सरस्वती राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्यटन स्थल है, इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल होने से प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से आगे बढ़ेगा - धुममन

punjabkesari.in Friday, Apr 29, 2022 - 04:49 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): सरस्वती हरियाणा की प्राचीनतम नदियों में से एक है। इस नदी के किनारे ही वेदों की रचना हुई और पूरे विश्व को ज्ञान और संस्कारों की शिक्षा मिली। यह प्राचीन नदी आदि बद्री से हरियाणा में प्रवेश होती है इसलिए आदिबद्री का एक बहुत बडा महत्व है। इस स्थल को देश विदेश से लोग देखने के लिए आते है और यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्यटन स्थल है। इस पर्यटन स्थल को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल करने से हरियाणा प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से और आगे बढेगा। बोर्ड के उपाध्यक्ष ने कहा कि हरियाणा का राखीगढी हजारों वर्ष पुरानी धरोहर है इस स्थल की खुदाई से लगातार ऐतिहासिक जानकारियां मिल रही है और हजारों वर्ष पुरानी सभ्यताओं के निशान मिल रहे है। यह स्थल हिसार जिले में स्थित है और यह करीब 350 एकड़ में फैला हुआ है। इस स्थल को भारत सरकार की तरफ से आइकोनिक साइट्स के रूप में देखा जा रहा है।

इन सब मुद्दों पर हरियाणा सरस्वती हैरिटेज डिवेलपमेंट  बोर्ड के उपाध्यक्ष धुममन सिंह किरमच से हुई एक्सक्ल्युसिव बातचीत के प्रमुख अंश

हरियाणा सरकार ने सरस्वती को दोबारा चलाने की दिशा में क्या क्या कदम उठाये है?

2015 में माननीय मुख्यमंत्री के द्वारा हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड का गठन किया गया जो अब हरियाणा सरकार का एक अभिन्न अंग है इस बोर्ड के मुख्य चेयरमैन मुख्यमंत्री हैं मनोहर लाल वह वाइस चेयरमैन की जिम्मेवारी मेरे पास मुख्यमंत्री ने दी है विभाग का मुख्य उद्देश्य सरस्वती नदी को पुनर्वाहित करना और इस नदी के किनारे जितनी भी धरोवर व् मंदिर है उनको विकसित करना और सभी स्थलों को एक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करना लक्ष्य है।

आदिबद्री क्षेत्र के विकसित होने से पर्यटन की दृष्टि से हरियाणा को क्या फायदा मिलेगा?

सरस्वती नदी हरियाणा की प्राचीनतम नदियों में से एक है। इस नदी के किनारे ही वेदों की रचना हुई थी और पूरे विश्व को ज्ञान व संस्कारों की शिक्षा मिली थी। यह प्राचीन नदी आदिवदी से हरियाणा में प्रवेश करती है, इसलिए आदिबद्री का बहुत बड़ा महत्व है। इस स्थल को देश-विदेश से लोग देखने आते है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्ष्याति प्राप्त पर्यटन स्थल है। इस पर्यटन स्थल के वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल होने से हरियाणा प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से और आगे बढ़ेगा।

लुप्त हो गई सरस्वती नदी को फिर से धरातल पर लाने की कोशिश हो रही है कब तक ऐसा हो पाएगा?

हमारी टीम दिन का किस कार्य पर लगी हुई है-सरस्वती नदी वर्ष 2024 तक धरातल पर आ जाएगी। जल्दी से जल्दी इस काम को पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे। बड़ा प्रोजेक्ट है। इसमें समय तो लगेगा ही इस के लिए हम आदि बद्री से आधा किलो मीटर ऊपर एक डैम बना रहे हैं जो कि हिमाचल की भूमि में बनेगा और इसी को लेकर को लेकर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के बीच 21 जनवरी को एक समझौता हो चुका है। दोनो राज्यों की सरकारों में अच्छा तालमेल है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल और जय राम ठाकुर पूरे मनोयोग से लगे हुए है।

इस योजना पर कितना खर्चा आएगा?

इसके लिए हरियाणा सरकार ने 387 करोड़ रूपए मंजूर किए गए हैं। सरस्वती नदी के लिए बांध का निर्माण हिमाचल को करना है। डैम के बाद हम एक बैराज अदि बद्री में व् एक बड़ा 350 एकड़ में सरस्वती सरोवर बनाने जा रहे है जिसके लिए तीन गांवों की जमीन हमे मिल चुकी है । इसरो व् ओ एन जी सी के वैज्ञानिकों ने माना है कि धरती के नीचे आज भी सरस्वती का प्रवाह है। इसे हर हालत में धरातल पर लाना है।

हिमाचल प्रदेश की कितनी जमीन पर बांध बनना है?

-71 हेक्टयर पर हिमाचल में बांध बनेगा

सरस्वती नदी हमारी आस्था से जुड़ी है। ऋग्वेद में 77 बार सरस्वती नदी का जिक्र आता है। जितनी की संस्कृतिया आदि बद्री से लेकर राखीगढ़ी व् गुजरात के राण ऑफ़ कछ तक  पनपी, ये सब सरस्वती नदी के किनारे पर ही पनपी थी। इसीलिए सरकार चाहती है कि वह नदी फिर से बहने लगे।

आप ने भारतीय पुरातत्व परोहर सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक को क्या चिट्ठी लिखी?

मैने पत्र लिखा है कि सरस्वती उद्गम स्थल आदिबद्री और राखीगढ़ी राष्ट्र ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर्यटन स्थल है। इन दोनों घरोहरों को पूरे राष्ट्र को नाज है। ऐसे में इन दोनों पर्यटन स्थलों को विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया जाना चाहिए। इस में हरियाणा सरकार की तरफ से भी हर संभव प्रयास में किए जाएंगे।

हरियाणा का कितना क्षेत्र इसके बहाव में आएगा?

प्रदेश में सरस्वती की जलधारा 400 किलोमीटर में बहेगी। यमुनानगर के आदिबद्री से शुरू होकर पवित्र नदी कुरुक्षेत्र कैथल से होते हुए पंजाब के पटियाला के सतड़ाना के पास घग्गर व् पारा नदी में मिलने के बाद आगे बढ़ेगी । इससे आगे नदी की जलधारा की गति देने का काम उन राज्यों का है, जिनके बीच से होकर सरस्वती में प्रवाहित होने के लिए अपना मार्ग बना रखा है।

क्या इसमें बरसाती पानी का भी संचय किया जाएगा?

नदी के बहाव क्षेत्र का पता लगाने के लिए सरस्वती धरोहर बोर्ड और तेल व प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) मिलकर 12 कुएं ख दवाएं है। अगले एक साल में सरस्वती के उद्गम स्थल आदिवटी से लेकर कुरुक्षेत्र के पिहोवा तक 20 बड़े जलाशय (सरोवर) बनाने का लक्ष्य है, ताकि इनमें बरसाती पानी का संचाय कर नदी में तेज गति से जल प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके।

सरस्वती नदी के लिए कौन-कौन सी एजेंसियां अनुसंधान में लगी है?

सरस्वती नदी में गिरने वाले सभी 23 छोटे चैनलो को सरस्वती नदी की शाखाये घोषित की है । प्रदेश की पांच नदियों का जल सरस्वती नदी की धारा को प्रवाह देगा, वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो), जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जी एसआई), ओएनजीसी, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलाजी (एनआइएच) रूड़की, भाभा एटामिम रिसर्च सेंटर (बीएआरसी), सरस्वती नदी शोध संस्थान जैसे 70 से अधिक संगठन सरस्वती नदी विरासत के अनुसंधान कार्य में लगे है।

सरस्वती नदी के होने का वैज्ञानिक आधार क्या है?

कई वैज्ञानिक आधार है, जिनके अनुसार सरस्वती नदी प्राचीन समय में उत्तराखंड हीमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के रण के कछ तक में बहती थी। नासा के मुताबिक लगभग 5500 साल पहले धरती पर सरस्वती नदी का अस्तित्व था। यह नदी लगभग आठ किलोमीटर चौड़ी और 1600 किलोमीटर लंबी थी सरस्वती नदी आखिर में अरब सागर में विलीन हो जाती थी।

आखिर यह नदी लुप्त कैसे हो गई?

करीब चार हजार वर्ष पहले प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण सरस्वती नदी विलुप्त हो गई थी। विज्ञान के मुताबिक जब नदी सुखती है तो जहाँ-जहाँ पानी गहरा होता है, वहां-वहां तालाब या झीलें रह जाती है। यह तालाब और झीले अर्धचंद्राकार शक्ल में पाई जाती है। आज भी कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर या पिहोवा में इस प्रकार के अर्धचंद्राकार सरोवर देखने को मिलती है। यह सरोवर प्रमाण है कि इस स्थान पर कभी कोई विशाल नदी बहती रही थी और उसके सूखने के बाद झीले बन गई थी।

मुख्यमंत्री बनने से पहले मनोहर लाल ने इस नदी क्षेत्र की यात्रा भी की थी ?

हॉं यह सही है। 1987 में उन्होंने हिमाचल में आदिबदी से हरियाणा होते हुए गुजरात में कच्छ तक की यात्रा की थी। तब से ही उनका सपना रहा है कि यह नदी फिर से धरातल पर ले जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हरियाणा भाजपा के प्रभारी रहे है। उन्होंने ही लुप्त हो गई सरस्वती को धरातल पर लाने के लिए प्रेरित किया था। इनके साथ साथ माननीय दर्शन लाल  जैन जी का  इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में बहुत बड़ा योगदान है

आप राखीगढ़ी को भी विश्व धरोहर में शामिल करने की मांग कर रहे है?

हरियाणा का राखीगढ़ी हजारों वर्ष पुरानी धरोहर है। इस स्थल की खुदाई से लगातार ऐतिहासिक जानकारियां मिल रही है। हजारों वर्ष पुरानी सम्यताओं से निशान मिल रहे है। यह स्थल हिसार जिले में स्थित है और करीब 350 एकड़ में फैला हुआ है। इस स्थल को भारत सरकार की तरफ से आईकोनिक्स साइट के रूप में देखा जा रहा है।

राखीगढ़ी की खुदाई से क्या संकेत मिले है?

राखीगढ़ी की खुदाई से इंडस वेली सिविलाइजेशन की जानकारी मिली है। यह जानकारी पोट्री ईंटों और अन्य वस्तुओं से मिली है। राखी गढ़ी हड़प्पा सभ्यता संस्कृति की तरफ इशारा करती है। इसलिए यह स्थल देश की सबसे बड़ी एतिहासिक धरोहर है। इस स्थल को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में विकसित किया जाना बेहद जरूरी है।

 

 


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Content Writer

Vivek Rai

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