हरियाणा के इस गांव में बीता "रावण" का बचपन, यहां दबी हैं दुर्लभ वस्तुएं, जानें प्राचीन इतिहास
punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 08:05 PM (IST)

कैथल : कैथल जिले का पोलड़ गांव ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यही वह स्थान है जहां रावण के दादा पुलस्त्यमुनि ने कठोर तपस्या की थी। सरस्वती नदी के किनारे बसे इस गांव में स्थित पोलड़ थेह धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां मां सरस्वती का प्राचीन मंदिर और सैकड़ों साल पुराना शिवलिंग मौजूद है। हालांकि अब यह क्षेत्र सीवन नगरपालिका के अधीन आ चुका है।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, सरस्वती मंदिर के पास इक्षुपति तीर्थ स्थल पर पुलस्त्यमुनि ने तपस्या की थी और रावण का बचपन भी यहीं बीता। मंदिर की देखरेख कर रहे नागा साधु महंत का कहना है कि मंदिर का निर्माण महंत राघवदास ने करवाया था, जिन्हें माता सरस्वती ने सपने में दर्शन दिए थे। समय के साथ सरस्वती नदी अब प्रदूषित होकर बड़ी ड्रेन में तब्दील हो गई है, जिससे यहां का मेला और धार्मिक महत्व धीरे-धीरे कम होता गया।
थेह का अर्थ
इतिहासकारों के मुताबिक, पोलड़ थेह प्राचीन काल में एक नगर के रूप में बसा था, लेकिन किसी प्राकृतिक आपदा के कारण उजड़ गया। बाद में इसे दोबारा बसाया गया। "थेह" शब्द का अर्थ है एक ऐसा स्थान जहां पहले भी कोई बस्ती रही हो। यही कारण है कि गांव का नाम पोलड़ थेह पड़ा।
गांव में दुर्लभ वस्तुएं दबे होने की है संभावना
पुरातत्व विभाग भी इस स्थान को ऐतिहासिक महत्व का मानता है। यहां कई बार खुदाई करवाई गई है और विशेषज्ञों का मानना है कि जमीन में अति प्राचीन व दुर्लभ वस्तुएं दबे होने की संभावना है। कब्जे के प्रयासों को देखते हुए विभाग ने अदालत में भी गांव की सुरक्षा के लिए अपील की थी।
बचपन बीतने का नहीं है ठोस प्रमाण
हालांकि इस गांव में रावण का बचपन बीतने के कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं लेकिन स्थानीय पूर्वजों और कुछ इतिहासकारों के अनुसार यहीं पर रावण का बचपन बीता था। जिसको ध्यान में रखकर यहां के लोग यही मान्यता मानते आ रहे हैं।
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