झुग्गी झोपड़ी में स्कूल चलाकर गरीब बच्चों का भविष्य उज्जवल कर रही संस्था

punjabkesari.in Thursday, Apr 05, 2018 - 09:30 AM (IST)

करनाल(विकास मेहला): आएं दिन तमाम ऐसी कहानियां हमारे सामने आती है जो लोगों के लिए एक मिसाल पेश करती है। कुछ ऐसा ही काम करनाल में सामाजिक संस्था कर रही हैं जो समाज के सामने एक नज़ीर है। झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए एक स्कूल दिन- रात लगा हुआ है। जो भले ही किसी अलीशान बिल्डिंग में नही बल्कि एक झोपड़ी में है। जिसकी छत सीमेंट की भले ही ना हो लेकिन इस झोपड़ी के अंदर अक्षर और ज्ञान की गंगा की शिक्षा बहती है।
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करनाल के सेक्टर 32-33 के पास बनी झुग्गी झोपड़ियो में रह रहे 300 से ज्यादा बच्चे रोजाना इस झोपड़ी वाले स्कुल के अंदर शिक्षा प्राप्त कर रहे है। यह वो बच्चे है जो गरीबी के चलते पढ़ाई नही कर पाते है। जिनके लिए स्कुल जाना तो दूर की बात है कई बार तो दो ऐसा होता है की दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी नही हो पाता  है और भूखे पेट सोना पड़ता है। यह बच्चे कचरा बीनने व भीख मांगकर अपना जीवन यापन करते है। भले ही सरकार इन बच्चों के पास शिक्षा लेकर ना पहुंच सकी हो लेकिन करनाल की सामाजिक संस्था [निफा] इन बच्चो के बीच में ज्ञान की गंगा बाटने जरुर पहुंची है। रोजाना इन्हें अच्छी शिक्षा के साथ साथ अच्छी अच्छी बाते भी सिखाई जाती है। बच्चों को किताबे- कॉपियां सभी उपलब्ध करवाती है। साथ ही कुछ बच्चों को स्कुल ड्रेस भी दी गई है।
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मन में एक ही सपना लिए रोजाना यह बच्चे इस झोपड़ी वाले स्कुल में पढ़ने आते है। सपना भी यह कि इस गरीबी के दलदल से बाहर निकलकर देश के लिए कुछ कर दिखाना है। यह बच्चे स्कुल में पढने आते भी है तो वो भी पुरे अच्छे से तैयार होकर बालो में तेल लगा, कंगी अच्छे से करके और चेहरे पर मुस्कुराहट लिए। भले ही इन बच्चों की उम्र छोटी है लेकिन इन बच्चों को दुनिया दारी सबका ज्ञान है। क्यूंकि गरीबी का सितम इन बच्चों से बेहतर कोई नही जान सकता।
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ये बच्चे गरीबी में पैदा तो जरुर हुए है लेकिन इस गरीबी से निकलकर एक अच्छा जीवन यापन करना इनका मकसद बन चूका है। अगर इन बच्चों के सपनों की बात करे तो इन बच्चों के दिल में भी देश सेवा साफ दिखाई देती है। इन बच्चों के सपने आईएस अफसर, फौजी, डॉक्टर और टीचर बनकर देश की सेवा करना है। अगर बात अंग्रेजी भाषा की करे तो छोटी सी उम्र में इन बच्चों की अग्रेजी भाषा की पकड़ बहुत मजबूत है। 
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रोजाना 300 से ज्यादा बच्चे इस झोपड़ी वाले स्कुल में बैठकर पढ़ते है और निफा के सदस्य इन बच्चो को पढ़ाते है। सीबीएसई का स्लेबस इन बच्चों को करवाया जाता है और एग्जाम भी लिए जाते है। करीब चार साल से यह योजना इस संस्था की तरफ से चल रही है। बच्चों को ना केवल शिक्षा का ज्ञान बल्कि खेलकूद के साथ-साथ अच्छी बातों का ज्ञान भी सिखाया जाता है। जो बच्चे कभी स्कूल नहीं गए वह अब कॉपी पर एबीसीडी से लेकर कविता तक लिख लेते है। जिन्हें पहले गणित के बारे में पता नही था वह अब गणित के सवालों का जवाब आसानी से लिख लेते है। अब तो कुछ बच्चे अंग्रजी भाषा भी सिख रहे है और अपने से लेकर अपने माता पिता और के बारे में अंग्रेजी में आराम से बता देते है। बच्चों में शिक्षा की अलख जग रही है। करनाल की इस सामजिक संस्था निफा का यह कदम सच में सराहनीय है।
 


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Rakhi Yadav

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