश के साथ देश का मतदाता भाजपा और उसके सहयोगी दलों से उनके कुकृत्यों का बदला लेगा।


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Shivam

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